Thursday, July 16, 2009

गाँधीवाद की बढ़ती ख्याति

कितनी विडंबना है कि विश्‍व की महाशक्‍ति अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी महात्मा गाँधी को अपने प्रेरणा स्त्रोतों में प्रमुख नेता माना है । ओबामा का यह कथन काफी महत्वपूर्ण है कि -“हिंसा बगैर उद्देश्य की पूर्त्ति का सिद्धांत का उदाहरण मैने कहीं और नहीं देखा । महात्मा गाँधी भारत की असली उन्‍नति ग्राम आधारित अर्थव्यवस्था में मानते थे लेकिन वैश्‍वीकरण की दौड़ में इसे पूरी तरह नजर‍अंदाज किया गया । वैश्‍विक आर्थिक मंदी ने जब अपना जोर दिया और महाशक्‍ति की भी हालात बदतर होने ल्गी तब समझदार दिग्गजों ने गाँधी के ‘चलो गाँव की ओर” नीति को अपनाने में ही अपनी बुद्धिमानी समझी । इसी अचूक रामबाण बदौलत उद्योग जगत्के महारथियों ने इस महासंकट से निजात पाई । मंदी ने भारत को बहुत कुछ नहीं बिगड़ा है तो इसकी सबसे बड़ी वजह ग्रामीण और कस्बाई बाजार ही है । देश में केवल उन्हीं क्षेत्रों में मंदी की सबसे ज्यादा मार पड़ी है जो विदेशों से कारोबार पर आधारित है जबकि देशी ग्रामीण और कस्बाई बाजार के बदौलत कई क्षेत्र वर्त्तमान में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं । आने वाले समय में अर्थव्यवस्था की धुरी भी यही बाजार बनने वाला है । जब महानगरों और बड़े शहरों में कई वस्तुओं और सेवाओं का बाजार संतृप्त हो वुका होगा तब इन कंपनियों के पास अपने उत्पादों की बिक्री के लिए ग्रामीण और कस्बाई बाजारों को ही लक्ष्य बनाना होगा । संक्षेप में कहा जाय तो गाँधी दूरदर्शी थे । उन्हें भारत के हर इलाकों और आवश्यकताओं की जानकारी थी । वे जानते थे कि भारत की अधिकांश जनता गाँवों में बसती है इसलिए गाँव के सशक्‍तिकरण के बगैर राष्ट्र के सशक्‍तिकरण की बात बेमानी होगी । हालाँकि इस बार गाँवों के विकास हेतु बजट राशि में वृद्धि कर प्रणव मुखर्जी ने गाँधीवादी फॉर्मूले को ही अपनाया है जो एक अशुभ संकेत है । आज विदेशों में गाँधीवादी विचारधारा, मूल्य, दर्शन आदि पर नित्य नए शोध हो रहे हैं और हम भारतीय गाँधीवादी सिद्धान्तों की उपेक्षा कर रहे हैं । उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री अपनी राजनीति चमकाने हेतु गाँधी का अपमान कर रही है । यहाँ कुछ उदाहरण प्रस्तुत किए जा रहे हैं जिससे विदेशों में गाँधी की बढ़ती ख्याती और ज्ञिजासा का पता चलता है । समय का चक्र एक बार फिर गाँधीवाद के धुरी पर ही केन्द्रित होगा ऐसा मेरा विश्‍वास है । लंदन में नीलाम होंगे गांधी के खतब्रिटेन के प्रमुख नीलामघर सॉथेबी’ज में १४ जुलाई को महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू के हस्ताक्षरित पत्र और अन्य दस्तावेजों तथा पोस्टकार्डो की नीलामी की जाएगी । नीलामी के दौरान महात्मा गांधी द्वारा इस्लामिक विद्वान और खिलाफत आंदोलन के प्रमुख नेता मौलाना अब्दुल बारी को उर्दू में लिखे गए हस्ताक्षरित पत्रों की अनुमानित कीमत २,५००-३००० पाउंड (करीब १.९९ से २.३८ लाख रूपए) तय की गई है । गांधीजी के हस्ताक्षरयुक्‍त खादी के एक कपड़े की अनुमानित कीमत २०००-२५०० पाउंड (लगभग १.५९-१.९९ लाख रूपए) आंकी गई है । माना जाता है कि यह कपड़ा खुद गांधीजी ने बुना था । उन्होंने इसे दक्षिण अफ्रीका की अभिनेत्री मोइरा लीस्टर को भेंट किया था । इस नीलामी में कुल १५३ वस्तुओं को रखा जाएगा । अमेरिका में गांधी बनेंगे न्याय के प्रतीकअमेरिका में महात्मा गांधी को स्वतंत्रता व न्याय का प्रतीक माने जाने की तैयारी शुरू हो गई है । अमेरिकी कांग्रेस के छह सदस्यों ने भारत के राष्ट्रपिता गांधी को पूरे विश्‍व में स्वतंत्रता व न्याय का प्रतीक बताते हुए उनकी १४० वीं जयंती मानने के लिए प्रतिनिधि सभा में एक प्रस्ताव पेश किया है । जिसमें कहा गया है कि गांधी का नेतृत्व दूरदृष्टि से भरा था । प्रस्ताव में कहा गया है कि इसी वजह से विश्‍व के सबसे पुराने लोकतंत्र