Monday, December 7, 2009

संविधान के मन्दिर में भारत के गरिमा पर थप्पड़

९ नवंम्बर को महाराष्ट्र विधान सभा में बारहवें सत्र की शुरूआत विधायकों के शपथग्रहण समारोह के साथ शुरू होनी थी । यही होता है, होता आया है, और होता रहेगा । परन्तु महाराष्ट्र विधानसभा में उस दिन ऐसा कुछ नहीं हुआ बल्कि गुंडई का नंगा नाच विधानसभा के भीतर किया गया । दर‍असल अबुआजमी जो कि सपा विधायक के तौर पर महाराष्ट्र विधानसभा में चुनकर आये थे, इन्होंने हिंदी में शपथ ग्रहण करना शुरू किया । अब संविधान द्वारा हमें अधिकार प्राप्त है कि भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में जितनी भाषाएं हैं हम उन सब में शपथ ग्रहण कर सकते हैं, तो हिंदी तो हमारी राष्ट्रभाषा है, तो आजमी साहब ने हिंदी में शपथ लेना शुरू ही किया था कि राज ठाकरे की मंडली (४ विधायक) ने उनपर इस बात के लिए हमला बोल दिया कि, इसने विधासभा में हिंदी में शपथ लेना कैसे शुरू कर दिया ।
अगर हमें ठीक से याद है तो हम शायद हिंदुस्तान में ही रह रहे हैं और हिंदी में शपथ ग्रहण करना हमारा संवैधानिक अधिकार है, लेकिन शायद ये बातें अपना महत्व खो देती हैं, मनसे जैसी ओछी राजनीति करने वाली पार्टियों के आगे । आजमी को हिंदी में शपथ ग्रहण करने के कारण अपमानित तो होना ही पड़ा साथ ही साथ उनका माईक तोड़ दिया गया और मनसे विधायक राम कदम के उन्हें एक थप्पड़ तक जड़ दिया । राम कदम के साथ उसके चरित्रहीन साथियों ने मिलकर आजमी की बीच विधानसभा में जो तौहीन की वो भारत जैसे महान देश की संप्रभुतापर चोट है । जब संविधान ने हमें अधिकार दिये हैं तो हम संविधान द्वारा स्वीकृत २२ में से किसी भी भाषा में शपथ ग्रहण करने के अधिकारी हैं ।
राज ठाकरे और उनकी मनसे पार्टी भारतीय राजनीति की परिभाषा को बदलने की ओर अग्रसर है । संविधान को चुनौती देते हुए उनके और उनकी पार्टी के लोगों के कृत्य दिनों-दिन घटिया से घटिया स्तर तक जा पहुँचे हैं । देश को भाषाई आधार पर तोड़ने के प्रयास किये जा रहे हैं । मनसे ने पिछले कई सालों से नाक में दम कर रखा है । सवाल उठता है एक राज ठाकरे जो कभी सदी के महान अभिनेता अमिताभ बच्चन को धमका देते हैं तो, कभी उनकी पत्‍नी जया बच्चन को “गुड़िया अब बुढ़िया हो गयी है, इसलिए इलाहाबाद चली जा” कहकर उनका भारी अपमान कर देते हैं, कभी बिहार और उत्तर-प्रदेश जैसे देश के दो बड़े राज्यों के लोगों को परीक्षा देने आने पर भगा- भगा कर महाराष्ट्र से भगा देता है, कभी बिहार (आबादी ८.५० करोड़ के करीब) उत्तर प्रदेश (आबादी १७ करोड़ के करीब) के लोगों को एक बिहारी सौ बिमारी कहकर चिढ़ाया है । इन राज्यों के लोगों पर हमले करवाते हैं, आखिर ये है कौन? ये कौन है जो एक व्यापक जनसमूह रखने वाले प्रदेश के लोगों को इस तरह से अपमानित करता रहता है । ये कोई नहीं है, बस एक छोटी सी क्षेत्रीय पार्टी का छोटा सा नेता है । फिर करन जौहर, अमिताभ बच्चन, राजनीतिक दलों के बड़े-बड़े नेता उसके आगे नतमस्तक कैसे हो जाते हैं? क्योंकि इनमें दृढ़ इच्छाशक्‍ति की कमी होती है । इन्हें याद रखना चाहिए कि कोई भी जन्मजात आतातायी नहीं है, बल्कि हम उसे शह देकर ऐसा बनाते हैं ।
याद कीजिए २७ अक्टूबर का वो दिन जब एक २५ साल का पटना से आया युवक राज ठाकरे की इसी क्रिया-कलापों से परेशान होकर उसे अपने ढंग से समझाने मुंबई आया था लेकिन पुलिस ने उसे बस में ही गोलियों से भून दिया । पूरे देश में इस घटना के घटने के आस-पास ही दिवाली मनाई जाने वाली थी, देशवासियों ने मनाया भी, लेकिन पटना में जहाँ वह लड़का रहता था उस जगह पर उस पावन घड़ी में श्राद्ध क्रियाओं जैसे वातावरण का आवरण चढ़ा हुआ था । आखिर क्यों? इतनी सस्ती लोकप्रियता हासिल कर के कोई क्या कर लेगा । राज ठाकरे को समझाना चाहिए कि इकबाल ने अपने गीत में लिखा है हिंदी है हम वतन हैं हिंदुस्तान हमारा । सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा । आखिर क्यों हमारा हिदुंस्तान सारे जहाँ से अच्छा है? क्योंकि हिंदुस्तान में वो कटुता और आपसी तकरार नहीं है जो दूसरे देशों में होती है । आखिर हम सभी भारतवासी चाहें पूर्व हो पश्‍चिम हो, उत्तर हो, दक्षिण हो, एक ही तो हैं आपस में फिर ये हिंदी-मराठी आपसी तकरार क्यों । क्या ये थप्पड़ सिर्फ अबु आजमी पर था या भारत की गरिमा, उसके सम्मान उसके इतिहास पर था । हम भारत को माँ कहते हैं क्या ये माँ का अपमान नहीं था ।

धनु मिश्रा

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