राजापुर के सारस्वत ब्राह्मण परिवार मे जन्मे सचिन का नाम उनके पिता रमेश तेंडुलकर ने उनके चहेते संगीतकार सचिन देव बर्मन के नाम पर रखा था। उनके बड़े भाई अजीत तेंडुलकर ने उन्हें खेलने के लिये प्रोत्साहित किया था। सचिन के एक भाई नितिन तेंडुलकर और एक बहन सवितई तेंडुलकर भी हैं। 1995 मे सचिन तेंडुलकर का विवाह अंजलि तेंडुलकर से हुआ। सचिन के दो बच्चे हैं सारा व अर्जुन।
सचिन ने शारदाश्रम विद्यामंदिर मे अपनी शिक्षा ग्रहण की। वही पर उन्होंने प्रशिक्षक (कोच) रमाकांत अचरेकर के सान्निध्य मे अपने क्रिकेट जीवन का आगाज किया। तेज गेंदबाज बनने के लिये उन्होने एम०आर०एफ० पेस फाउंडेशन के अभ्यास कार्यक्रम मे शिरकत की। पर वहां तेज गेंदबाजी के कोच डेनिस लिली ने उन्हे पूर्ण रूप से अपनी बल्लेबाजी पर ध्यान केंद्रित करने को कहा।
युवाकाल मे तेंडुलकर घंटों अपने कोच के साथ अभ्यास करते थे। उनके कोच स्टम्प्स पर एक रुपये का सिक्का रख देते, और जो गेंदबाज सचिन को आउट करता, वह् सिक्का उसी को मिलता था। और यदि सचिन बिना आउट हुये पूरे समय बल्लेबाजी करने मे सफल हो जाते, तो ये सिक्का उन्हें मिलता था। सचिन के अनुसार उस समय उनके द्वारा जीते गये 13 सिक्के आज भी उन्हे सबसे ज्यादा प्रिय हैं।
1988 मे स्कूल के एक हॅरिस शील्ड मॅच के दौरान साथी बल्लेबाज विनोद कांबली के साथ सचिन ने ऐतिहासिक 664 रनो की अविजित साझेदारी की। इस धमाकेदार जोडी के अद्वितीय प्रदर्शन के कारण एक गेंदबाज तो रो ही दिया और विरोधी पक्ष ने मैच आगे खेलने से इंकार कर दिया। सचिन ने इस मैच मे 320 रन और प्रतियोगिता मे हजार से भी ज्यादा रन बनाये।
सचिन प्रति वर्ष 200 बच्चों के पालन पोषण की जिम्मेदारी ‘अपनालय’, एक गैर सरकारी संगठन, से लेते हैं।
खेल पद्धति
सचिन तेंडुलकर उभयहस्त हैं। वे गेंदबाज़ी और बल्लेबाज़ी दायें हाथ से करते हैं किंतु लिखते बाये हाथ से हैं। वे नियमित तौर पर बायें हाथ से गेंद फेंकने का अभ्यास करते हैं। उनकी बल्लेबाज़ी उनके बेहतरीन संतुलन व नियंत्रण पर आधारित है। वे भारत की धीमी पिचों की बजाय वेस्ट इंडीज़ और ऑस्ट्रेलिया की सख्त व तेज़ पिच पर खेलना ज्यादा पसंद करते हैं [१]। वे अपनी बल्लेबाजी की अनूठी पंच शैली के लिये भी जाने जाते हैं।
Tendulkar at the crease.
ऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रशिक्षक जॉन ब्यूकैनन का मानना है कि तेंडुलकर अपनी पारी की शुरुआत में शार्ट गेंद के ग्रहणशील हैं। उनका मानना यह भी है कि बायें हाथ की तेज गेंद तेंडुलकर की कमज़ोरी है [२] । अपने करियर के शुरुआत मे सचिन की खेल शैली आक्रमणकारी हुआ करती थी। सन् २००४ से वे कई बार चोटग्रस्त रहे हैं। इस वजह से उनकी बल्लेबाजी की आक्रामकता में थोड़ी कमी आई है। पूर्व ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी ईयन चैपल का मानना है कि तेंडुलकर अब पहले जैसे खिलाड़ी नहीं रहे। किन्तु २००८ में भारत के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर तेंडुलकर ने कई बार अपनी आक्रामक बल्लेबाज़ी का परिचय दिया।
तेंडुलकर नियमित गेंदबा़ज़ नहीं हैं। किन्तु वे मध्यम तेज, लेग स्पिन व ऑफ स्पिन गेंदबाज़ी में प्रखर हैं। वे कई बार लम्बी देर से टिकी हुई बल्लेबाजों की जोडी को तोड़ने के लिये गेंदबाज़ के रूप में लाए जाते हैं। भारत की जीत पक्की कराने में अनेक बार उनकी गेंदबाज़ी का प्रमुख योगदान रहा ह्
ऐ[३]।
कीर्तिमान् स्थापित
* एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मुक़ाबले में सबसे ज्यादा रन (१७००० से अधिक)
* एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मुक़ाबले में सबसे ज्यादा ४५ शतक
* एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय के विश्व कप मुक़ाबलों में सबसे ज्यादा रन
* टेस्ट क्रिकेट मे सबसे ज्यादा शतक (४३)[४]
* रिकार्डो के बादशाह सचिन तेंडुलकर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 5 November 2009 को अपनी १७५ रन की पारी के दौरान एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में १७ हजार रन पूरे करने वाले पहले बल्लेबाज बने।
* टेस्ट क्रिकेट में सर्वाधिक रनों का कीर्तिमान। [५]
* टेस्ट क्रिकेट १२००० रन बनने वाले विश्व के पहले बल्लेबाज ।
* एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मुक़ाबले में सबसे ज्यादा मैन आफ् द सीरीज
* एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मुक़ाबले में सबसे ज्यादा मैन आफ् द मैच
* अंतरराष्ट्रीय मुक़ाबलो मे सबसे ज्यादा ३०००० रन बनाने का कीर्तिमान्, (शायद वहा तक भविष्य मे कोई ना पहुच पाये)
अन्य:
5 November 2009 गुरूवार, मास्टर ब्लास्टर तेंदुलकर को इसके लिए केवल 28 रन की दरकार थी। अपना 435वां मैच खेल रहे तेंदुलकर ने अब तक 424 पारियों में 44.21 की औसत से 17000 रन बनाए हैं जिसमें 45 शतक और 91 अर्धशतक शामिल हैं। तेंदुलकर के बाद एक दिवसीय क्रिकेट में सर्वाधिक रन श्रीलंका के सनथ जयसूर्या ने बनाए हैं जिनके नाम पर इस मैच से पहले तक 12207 रन दर्ज थे। जयसूर्या 441 मैच खेल चुके है। अब तक 400 से अधिक एकदिवसीय मैच केवल इन्हीं दो खिलाडि़यों ने खेले हैं।
तेंदुलकर 160 टेस्ट मैचों में भी अब तक 12877 रन बना चुके हैं और इस तरह से उनके नाम पर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में ३०००० से ज्यादा रन और 88 शतक दर्ज हैं। तेंदुलकर ने अपने एक दिवसीय करियर में सर्वाधिक रन आस्ट्रेलिया के खिलाफ बनाए हैं। उन्होंने विश्व चैंपियन के खिलाफ 60 मैच में 30000 से ज्यादा रन ठोके हैं जिसमें 9 शतक और १५ अर्धशतक शामिल हैं। श्रीलंका के खिलाफ भी उन्होंने सात शतक और 14 अर्धशतक की मदद से 2471 रन बनाए हैं लेकिन इसके लिए उन्होंने 66 मैच खेले हैं।
