Monday, December 7, 2009

26/11 की बरसी या हमारे स्वाभिमान की बरसी

२६ नवंबर २००८ को भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई को कथित पाकिस्तानी आतंकवादियों ने सिलसिलेवार बम धमाकों और गोलियों के बौछार से दहला दिया । इस हमले में १७३ लोग मारे गये और ३०८ लोग घायल हो गये ।
इस घटना में मुंबई की शान समझे जाने वाले ताजमहल होटल को मुख्यतः निशाना बनाया गया था । यह हमला पूरे विश्‍व में ११/९ की तरह २६/११ के नाम से जाना जा रहा है ।
अब २६ नवंबर को इसकी बरसी मनाई जाएगी । क्या भारत में लोग सिर्फ आतंकवादी हमलों की बरसी मनाने के लिए बैठे हैं? रायटर की एक रिपोर्ट के मुताबिक सन २००१ से लेकर अक्टूबर २००७ तक ५९९ लोग आतंकवादी हमलों में मारे जा चुके हैं । आखिर ये क्या चल रहा है इस देश में अब जन्मदिन का उत्सव कम और श्राद्ध क्रियाऐं ज्यादा होने लगे है । आखिर ये सब कब तक चलेगा?
मुंबई हमले में पकड़े गये एक मान आतंकवादी अजमल कसाब के पाकिस्तानी होने के पक्‍के सबूत भारत के पास है । भारत में आतंकी साजिशें कितनी गहरी होती हैं, इसका अंदाजा अभी हाल ही में अमेरिकी खुफिया पुलिस द्वारा अमेरिका में ही गिरफ्तार हेडली और उसके दोस्त तहखूर राणा से हो जाता है ।
ये दोनों पाकिस्तान के लिए काम करते थे । इन दोनों का पाकिस्तान के उच्च आयोग से लगातार संपर्क था और इन दोनों के तार २६/११ के हमले से जुड़ते जा रहे हैं । हेडली नाम का ये शख्स पैदा कहीं हुआ, पढ़ाई-लिखाई कहीं हुयी और अपनी आतंकी कारमुजरियों को अंजाम उसने भारत में दिया । भारत के किसी भी स्थान पर कोई भी आतंकवादी घटना अगर घटी है, हो उसका सूत्र किसी ना किसी प्रकार से पाकिस्तान से ही जुड़ा है । हम जानते हैं कि हमारे देश वो अस्थिर करने की साजिश सीमा पार में लगातार चल रही है । वहाँ पर लगातार आतंकवादी संगठनों के सदस्यों को तरह-तरह के प्रशिक्षण देकर भारत भेजा जा रहा है आतंक फैलाने के लिए । आये दिन कई स्थानों पर आतंकवादी, खुफिया विभाग के लोग जासूस पकड़े जाते हैं, सभी कबूल करते हैं कि उनका लिंक पाकिस्तान है । जब भारत सरकार अच्छी तरह से जानती है कि देश की अस्थिरता में पाकिस्तान का हाथ है तो कार्यवाही क्यों नहीं हो रही है? अखिर हम कहाँ कमजोर पड़ रहे हैं । एक नजर डालते हैं भारत की संपूर्ण शक्‍ति के उपर ः-
भारत की जनसंख्या दूसरे स्थान पर सबसे ज्यादा है । भारत की जनसंख्या २००८ में १,१३९,१६४,९३२ थी । ये है भारत का मैन पावर । हमारा देश विश्‍व का सबसे तेजी से उभरता हुआ आर्थिक महाशक्‍ति है । हम संयुक्‍त राष्ट्र के सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता पाने के प्रबल हकदार है । भारत जी २० देशों का सदस्य है । भारत सार्क देशों का सदस्य है । भारत ब्रिक देशों का सदस्य है । भारत की सैनिक शक्‍ति विश्‍व में चौथी है ।
भारत का मित्र रूस व जापान है, यूरोपिय देश क्रांस, इंग्लैड, जर्मनी, इटली आदि है । भारत की पूरे विश्‍व में पूछ है । भारत की पूरे विश्‍व में एक अलग पहचान है । तो आखिर आतंकवाद के मामले में हम कहाँ पिछड़ रहे हैं । २००८ में दिल्ली, मुंबई, जयपुर के आतंकवादी घटनाओं पर तत्कालीन कांग्रेस सरकार से जो कुछ किया वह काफी है । हमारे देश के दुश्‍मन ऐसी कार्रवाइयों से डरने वाले नहीं हैं । हम जानते हैं कि भारत शांतिप्रिय देश हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि कोई हमारे मुंह पर थूक कर चला जाए और हम उसका अफसोस मनाते रहें । भारत की इन्हीं कमजोरियों का फायदा उठाकर पहले भी कई जघन्य घटनाऐं होती रही हैं । कुछ सालों पहले हमारे BSF के २७ वीर जवानों की बी.डी.आर (बांग्लादेश राईफल्स) ने किसी विवाद को लेकर नृशंस हत्या कर दी एवं उनके कटे-कटाऐं शव भारतीय सीमा में फेक दिये ।
