Thursday, July 23, 2009

फिल्म समीक्षा : तेरे संग

अवयस्क उम्र में गर्भधारण जैसे समसामयिक विषय पर आधारित फिल्म ‘तेरे संग’ में बदलते समाज में बच्चों के दिमाग में चल रहे विचार विंदु को बोल्ड तरीके से उठाया गया है । अंत में वही ठीक होगा जो ठीक है । उक्‍त विचार दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने फिल्म तेरे संग के प्रचार कार्यक्रम के एक जलसे के दौरान कही ।
इस फिल्म में दिल्ली के सब्जी मंडी सहित कई अन्य इलाकों में भी शूटिंग की गई है । सतीश कौशिक के नेतृत्व एवं दृष्टि का लाभ इस फिल्म को मिला है । फिल्म के एक सीन में नायिका कहती है - “मुझे किस करो, मुझे देखना है कैसा लगता है? एक अन्य संवाद में नायक से नायिका पूछती है कि तुम मुझे प्यार करते हो? जिस पर नायक कहता है पता नहीं पुनः नायिका का यह कहना कि “ठीक है , जब पता करने लगो तो बता देना । ” बड़ा ही मर्मस्पर्शी है ।
“मैने पार किया” एवं “कयामत से कयामत तक” के बाद इस फिल्म में दर्शकों को अवयस्कि उम्र का निष्कपट एवं नादानी दोनों एक साथ देखने को मिलेगा । परिणाम तो देखेंगे ही । इस फिल्म की नायिका ने इस फिल्म में भूमिका निभाने हेतु स्कूल डोनेशन के बहाने फिल्म डायरेक्टर से प्रस्ताव हासिल किया था । जो काबिलेगौर है । कुल मिलाकर युवाशक्‍ति पर एक सशक्‍त और समसामायिक फिल्म कही जा सकती है ।

1 comment:

  1. Bahut acchi vivechna ki aapne baaki ki baatein to film dekh kar hi pata chalegi...

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