अमेरिका तथा विश्‍व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में एक मजबूत संबंध कायम हो पाएं है । इसमें यह भी उल्लेख किया गया कि गांधी एक महान राजनीतिज्ञ नेता, समर्पित और आध्यात्मि हिंदू व भारत के राष्ट्रीय आंदोलन के प्रणेता थे । ब्रिटेन में हुआ गांधीजी की प्रतिमा का अनावरण भारतीय मूल के लोगों की बहुलता के कारण ब्रिटेन का ‘लिटिल इंडिया’ कहे जाने वाले लेस्टर शहर में भारत के राष्ट्रगान की ध्वनि के बीच महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनावरण किया गया । इस मौके पर करीब एक हजार लोग सहर की बेलग्रेव रोड में उपस्थित थे । इस सेरेमनी के मौके पर ब्रिटेन के गृहमंत्री एलन जॉन्सन भी मौजूद थे । ब्रिटेन में अपनी तरह की यह दूसरी विशाल प्रतिमा स्थापित हुई है । लंदन अंडरग्राउंड में महात्मा गांधी के संदेशलंदन अंडरग्राउंड के जरिए सफर करने वालों को अब भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की वह मशहूर पंक्‍ति सुनने को मिलेगी जिसमें उन्होंने कहा है कि आंख के बदले आंख का न्याय तो पूरी दुनिया को अंधा बना देगा । लंदन अंडरग्राउंड में गांधी के अलावा सारट्रे, आइंस्टीन और दूसरे महान विचारकों की मशहूर पंक्‍तियां भी उद्‌घोषणा के बीच सुनने को मिलेगी । लंदन परिवहन प्राधिकरण द्वारा यह कदम अंडरग्राउंड यात्रा को आनंदमय बनाने के मकसद से उठाया गया है । महान विचारकों के मशहूर पंक्‍तियों के संग्रह का काम कई पुरस्कार जीत चुके कलाकार जर्मी डेलर को दिया गया था । इसकी शुरूआत पिकाडली लेन पर बहुत जल्दी ही होने वाली है । अभी ट्रायल के तौर पर इन पंक्‍तियों की उद्‌घोषणा हुई है । इसके बाद यात्रियों की मिली-जुली प्रतिक्रिया आई है । हिन्द स्वराज की आत्माएक बात हम गाँधीवालों को बार-बार याद करनी चाहिए और गाँठ बाँध कर रखनी चाहिए । वह यह है कि गाँधी-विचार और प्रयोग के टुकड़े नहीं हो सकते, करने की कोशिश भी नहीं करनी चाहिए । हम इसे गाँधीजी की विशेषता समझे या कमी लेकिन यह अकाट्य है कि गाँधी आयेगा तो पूरा ही आयेगा या नहीं आयेगा । उसके टुकड़े बनाकर, अपनी सुविधा या पसन्दगी से हम उसे चाहें जितना पूजें, उसका विद्रूप ही बनाएंगे, उसका उपहास ही करेंगे । हमने रचनात्मक कार्यक्रम की एक पूँछ पकड़ कर गाँधीजी को पकड़ लेने का दावा किया ! और शासकों ने गाँधीजी को कर्मकाण्डों और पुतलों में जड़वत्‌ बना देने तथा दूसरे को पीटने की लाठी की तरह भाँजने का करतब किया है । हिन्द स्वराज की आत्मा व्यवस्था चलाने की नहीं, व्यवस्था बदलने की है और इसलिए इसे लेकर चलेंगे तो स्थापित व्यवस्था से टकराव अपरिहार्य है । यह टकराब कब, कैसे, कितना और कहाँ होगा, इसका निर्धारण उस वक्‍त के नेतृत्व और परिस्थिति पर छोड़ना होगा । विगत वर्ष भारत में गाँधीजी के सत्याग्रह पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में आर्थिक उदारवाद में गांधी जी के आम आदमी की ओर ध्यान खींचते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि वैश्‍वीकरण का लाभ कुछ लोगों तक ही सीमित न रह जाये इसके लिए विकासशील देशों की सरकारोंको ध्यान देना चाहिए । श्रीमती गांधी ने कहा कि महात्मा गांधी ने जो रास्ता दुनिया को दिखाया वह आज भी प्रासंगिक है । गांधी जी के सत्याग्रह पर अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में विभिन्‍न वक्‍ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि आम आदमी तक विकास की किरण पहुंचे तथा विश्‍व में चल रहे युद्ध उन्माद को अहिंसक तरीके से शांत किया जाये । महात्मा गांधी जी ने १०० साल पहले दक्षिण अफ्रीका से सत्याग्रह की शुरूआत नस्लवाद के विरोध में की थी । धीरे-धीरे वे विश्‍व के दबे-कुचले तथा रंगभेद से पीड़ित लोगों की आवाज बन गये । उन्होंने दक्षिण अफ्रीका से उस समय के सबसे बड़े शासक के विरूद्ध अहिंसा के बल पर लड़ाई लड़ी और्भारत आने पर उन्होंने इस देश की