Wednesday, July 1, 2009

कैरियर को शादी और प्यार से ज्यादा महत्व दे रहे हैं आज के युवा

पढ़ी-लिखी भारतीय महिलाएँ अपनी प्रतिभा के इस्तेमाल के लिए परिवार के सदस्यों की इच्छा पर निर्भर रहती है । एसोचैम ने पारिवारिक संपन्‍नता, दृष्टिकोण, संस्कार और सामाजिक पिछड़ेपन के आधार पर प्रोन्‍नति की दौड़ में महिलाओं के पीछे छूट जाने के कारण को ध्यान रहते हुए एक सर्वे करवाया कि “क्यों लड़कियाँ पढ़ने में तेज होती हैं पर ऊंचे पदों की दौर में पीछे रह जाती हैं ? इस पिछड़ने का अलग-अलग कारण सामने आया । ७३% महिलाएँ मानती हैं कि पति का जरूरत से ज्यादा अधिकार जताना उनके लिए बड़ी समस्या है, जिसके कारण वे अपना पूरा ध्यान काम पर नहीं लगा पाती हैं । सर्वेक्षण के मुताबिक १६.६६% महिलाएँ मानती हैं कि पारिवारिक जिम्मेदारियाँ इतनी महत्वपूर्ण हैं जिसके कारण वे प्रोन्‍नति की दौड़ में पिछड़ जाती हैं ।ऐसा देखा गया है कि महिला प्रसवोपरान्त कैरियर लगभग तीन साल के लिए पीछे चला जाता है । हालाँकि दिल्ली विश्‍वविद्यालय ने इस समस्या का समाधान निकालते हुए कैम्पस में क्रेच की स्थापना हेतु करोड़ों रूपए खर्च करने की घोषणा की है, परन्तु ऐसी सुविधा सब जगह तो नहीं है । आने वाले समय में कंपनियों को महिलाओं की सुविधाएँ और जरूरतों को ध्यान में रखकर लचीला कार्य समय, घर से काम करने की सुविधा या इसी तरह की अन्य सुविधाओं को व्यवहार में लाना पड़ेगा । पारिवारिक सहयोग और एक अच्छी कंपनी कभी भी आपके विकास में बाधा नहीं बनती है । महिलाएँ अपना सबसे बेहतर प्रयास अपनी संस्था को देती हैं पर पारिवारिक कारणों से उनकी सक्रियता और देर रात्रि तक काम करने की क्षमता पर असर पड़ता है । इन सभी कारणों से पुरूष पदोन्‍नति में उनसे बाजी मार ले जाते हैं । अच्छी कंपनियों में कार्य संपादन पर ध्यान दिया जाता है, कार्य की समय-सारणी पर नहीं । इन कंपनियों का ध्येय होता है कि आप जल्दी आएँ या बिलंब से परन्तु अपना कार्य समय पर अवश्य पूरा कर दें ।सर्वेक्षण के अनुसार ५६.७६% महिलाएँ नौकरी को महत्व देती हैं जबकि ३५.६६% प्रतिशत महिलाएँ पत्‍नी बनकर रहना चाहती हैं । मात्र ७.५६% महिलाएँ अपना व्यवसाय करना चाहती हैं । नौकरी में भी अधिकता ( ८२%) महिलाएँ सरकारी नौकरी करना ज्यादा पसंद करती हैं क्योंकि इनके अनुसार सरकारी नौकरी में सुरक्षा ज्यादा है । सरकारी नौकरी में सुरक्षा और एक प्रकार की निश्‍चिंतता होती है जो निजी क्षेत्र की नौकरी में संभव नहीं है । भले ही सरकार में पदोन्‍नति धीमी है पर निश्‍चिंतता तो है, फिर पेंशन और छुट्‍टी जैसी अन्य अतिरिक्‍त सुविधाएँ भी प्राप्त होती हैं । पुरूषों का लंबी उम्र तक बिना शादी के रहना कोई ट्रेंड़ नहीं । पहले भी यह होता था परंतु अब कारण बदल गए हैं । क्या यह सुविधा की बात है या फिर वे अपने किए वादों से डरते हैं । आजकल महिलाओं की अपेक्षाएँ बढ़ गई हैं, जिसके कारण रिश्ते-नाते में एक अजीब तरह का दबाव रहता है । वर्तमान में नौकरी संस्कृति भी बदल गया है । लंबी कार्यालय अवधि के अतिरिक्‍त आने-जाने में समय और अपनी कार्यदक्षता में समयानुसार आवश्यक तब्दीली करने के लिए मेहनत भी करनी होती है । ऐसी परिस्थिति में शादी अपने विकास को स्वयं ही रोकने वाली होगी । अब महिलाएँ अपने कैरियर के प्रति काफी सजग है और घर को पूरा समय देने की स्थिति में नहीं है।कुछ लोगों का मानना है कि पुरूष इसलिए शादी नहीं करते क्योंकि अकेले रहने में वह आजादी महसूस करते हैं । शादी को अधिक समय तक टालते रहने से वे अपने तरीके से जीने के अभ्यस्त हो जाते हैं और बाद में किसी तरह के सामंजस्य में उन्हें परेशानी होती है । कुछ बुरे अनुभव भी पुरूषों को शादी से दूर रख रहे हैं । हमारी न्यायिक व्यवस्था महिलाओं की पक्षधर है । इस कारण से कुछ लोग खराब रिश्ते को भी झेलते रहते हैं । ऐसे मामलों में लोग पुरूषों को ही गलत समझते हैं । ज्यादातर युवाओं का मानना है कि शादी को बहुत सारा समय चाहिए और ऐसे में कैरियर पीछे छूट जाता है । ऐसी स्थिति में आपसी संबंध में ये बुराई नहीं मानते मगर आत्मनिर्भर होने से पहले उपयुक्‍त रिश्ते दूँढ़ने के लिए समय अवश्य लेना चाहिए । आज का युवा संबंध चुनाव एवं अत्यधिक विशेषताओं को प्रश्रय देता है । वह स्थापित होने से पहले ही हर तरह की जोर आजमाइश हेतु प्रत्यनशील है ।प्यार का इजहार करने के तौर-तरीके अब बदल चुके हैं । खत का स्थान अब ईमेल और एस.एम.एस तथा ग्रीटींग्स-कार्ड ने ले लिया है । युवाओं को हम अपने संस्कृति के बारे में जागरूक कर सकते हैं परन्तु वह किसी के साथ डेटिंग पर जाना चाहे या किसी से मित्रता रखे यह उनकी मर्जी है । उनको मारने-पीटने, डराने-धमकाने का अधिकार किसी को नहीं हैं । समाज के बदलाव को हमें स्वीकार करना चाहिए । डेटिंग पर जाने- वालों की जबरिया शादी का कोई तुक नहीं है क्योंकि यह एक प्रकार से मौजमस्ती और मित्रता का माध्यम है । इसका मतलब यह कतई नहीं है कि एक दूसरे को बाँध दिया जाय । कुछ लड़के-लड़कियाँ तो एक ही दिन अलग-अलग समय पर पाँच छः के साथ डेटिंग पर जाते हैं तो क्या उनकी पाँच छः शादियाँ करवा देनी चाहिए । हालाँकि कुछ प्रेमी बंधु “ डेटिंग करने वालों की शादी के संबंध में कहते हैं- अच्छा होगा, शादी का खर्च बचने के साथ-साथ प्यार को हासिल करने के लिए किसी से बगावत भी नहीं करनी पड़ेगी ।

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