Monday, December 7, 2009

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला २००९ भारत के आधुनिक छवि की प्रस्तुति

भारत की महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटील ने नई दिल्ली के प्रगति मैदान स्थित हंसध्वनि थियेटर में एक रंगारंग और खचाखच भरे समारोह में २९ वें भारतीय अन्तरराष्ट्रीय व्यापार मेले का उद्‌घाटन किया ।
इस अवसर पर उपस्थित महानुभावों में केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री आनन्द शर्मा, जिन्होंने उद्‌घाटन समारोह की अध्यक्षता की, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की मुख्यमंत्री श्रीमती शीला दीक्षित, उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ भारत सरकार के वाणिज्य सचिव श्री राहुल खुल्लर, इण्डिया ट्रेड प्रमोशन आर्गनाइजेशन के अध्यक्ष एवं प्रबन्ध निदेशक डॉ. सुवास पाणि, अनेक राजनयिक, वरिष्ठ सरकार अधिकारी, भारत और विदेश के भागीदारी तथा मीडिया जगत से जुड़े व्यक्‍ति शामिल थे ।
अपने उद्‌घाटन भाषण में भारत की राष्ट्रपति ने इस वर्ष व्यापार मेले को विभिन्‍न पहलुओं की दृष्टि से उसका क्षेत्र व्यापक बनाने और उसे अधिक समृद्ध बनाने के लिए केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय और आई टी पी ओ को बधाई दी । उन्होंने बताया कि पिछले अनेक वर्षों से वैश्‍विक व्यापारी समुदाय के समक्ष भारत की तीव्रगति से आधुनिक हो रही छवि को सफलतापूर्वक प्रस्तुत करने में आई आई टी एफ ने प्रतिष्ठा अर्जित की है । भारतीय अन्तरराष्ट्रीय व्यापार मेले में बी-टू-बी गतिविधियों तथा बी-टू-सी सौदों को बड़े पैमाने पर जोड़ने की अद्वितीय क्षमता है । उन्होंने कहा कि अन्तरिक्ष की खोज जैसे क्षेत्रों सहित ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था के नेता के रूप में भारत की स्थिति इसके प्रथम प्रधानमंत्री पण्डित जवाहरलाल नेहरू के प्रोत्साहन का परिणाम है । राष्ट्रपति ने आशा व्यक्‍त की कि भारतीय अन्तरराष्ट्रीय व्यापार मेला २००९ के अंग के रूप में ‘भारत की अन्तरिक्ष यात्रा’ प्रदर्शनी लोगों को, विशेषरूप से भारतीय युवाओं को विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अध्ययन और अनुसंधान करने के लिए प्रेरणा प्रदान करेगी । उन्होंने कहा कि भविष्य आविष्कारों, नवीन खोजों और उद्यमों का है ।
मेले में आये विदेशी भागीदारों का स्वागत करते हुए राष्ट्रपति जी ने बताया कि भारत विदेशी कंपनियों, निगमों और व्यापारिक सदनों के लिए एक अनुकूल गन्तव्य स्थल के रूप में उभरा है । भारतीय अर्थव्यवस्था ने अपने सुदृढ़ स्वदेशी बाजार और प्रगति कर रहे मध्यम वर्ग तथा एक सुदृढ़ विकास दर के कारण विश्‍व में आर्थिक संकट के दौरान ६.५ प्रतिशत से भी अधिक विकास दर बनाये रखकर अपनी स्थिति मजबूत की है । अपेक्षाकृत अच्छी वृद्धि दर विश्‍व में भारत के बढ़ते आर्थिक प्रभुत्व की ओर इंगित करती है । विभिन्‍न देशों के साथ बहु-आयामी व्यापार संबंधों को आगे बढ़ाने की आवश्यकता पर बल देते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भारत में उचित मूल्य पर उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों और सेवाओं को उपलब्ध करने की अद्वितीय क्षमता है । उन्होंने कहा कि विकसित हो रही अवसंरचना से अगले पांच वर्ष के दौरान भारत में ५५० बिलियन अमेरिकी डालर के पूंजी निवेश उपलब्ध होंगे ।
