Wednesday, July 1, 2009

चुनाव के बाद आर्थिक मंदी :स्वरूप और समाधान

अभी चुनाव का दौर है लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले वैश्‍विक आर्थिक मंदी की चर्चा सर्वाधिक रही है । जिस तरह अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के बाद ओबामा ने जी -२० के शिखर सम्मेलन में वैश्‍विक आर्थिक मंदी से निपटने के लिए खरबों डॉलर की विपुल राशि के माध्यम से एक सशक्‍त कदम उठाया, जिसका सकारात्मक प्रभाव भी आना शुरू हो गया है । भारत में भी लोकसभा चुनाव के बाद नई सरकार के गठन के उपरांत नए प्रधानमंत्री द्वारा आर्थिक मंदी से निपटने हेतु कड़े फैसले अपेक्षित हैं । इस तथ्य के मद्‌देनजर स्विस बैंकमें भारतीयों द्वारा जमा किए गए काले धन को वापस लाने का मुद्‌दा भी महत्वपूर्ण है । एक तरफ वैश्‍विक आर्थिक मंदी से सभी उद्योग परेशान हैं वहीं दूसरी तरफ कुछ कंपनियाँ इससे बेफ्रिक हैं । वे दूर से ही इस तूफान के थमने का इंतजार कर रही हैं । ऐसी परिस्थिति में भी उनके व्यवसाय के सुरक्षित रहने का कारण क्या है ? इस महत्वपूर्ण विषय की तह में जाने पर ऐसा लगता है कि जो कंपनियाँ कम लाभ और ज्यादा बिक्री की रणनीति पर आधारित हैं उसके ऊपर मंदी असर नहीं कर रही । ऐसी कंपनी न्यूनतम लाभ के प्रतिशत से संतुष्ट है । इससे ऊपर मिला लाभ बोनस जैसा होता है जो अल्प अंतराल के लिए होता है । जब मार्जिन पर इतना दबाव रहेगा तो लागत कम रखने की पूरी कोशिश की जाएगी । कोई भी कंपनी इससे कम पर काम नहीं कर सकती क्योंकि वह आत्महत्या की तरह होगा । बहुराष्ट्रीय कंपनियों एवं बड़ी कॉरपोरेट हर एक पैसे पर कड़ी नजर रखती है । ऐसी कंपनियों की ताकत वॉल्यूम है न कि ज्यादा मार्जिन । इस बात का फायदा है कि अभी के समय में इन कंपनियों को लागत में कटौती करने की जरूरत नहीं है और न ही उन्हें मार्जिन घटने की चिंता करनी है । दूसरा कारण यह है कि ऐसी कंपनियाँ कभी भी फिजूलखर्च नहीं करती । नकद लेन-देन करने के कारण बैंकों से कर्ज लेना मुश्‍किल होने से थोड़ी परेशानी का सामना करना पड़ता है । इसके बावजूद उनका कारोबार ठप नहीं होता । तीसरा कारण यह है कि ऐसी कंपनियाँ कभी भी मूल्यांकन का खेल नहीं खेलतीं । सरकारी नीतियों के कारण इस सेक्टर में हमेशा जोखिम रहता है इसके बावजूद भी इनके पटरी से उतरने की आशंका काफी कम रहती है । ऐसी कंपनियाँ कभी भी बड़ी विस्तार योजनाओं की घोषणा नहीं करती हैं । निश्‍चित रूप से यहाँ भी विलय और अधिग्रहण की प्रक्रिया होती है परन्तु वे हमेशा वास्तविक कीमत पर होते हैं और उनमें भी लगभग दो प्रतिशत मार्जिन का ही ध्यान रखा जाता है । ऐसी कंपनियाँ सीधे तौर पर आमजीवन से जुड़ी चीजों / सेवाओं के व्यवसाय में हैं तथा मनुष्य की आधारभूत आवश्यकताओं यथा खाद्य पदार्थ, ऊर्जा और धातुओं की माँगपूर्ति करती हैं । इन माँगों की तुलना कभी दूसरी चीजों जैसे- मोबाइल फोन या इलेक्ट्रॉनिक गुड्‌स से नहीं की जा सकती है । यही कारण है कि ऐसी कंपनियों के मालिकों / प्रबंधकों की चिंता माँग से ज्यादा आपूर्ति को लेकर रहती है । ऐसा देखा गया है कि ऐसी कंपनियों में से अधिकतर परिवारों के द्वारा संचालित किया जाता है और यह पूरी तरह से व्यवस्थित व्यवसाय है । कम शब्दों में कहा जाय तो इसका सीधा तात्पर्य है कि इन कंपनियों में आठ अंकों में तनख्वाह पाने वाला कोई विदेशी सीईओ। / एम। डी. नहीं होगा और कार्यालय में भी कोई तामझाम नहीं होगा । उम्मीद है कि भारत की नई केन्द्र सरकार इस ओर विशेष ध्यान देगी तथा इस रणनीति को अन्य व्यावसायिक क्षेत्रों में लागू करने हेतु योजनाओं की घोषणा करेगी ।