इस स्टार बल्लेबाज ने पाकिस्तान के खिलाफ 66 मैच में 2381 रन बनाए हैं। इसके अलावा उन्होंने दक्षिण अफ्रीका [1655], वेस्टइंडीज [1571], न्यूजीलैंड [1460], जिम्बाब्वे [1377] और इंग्लैंड [1274] के खिलाफ भी एक हजार से अधिक रन बनाए हैं। तेंडुलकर ने घरेलू सरजमीं पर 142 मैच में 46.12 की औसत से 5766 और विदेशी सरजमीं पर 127 मैच में 35.48 की औसत से 4187 रन बनाए हैं लेकिन वह सबसे अधिक सफल तटस्थ स्थानों पर रहे हैं जहां उन्होंने 140 मैच में 6054 रन बनाए हैं और उनका औसत 50.87 है। वह भारत के अलावा इंग्लैंड [1051], दक्षिण अफ्रीका [1414], श्रीलंका [1302] और संयुक्त अरब अमीरात [1778] की धरती पर भी एक दिवसीय मैचों में एक हजार रन बना चुके हैं।
पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन ने तेंडुलकर को सलामी बल्लेबाज के तौर पर भेजने की शुरुआत की थी जिसमें मुंबई का यह बल्लेबाज खासा सफल रहा। ओपनर के तौर पर उन्होंने 12891 रन बनाए हैं। जहां तक कप्तानों का सवाल है तो तेंडुलकर सबसे अधिक सफल अजहर की कप्तानी में ही रहे। उन्होंने अजहर के कप्तान रहते हुए 160 मैच में 6270 रन बनाए जबकि गांगुली की कप्तानी में 101 मैच में 4490 रन ठोंके। हालांकि स्वयं की कप्तानी में वह अधिक सफल नहीं रहे और 73 मैच में 37.75 की औसत से 2454 रन ही बना पाए।
सचिन् की फैन् है स्वर् कोकिला लता जी:
सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट का भगवान कहने वाली सुर सामाज्ञी लता मंगेशकर की ख्वाहिश है कि यह चैपियन बल्लेबाज सिर्फ 2011 विश्व कप ही नही बल्कि अगले 10 साल कि और खेलता रहे और विश्व कप जीतने का अपना सपना जरूर पूरा करेंगे।
अतंरराष्ट्रीय क्रिकेट में 20 साल पूरे करने वाले तेंदुलकर की मुरीद लता ने कहा “मै चाहती हूं कि सचिन विश्व कप जीते और 2011 विश्व कप ही नही बल्कि अब तक अच्छा खेल रहा है, खेलता रहे। अभी उसके भीतर काफी क्रिकेट बची है।” हमारे देश में पता नहीं क्यो रिटायरमेंट की बाते समय से पहले ही होने लगती है जबकि वह अच्छा खेल रहा है। मुझे सचिन की आलोचना बिल्कुल पसंद नहीं है। एकाध मैच में रन नहीं बनने पर सभी उनके पीछे प़ड जाते है। कभी कभार हमारा भी कोई गाना नहीं चलता तो कोई सुपर हिट हो जाता है। लेकिन इसके मायने यह तो नहीं कि मुझे संन्यास ले लेना चाहिये।
अपने क्रिकेट प्रेम के लिए मशहूर लता ने कहा “हमे उसका हौसला बढाना चाहिए कि वह अपने प्रशंसकों के लिए खेलता रहे। हम उसके साथ है। इसमें कोई शक नहीं कि क्रिकेट की दुनिया का हर रिकार्ड उनके नाम होगा” उन्होंने सचिन को अपना गीत आकाश के उस पार आकाश और भी है। समर्पित करने हुए कहा सचिन ने इतने रिकार्ड बना लिए है कि शायद ही कोई तोड पाये। मेरा उससे यही कहना है कि आकाश के उस पार आकाश और भी है और अभी उसे कामयाबी की कई दास्ताने लिखनी है।
पूछने पर कि क्या वह सचिन को दुनिया का नंबर वन क्रिकेटर मानती है, लता ने कहा जब डान बैडमेल ने उसकी काबिलियत को मान लिया तो मै क्या हूं। बैडमेन को सचिन में अपना अक्स अक्सर नजर आता था। इससे बडी तारीफ और क्या हो सकती है जो ना कभी किसी को मिली है और ना मिलेगी।
Monday, December 7, 2009
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