अपने मुख्य भाषण में केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री आनन्द शर्मा ने बताया कि एक देश से दूसरे देश के बीच व्यापार और विशेषरूप से विश्‍व की मुख्य धारा के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था को जोड़ने के लिए उत्प्रेरक का कार्य करने में इस मेले का विशेष महत्व है । यह भी जानकारी दी गयी कि वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने विदेश व्यापार नीति के अन्तर्गत ३९ नये बाजारों की पहचान करने और उनका विकास करने के लिए प्रमुख पहल की है । फोकस बाजार योजनाओं के अन्तर्गत आने वाले इन २६ नए बाजारों में से १६ लेटिन अमेरिका में तथा १० नये बाजार ओसियाना और एशिया में हैं । दूसरी फोकस योजना में १३ बड़े बाजार विभिन्‍न महाद्वीपों अफ्रीका, दक्षिण अफ्रीका, सुदूर पूर्व, प्रशान्त क्षेत्र और यूरोप में है ।
श्री शर्मा ने इस बात का उल्लेख करते हुए कि भारत की क्षमता और उसकी सामर्थ्य को देखते हुए विश्‍व व्यापार में उसका हिस्सा बहुत ही कम है प्रतिशत की दृष्टि से भारत के वैश्‍विक व्यापार को वर्ष २०१४ तक दुगुना करने के लिए सरकारों की प्रतिबद्धता को दोहराया । इस बात पर पुनः बल दिया कि चुनौतीपूर्ण आर्थिक वातावरण में हमारे देश में विश्‍व अर्थव्यवस्था के साथ स्वयं को एकीकृत करने की क्षमता और प्रतिबद्धता है । उन्होंने जानकारी दी कि भारत ने पहले ओ ई सी डी देशों के साथ व्यापक आर्थिक भागीदारी पर हस्ताक्षर किए और उसके साथ ही विश्‍व व्यापार संगठन के दोहा दौरे को पुनः सक्रिय करने के लिए एक अत्यन्त सुदृढ़ कदम उठाया । ऐतिहासिक त्रृटियों को सुधारने के साथ-साथ नियम आधारित बहु-पक्षीय व्यापार व्यवस्था की आवश्यकता का समर्थन करते हुए उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि गरीब और विकासशील देशों की उचित महत्वाकांक्षाओं पर ध्यान दिये जाने और वैश्‍विक सहयोग के नये अवसर पैदा किये जाने की आवश्यकता है । उन्होंने घोषणा की कि सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में एक विश्‍व स्तरीय सम्मेलन केन्द्र स्थापित करने के बारे में निर्णय किया है ।
उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य और आध्यात्मिक के क्षेत्र में उत्तराखण्ड राज्य की अन्तनिर्हित क्षमताओं पर प्रकाश डाला । श्रीमती शीला दीक्षित ने आई आई टी एफ २००९ में दिल्ली को भागीदारी राज्य का दर्जा दिये जाने पर प्रसन्‍नता व्यक्‍त की । उन्होंने आशा व्यक्‍त की कि दिल्ली आगामी राष्ट्र मण्डल खेल २०१० के लिए की जा रही सभी विकास गतिविधियों के कारण एक उच्च विश्‍वस्तरीय राजधानी के रूप में उभरेगी । स्वागत भाषण में डा. सुवास पाणि ने मेले की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख किया ।
मेले के दौरान व्यापार से संबंद्ध विषयों, विशेष प्रदर्शन और सामयिक महत्व के अन्य विषयों और थीमों पर अनेक विचार गोष्ठियां आयोजित की गईं । टेकमार्ट, उत्तम रहन-सहन आदि विशेष प्रदर्शनों में विविध उत्पाद और सेवाएं प्रदर्शित की गईं जिनमें इंजीनियरी, सॉफ्टवेयर, एवं हार्डवेयर, मोटर वाहन, इलेक्ट्रॉनिक चमड़ा, कपड़े, दूर संचार, जूट, रबड़, हस्तशिल्प, आभूषण, उपभोक्‍ता वस्तुएँ आदि शामिल की गयीं ।
आई आई टी एफ २००९ की थीम- सेवाओं के निर्यात को राज्य और संघ राज्य क्षेत्रों के मण्डपों और एकल अलग से मण्डप में भी प्रमुखता से दर्शाया गया ।
इस वर्ष दिल्ली और उत्तराखण्ड को क्रमशः साझेदार और फोकस राज्य चुना गया है तथा थाइलैण्ड और चीन को क्रमशः साझेदार देश और फोकस देश का दर्जा प्रदान किया गया ।