मातृत्व पर भी पड़ता है मंदी का असर
नौकरियाँ निगलने वाली मंदी की मार से दुनिया भर में बेरोजगार, चिंता और अवसाद की स्थिति में पहुंच रहे हैं । आईटी मैनेजमेंट, एंटरटेनमेंट हर इंडस्ट्री में पुरूषों की बराबरी करने वाली महिलाओं के लिए भी यह दौर ‘चिंता’ और गम्भीर बना दिया है । एक शोध के अनुसार कैरियर पाने का दबाव महिलाओं की जनन क्षमता पर प्रतिकूल असर डालता है ।जीवन में अच्छा कैरियर पाने की ‘बीमारी’ पालने वाली महिलाएं संतान सुख से वंचित हो सकती हैं । अध्ययन में ३७ अलग आबादी और संस्कृति वाली महिलाओं को शामिल किया गया । पाया गया कि जो महिलाएं कैरियर की तलाश में होती हैं उनकी दैहिक बनावट (फिगर) उभयलिंगी जैसी हो जाती है । यह ‘एंड्रोजेंस’ का स्तर ऊंचा होने का संकेत होता है । यह ‘ऑस्टेजेन’ के विरोधी प्रकृति वाला होता है, जो कि मातृत्व के लिए जरूरी है । अध्ययन में सामान्य महिलाओं और कैरियर तलाशने वाली महिलाओं में कमर और कूल्हे के अनुपात का जायजा लिया गया । कमर की चौड़ाई और कूल्हे की परिधि के भागफल से ‘वेस्ट टू हिप रेशियो’ का निर्धारण किया जाता है । जनन क्षमता के लिए जिम्मेदार हार्मोन फिगर से सीधा संबंध है । पतली कमर और सपाट कूल्हे महिलाओं में दबाव और कठिन परिस्थितियों के बीच कार्य करने में सहायक होते हैं । जो महिलाएँ कैरियर की चिंता और दबाव में जी रही होती हैं उनके हार्मोन में बदलाव आ जाते हैं । जनन क्षमता के लिए जिम्मेदार ‘ऑस्ट्रोजेन’ ‘एंड्रोजेंस’ में बदल जाता है । ‘एंड्रोजेंस’ स्पर्धा और चुनौतियों का सामना करने की शक्‍ति देता है ।
खास तथ्यों पर गौर करने की जरूरत
सुस्ती के दौर में तमाम लोगों की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है । आए दिन इस तरह की खबरें सामने आ रही हैं । हजारों लोग नौकरी गँवा भी चुके हैं । ऐसे लोगों को सामने अंधेरा ही अंधेरा नजर आ रहा है । पर क्या वाकई उनको इतना निराश होने की जरूरत है, शायद नहीं । जानकारों का कहना है कि जिनकी नौकरी चली गई है, उनको नई ऊर्जा के साथ नई जिंदगी की तैयारी करने की जरूरत है । ऐसे दौर नई संभावनाओं के द्वार खोलते हैं, अगर ऐसे लोग नौकरी करना चाहते हैं तो उनके पास नई संभावनाओं को खंगालने का मौका है । अगर नौकरी की ओर नहीं जाना चाहते हैं, तो स्वरोजगार भी बड़ा मौका है । एच‍आर से जुड़े लोगों का मानना है कि ऐसे लोगों को किसी भी कीमत पर घबराना नहीं चाहिए । साहस बनाए रखेंजिन लोगों की नौकरी चली गई है, उनको साहस नहीं खोना चाहिए । दर‍असल नौकरी जाने का आपके प्रदर्शन या काबिलियत से कोई लेना देना नहीं होता है । कंपनियां अपनी जरूरत के मुताबिक नौकरियों में छटनी करती है । इसलिए इस तथ्य को जहन में जरूर रखें । मददगारों की तलाश करेंमौजूदा दौर में सबसे अहम है अपने शुभचिंतकों की तलाश करना । आप सबसे पहले अपने मददगार लोगों और कंपनियों की लिस्ट बना सकते हैं । मौजूदा हालात में लोगों को अपना रिज्यूम अपटेड करते रहना चाहिए । अब आप के पास समय ही समय है, लिहाजा नई नौकरी की तलाश में कम से कम पांच-छह घंटे जरूर लगाएं । साथ ही ये तय कर लें कि आपका बायोडाटा हर जॉब पोर्टल पर हो । पोर्टल के जरिए नौकरी ढूंढ़ने में मदद मिलेगी । दोस्तों की सलाह जरूर लेंये समझने की कोशिश करें कि आपको फिलहाल किस तरह की नौकरी की जरूरत है । बाजार के हालात की पड़ताल करें । लोगों और अपने खास दोस्तों से भी सलाह लें । उन्हें भी नजर रखने को बताएं । कंपनी, काम और खुद को मिलने वाली जिम्मेदारी के बारे में विचार