भारत के ओर से भी गयी जवाबी कार्रवाई संतोषप्रद नहीं लगी । हमारे सबसे अच्छे पड़ोसी देश का तहमा हासिल किये हुए देश नेपाल में माओवादी नेता प्रचंद भारत विरोधी टिप्पणियाँ जिस अंदाज में करता है, उससे मालूम पड़ता है कि शायद भारत भूटान जैसे देशों के समक्ष खड़ा है । उस समय हमारे विश्‍व की तिसरी आर्थिक भयशक्‍ति बनने वाली बात कहाँ गुम हो जाती है पता नहीं चलता । हम जानते हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर का मुद्‌दा बेहद संवेदनशील है, लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं कि पाकिस्तान इसका फायदा उठाकर हमारे देश के निरापराध लोगों की हत्या करवाता रहें और हमारी सरकार चुपचाप तमाशा देखती रहे । हम जानते हैं कि नक्सली हमारे देश को उसी तरीके से चाटते जा रहे हैं, जिस प्रकार से दीमक लड़की को चाटता है, लेकिन फिर सरकार अपनी नई-नई रणनीतियाँ नक्सली समस्या के लिए बनाती रहती है ।
नक्सली लैंड माईन बिछाकर एक बार में कई पुलिस व अन्य सुरक्षाबलों के जवानों को असमय मौत की नींद सुला देते हैं, लेकिन हमारी सरकार इस पर सिर्फ विचार करती है । अब अजमल कसाब को ही ले लीजिए बरसी आने वाली है २६/११ की लेकिन ये आतंकवादी अब भी चैन की नींद सोकर नये-नये ख्याब बुन रहा है । ऐसा क्यों हो रहा है, क्योंकि हमारी सरकार पिछले सालभर से उस पर मुकदमा जो चला रही है । उसने तो मुंबई में अंधाधुंध गोलियां चलाकर कई घरों को उजाड़ दिया लेकिन हम उसपर मुकदमा चलाकर अपने कर्तव्यनिष्ठ होने का स्वांग रच रहे हैं । वह कसाब कभी कबाब खाने की माँग रखा है तो कभी कुछ और भौतिक सुख-सुविधा की बात करता है । आखिर हम उसकी क्यों सुन रहे हैं? क्या पूरे विश्‍व को यह नहीं पता है कि पाकिस्तान में आतंकवादी ट्रेनिंग कैप चल रहे हैं और वहीं से भारत में आतंकवादी हमले करवाये जा रहे हैं ।
अमेरिका के उपर जब हमला हुआ तो उसने इराक और अफगानिस्तान में अपने बल का प्रयोग कर के दिखा दिया कि अगर उसकी तरफ किसी ने आँख उठाकर देखा भी तो वो उसका क्या हर्ष होगा । क्या हमें इस आतंकवाद रूपी दरिन्दो को कोई ऐसा मुंह तोड़ जवाब नहीं देना चाहिए? यदि हम ऐसा कर रहे है तो फिर २६/११ की बरसी हमारे स्वाभिमान की बरसी है । इसलिए भारत को क्या अमेरिका से रूबरू होना चाहिए? फैसला आपके ऊपर ।
[अमेरिका के उपर जब हमला हुआ तो उसने इराक और अफगानिस्तान में अपने बल का प्रयोगकर के दिखा दिया कि अगर उसकी तरफ किसी ने आँख उठाकर देखा भी तो वो उसका क्या हर्ष होगा । क्या हमें इस आतंकवाद रूपी दरिन्दो को कोई ऐसा मुंह तोड़ जवाब नहीं देना चाहिए? यदि हम ऐसा कर रहे है तो फिर २६/११ की बरसी हमारे स्वाभिमान की बरसी है । इसलिए भारत को क्या अमेरिका से रूबरू होना चाहिए? फैसला आपके ऊपर । ]

- धन्‍नू मिश्रा

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