भारत और अन्य २८ देशों के लगभग ७५०० प्रदर्शक मेले में भाग लिया । अन्तरराष्ट्रीय भागीदारी अफगानिस्तान, बंग्लादेश, बेल्जियम, भूटान, चीन, चीन (हांगकांग) क्यूबा, मिस्त्र, जर्मनी, ईरान, ईराक, इण्डोनेशिया, म्यांमार, हालैण्ड, नेपाल, नाइजीरिया, पाकिस्तान, पापुआ और न्यूगिनी फिलीपीन्स, श्रीलंका, दक्षिण कोरिया, सीरिया, थाइलैण्ड, तुर्की, यू के, संयुक्‍त अरब अमीरात, संयुक्‍त राज्य अमेरिका और वियतनाम आदि देशों की रही । क्यूबा, ईराक, नाइजीरिया, पापुआ और न्यूगिनी मेले में पहली बार भाग लिया ।
इस वर्ष के आई आई टी एफ को “ग्रीन फेयर” का दर्जा दिया गया जिसमें प्रगति मैदान को धूम्रपान निषेध घोषित किया गया और मेले के अन्दर प्लास्टिक के थैलों का उपयोग करने पर पाबन्दी थी ।
मेले की अन्य प्रमुख विशेषता “भारत की अन्तरिक्ष यात्रा” विषय पर नेहरू मण्डप में आयोजित हो रही प्रदर्शनी थी जिसमें भारत द्वारा अन्तरिक्ष युग में प्रवेश करने के विभिन्‍न चरणों पर प्रकाश डाला गया ।
इस मेले के दौरान हंसध्वनि,शाकुन्तलम, फलकनुमा, ऐतिहासिक चौक, फूड कोर्ट, श्रृंगार, लाल चौक, एम्फी थियेटर और प्रगति मैदान में नए बने ओपन एअर थियेटर प्रगति आंगन में विभिन्‍न इलाकों के समृद्ध और विविध सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये गए । मेले में फूड प्लाजा में “भारत का खाना” के अन्तर्गत विभिन्‍न प्रकार के स्वादिष्ट भारतीय व्यंजनों का स्वाद लेने का भी अद्वितीय अवसर प्राप्त हुआ साझेदार राज्य दिल्ली के मण्डप में विशेष रूप से- ‘दिल्ली का खाना’ खाने को मिला ।
प्रगति मैदान के लिए मैट्रो ट्रेन की सेवाओं के फेरों में वृद्धि की गई थी । दिल्ली परिवहन निगम की विशेष सेवायें दिल्ली सहित राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के गाजियाबाद, फरीदाबाद, नोएडा और गुड़गांव शहरों से उपलब्ध थी । पहली बार प्रदर्शकों, सेवा कार्मिकों और उपभोक्‍ताओं की अन्य श्रेणियों के लिए डिजिटल पहचान पत्र की प्रणाली भी लागू की गई थी ।
आम जनता की सुविधा के लिए मेले के प्रवेश टिकट मैट्रो स्टेशनों, डी टी सी के बस डिपो, मदर डेयरी बूथों और कुछ चुनिन्दा पैट्रोल पम्पों तथा भारतीय तेल निगम, भारत, पैट्रोलियम और हिन्दुस्तान पैट्रोलियम के खुदरा बिक्री केन्द्रों पर उपलब्ध थे । इन बिक्री केन्द्रों पर उपलब्ध टिकट प्रगति मैदान के टिकट बूथों पर बेचे जाने वाले टिकटों से १० रूपये सस्ते थे ।
टैकमार्ट इंडिया ः
सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों को लगाने के लिए एनएस‍आईसी के “टैकमार्ट इंडिया २००९” में कम लागत वाली प्रौद्योगिकियों की प्रस्तुति में सूक्ष्म, लद्यु एवं मध्यम उद्यमों की सामर्थ्य एवं क्षमताओं को प्रदर्शित किया । इस प्रदर्शनी में हलकी इंजीनियरी, मैकेनिकल उत्पाद, इलेक्ट्रिकल्स एवं इलेक्टॉनिक्स, सूचना प्रौद्योगिकी, फार्मेस्युटिकल्स, सिरैमिक, मशीन एवं मशीज औजार व सामान्य उत्पाद शामिल थे । इस प्रदर्शनी में एमएसएमई यूनिटों को एक छत के नीचे अपने मार्केटिंग प्रयासों में वृद्धि करने तथा प्रौद्योगिकी के आदान-प्रदान का अवसर प्रदान किया गया ।
टैकमार्ट इंडिया २००९ के मुख्य उद्देश्य -
भारतीय सूक्ष्म, लद्यु एवं मध्यम उद्यमों की सामर्थ्यों तथा उनके उत्पादों व सेवाओं के संभावित निर्यात को प्रदर्शित करना, स्वरोजगार के माध्यम से रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने वाली प्रौद्योगिकी/मशीनों का जीवन्त प्रदर्शन एवं जानकारी देना, भारत एवं विदेशों से संभावित ग्राहकों/सप्लायरों के साथ बैठकों के माध्यम से नए मार्केट अवसरों व प्रौद्योगिकियों की तलाश करना, उद्योगों संबंधी अपने अनुभवों की भागीदारी व उनके आदान-प्रदान तथा सर्वोत्तम व्यापार प्रक्रियाओं व नीतियों पर जानकारी माध्यम से सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के बीच मजबूत संबंध और नेटवर्किंग कायम करना आदि है । इस वर्ष एनएस‍आईसी “वर्किंग टेकमार्ट” के विशेष एनक्लोजर का प्रावधान रखा गया जहाँ स्वरोजगार के इच्छुक उद्यमियों के लिए समुचित प्रौद्योगिकियों जैसे सीमेंट-ब्रिक बनाने की मशीन, सोया दूध बनाने की मशीन, फूड प्रोसेसिंग की मशीन, कील बनाने की मशीन, नालेदार (कारूगोटिड) गत्ते को बॉक्स बनाने की मशीन, नोटबुक बनाने की मशीन, दाना बनाने की मशीन, इन्डस्ट्रियल फर्नेस, आयल एक्सपेलर डेयरी फूड, बैल्ट फास्टनर आदि प्रदर्शित की गई । इस प्रदर्शनी के अन्य आकर्षण थे- सेन्टल वूल डेवलपमेंट बोर्ड, जोधपुर की विशेष प्रदर्शनी, महिला उद्यमियों एवं अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति से सम्बद्ध यूनिटों तथा पूर्वोत्तर राज्यों की यूनिटों द्वारा तैयार किए गए उत्पादों का प्रदर्शन आदि ।
व्यापार मेले के नाम पर नियमों की अनदेखी -
विदेशों में व्यापार मेलों के नाम पर इंडिया ट्रेड प्रमोशन ऑर्गनाइजेशन में कबूतरबाजी जोरों पर है । दो उप-प्रबंध स्तर के अधिकारियों पर आरोप है कि वह नियमों को ताक पर रखकर बार-बार विदेश यात्रा कर रहे हैं और करोड़ों डकार कर दूसरे लोगों को भी विदेश यात्रा करा रहे हैं ।
सूत्रों के मुताबिक आईटीपीओ में अधिकारियों को विदेश भेजने से लेकर व्यापारिक फर्मा के नाम पर विदेश यात्रा करने वालों के चयन में करोड़ों रूपए की धांधली हो रही है । मामला नव नियुक्‍त मुख्य प्रबंध निदेशक सुवास पाणि की जानकारी में भी आ चुका है । पर वह अभी दबाए बैठे हैं । जल्द ही मामला सीबीआई के हवाले किया जा सकता है । मामले को लेकर प्रगति मैदान में अफरा तफरी का माहौल है । यदि समय से सीबीआई की कार्रवाई होती है तो आईटीपीओ के कई वरिष्ठ अधिकारियों की गर्दन फंस सकती है । दर‍असल आईटीपीओ द्वारा भारत सरकार की ओर से दूसरे देशों में हर साल ५० से ६० मेलों का आयोजन किया जाता है । औसतन एक मेले पर सरकार द्वारा एक करोड़ रूपए से ज्यादा की राशि खर्च की जाती है । आरोप है कि मेलों में भागीदारी के लिए जाने वाली १० कंपनियों में से दो फर्जी भी होती हैं । कई मामलों में एक ही कंपनी के लोगों को बार-बार विदेश यात्रा पर भेजा जाता रहा है ।
उप-प्रबंधक हितेश सेठी ने २००७ से अक्टूबर २००९ के बीच पांच-छह विदेश यात्राएं कर चुके हैं । इनमें २००७ में दिसंबर में चीन, २००८ में जून में ब्राजील, सितंबर में फ्रांस अक्टूबर में सिंगापुर, २००९ में अप्रैल और मई में कजाकिस्तान की यात्रा पर जा चुके हैं ।
आईटीपीओ द्वारा क्रम और वरिष्ठता के आधार पर अधिकारियों को विदेशों में आयोजित होने वाले मेलों में भेजा जाता है । इसके लिए बाकायदा एक समिति द्वारा नामों का चयन किया जाता है । पर कुछ अधिकारियों का आरोप है कि लंबे समय से इस समिति की कोई बैठक नहीं हुई और कुछ वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा खुद नाम तय करके अधिकारियों को बाहर भेजा जा रहा है । वरिष्ठ प्रबंधक वीपी रस्तोगी सहित लगभग चार दर्जन ऐसे वरिष्ठ अधिकारी हैं जो पिछले ५ से १० साल से विदेश यात्रा पर नहीं जा पाए । ऐसे में कई वरिष्ठ अधिकारियों में इस घपलेबाजी को लेकर उबाल है । जल्द ही यह मामला सीबीआई तक जा सकता है ।
आईटीपीओ के वरिष्ठ महाप्रबंधक सफदर एच खान ने भी माना कि यह लोग कुछ ज्यादा ही विदेश यात्राएं कर चुके हैं । उन्होंने बताया कि यह मामले पूर्व निदेशक डॉ. शीला भिडे के समय के हैं । अब नए निदेशक आए हैं तो नई व्यवस्था तय की जाएगी ।
- गोपाल प्रसाद

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