आजादी के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया । सम्मेलन में जांबिया के पूर्व राष्ट्रपति कनेथ कोंडा ने इराक का उल्लेख करते हुए चिंता प्रकट की । उन्होंने कहा कि अमेरिका तथा इंग्लैंड जैसे सम्पन्‍न राष्ट्रों को यहां से तत्काल अपनी सेनायें हटा लेनी चाहिये । उनका मानना था कि युद्ध से कोई समस्या हल नहीं हो सकती बल्कि यहां भी गांधी जी के अहिंसक आंदोलन का सहारा लेना चाहिए । उन्होंने कहा कि इस समय विश्‍व में गरीबी के खिलाफ युद्ध छेड़ने की आवश्यकता है । आज भी विकासशील देशों में बहुत बड़ी संख्या में लोग भोजन भी जुटा नहीं पाते हैं । दूसरी ओर एड्‌स जैसी बीमारी दिन ब दिन बढ़ती जा रही है । इस बीमारी को रोकने के लिए वह धन खर्च किया जाना चाहिए जो युद्ध में खर्च हो रहा है । उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि मानव की सेवा उसी ढंग से की जानी चाहिए जिस तरह महात्मा गांधी ने अपने समय में की थी । इस सम्मेलन में मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीन चन्द्र रामगुलाम, पोलैंड के मजदूर नेता लेक वालेसा, दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद विरोधी तथा नोबेल पुरस्कार से नवाजे गये बिशप डेसमंड टुटू, बांग्लादेश में ग्रामीण बैंक के संस्थापक तथा नोबेल पुरस्कार विजेता मौ. यूनुस, महान नेता नेल्सन मंडेला के साथ कंधे से कंधा मिलाकर दक्षिण अफ्रीका के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले अहमद कथराडा, मिशिगन विश्‍वविद्यालय के अर्थशास्त्री सी.के. प्रहलाद महात्मा गांधी की पौत्री इला गांधी, श्रीलंका में सर्वोदय आंदोलन के प्रणेता डा. ए. टी. आर्यरत्‍न, पेरू के अर्थशास्त्री हेरनाडो सोटो के अतिरिक्‍त भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, तत्कालीन विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी तथा रक्षा मंत्री ए. के. एन्टोनी आदि मौजूद थे । सम्मेलन में अपने विचार व्यक्‍त करते हुए पोलैंड के श्रमिक नेता लेक वालेसा ने कहा कि महात्मा गांधी को सिर्फ भार और दक्षिण अफ्रीका तक ही सीमित नहीं किया जाना चाहिए बल्कि वे पूरी दुनिया की धरोहर हैं । गांधीजी ने मानव सेवा का अहिंसक ढंग से सेवा करने का रास्ता दिखाया जो आज के समय में सर्वोत्‍तम मार्ग है । बिशप डेसमंड टुटू ने कहा था कि हर तरह की असमानता को मिटाने के लिए गांधीजी के विचार सबसे ज्यादा अपनाने योग्य हैं । उन्होंने कहा कि विश्‍व की आर्थिक व वैज्ञानिक प्रगति होने के बाद भी करोड़ों लोग बहुत ही तंगी का जीवन व्यतीत कर रहे हैं । इन्हीं लोगों की सेवा का बीड़ा महात्मा गांधी ने उठाया था । गांधी जी की शिक्षाओं का सही अनुपालन तभी हो सकेगा जब पीड़ितों के चेहरे पर हम लोग मुस्कान ला सकेंगे । भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि विश्‍व के सभी विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से हल किया जाये ।

3 comments:

  1. Gandhivad Bhartiya parampara kee ek kadi hai aaur koi alag vad kah kar Hindutwa ke adimulyon ko kam karne kee koshish unke dwara kee ja rahee hai jo Gandhi ka nam dho kar shashan me bane rahe hain aaur chahte hain par jinke jeevan me gandhika koi mulya shayad hee hai..
    Vatman budget bhee ek chhalaba hai aaur gram shashktikaran ese oi lena dena nahee hai--nahee to sinchai ke liye 500 kror aaur It ke liye 15000 krore ka abantan jabki bharat ke gaonme sinchai ke liye 4 lakh karor rupaye chahiye kamase kam 40000 karor k dar se 10 varsh,,

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  2. Aapke blog par aakar achcha laga.

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  3. i am not getting for the motion

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