करें । यदि घर बैठे छोटे काम मिलें, तो लेने में देर न करें । इससे आपकी कार्यक्षमता बनी रहेगी । साथ ही धनार्जन भी हो सकेगा । सबको खुलकर बताएंकई लोग दूसरों को पता नहीं चलने देते कि उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया । याद रहे आम तौर पर चीजों को छुपाने से वे और उलझती जाती हैं । नौकरी से निकाल दिया जाना कोई शर्म की बात नहीं है क्योंकि कंपनियां काबिलियत पर नौकरी देती हैं । जब भी साक्षात्कार देने जाएं, बेझिझक होकर इस बात को बताएँ कि आपको नौकरी से निकाल दिया गया है । साथ ही साथ यह भी बताएं कि आपको नौकरी से क्यों निकाला गया । दोषारोपण से बचेंनई नौकरी के लिए साक्षात्कार के दौरान अपनी कंपनी या अपनी किस्मत को कोसना नहीं चाहिए क्योंकि कंपनियां सकारात्मक सोच वाले व्यक्‍ति को रखना पसंद करती हैं । जब भी साक्षात्कार के लिए जाएँ आपके जितने भी परिचय हों , उनके बारे में बताएं । इससे नौकरी मिलने में आसानी होगी । साथ ही लोगों से जान-पहचान बढ़ाने का भी प्रयास करें ।
मंदी का सामना कैसे करें ?
आज के महँगाई के समय में ये जरूरी हो गया है कि पति-पत्‍नी दोनों नौकरी करें और मिलकर घर खर्चा चलाएं । पर दुनिया भर में अचानक आई मन्दी के कारण बहुत से लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है । ऐसे में बच्चों की पढ़ाई तथा घर का खर्चा चलाना इन लोगों के लिए मुश्‍किल होता है । आज बहुत सारे परिवारों को इस परेशानी का सामना करना पड़ रहा है । जिनकी नौकरी चली गई, वे आर्थिक और मानसिक परेशानी में घिरे हैं । अगर पत्‍नी की नौकरी चली गई तो घर खर्च में कटौती कर गुजर करने की कोशिश और नई नौकरी तलाशने की कवायद चलती है । मगर यदि पति के साथ ऐसा हो जाए तो स्थिति बदल जाती है क्योंकि अपने अहम के कारण वे यह मानने को तैयार नहीं हो पाते कि वे पत्‍नी की कमाई पर घर खर्च चलाएं । कई बार इस वजह से पति-पत्‍नी के बीच तनाव पैदा हो जाता है , जिससे परिवार में बिखराव की स्थिति पैदा हो जाती है । ऐसी परेशानी न हो इसके लिए इन बातों का ध्यान रखें -* पति-पत्‍नी आपस में बातचीत कर समस्या को सुलझाने की कोशिश करें । * ऐसी स्थिति आने पर व्यक्‍ति को भावनात्मक सहारे की जरूरत होती है, इसलिए एक-दूसरे को सहारा दें, और परेशानी का मिलकर हल निकालने की कोशिश करें ।* घर खर्च चलाने के लिए एक बजट बना लें और उसी के अनुसार खर्चा करें । * इस समय कोशिश करें कि जिन खर्चों को कुछ समय के लिए टाला जा सके, उन्हें रोक दें । * अगर आप घर पर रहकर कुछ काम कर सकते हैं, तो करें । इससे आप काम में लगे रहेंगे और डिप्रेशन का शिकार नहीं होंगे तथा घर के लिए कुछ कमाई कर सकेंगे । * पति-पत्‍नी दोनों मिलकर परिवार की नींव रखते हैं, इसलिए उन्हें कोशिश करनी चाहिए कि उनके बीच अहम भाव जड़ न जमाए ।* यदि आपके साथी की नौकरी चली गई है तो आपको उसका हौसला बनाए रखना । उसे पूरा सहयोग और सम्मान देना चाहिए जिससे वह टूट न जाए ।* आप साथी को नए विकल्प चुनने का जोश और उत्साह दें जिससे वह स्थिति का सामना कर सके और इससे निकलने में सफल हो सके । * पुरानी बातों को छोड़कर दोनों पति-पत्‍नी मिलकर नई नौकरी तलाश करें और बच्चों के साथ वक्‍त गुजारें । इससे आप तनाव से बचे रहेंगे ।* हर ‘एक्जिट’ एक ज्यादा बड़ी दुनिया की तरफ खुलती है- अपने साथी को इस सकारात्मक भाव से भरें और नई राह पर मजबूती से बढ़ने की प्रेरणा दें । बहुत मुमकिन है कि मंदी का यह झटका आपकी जिंदगी और कैरियर को नई रफ्तार से भर दे ।

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