भारत में बनने वाली कार्टून फ़िल्मों में पिछले कुछ समय से पौराणिक पात्रों पर आधारित फ़िल्मों में बढ़ोत्तरी हुई है.
इनकी लोकप्रियता बाल गणेश, माई फ्रेंड गणेश, हनुमान, रिटर्न ऑफ हनुमान जैसी फ़िल्मों की सफलता से साफ़ झलकती है.
पौराणिक कथाएं और उनके किरदार, उनके हाव-भाव, उनकी शक्तियां, बहुत ही दिलचस्प हैं. एनिमेशन और स्पेशल इफेक्ट्स के माध्यम से ये सब अनोखे तरीके से प्रस्तुत किए जा सकते हैं.
कृष्णा देसाई, डायरेक्टर, टर्नर इंटरनेशल इंडिया
तो आख़िर क्या वजह है बच्चों में इन फ़िल्मों की बढ़ती लोकप्रियता की, एनिमेशन सिरीज़ लिटिल कृष्णा बनाने वाली बिग एनिमेशन्स के सीईओ आशीष कुलकर्णी का कहना है कि हिन्दुस्तानी एनिमेशन इंडस्ट्री फ़िलहाल शुरुआती चरण में है और एनिमेशन किरदारों को बनाने और स्थापित करने में काफ़ी समय, मेहनत और ख़र्चा लगता है.
आशीष कुलकर्णी कहते हैं,” पौराणिक कथाओं के पात्रों पर इसलिए एनिमेशन फ़िल्म बन रही हैं क्योंकि वो किरदार और उनकी कहानियां बच्चों की जानी-पहचानी है. इसलिए उन किरदारों को स्थापित करने में, उनका ब्रांड बनाने में सुविधा हो जाती है और ज़्यादा से ज़्यादा पैसा प्रोड्क्शन में लगाया जा सकता है. साथ ही माता-पिता भी चाहते हैं कि बच्चे अपनी संस्कृति के बारे में जाने.”
पौराणिक कथाएँ
टर्नर इंटरनेशनल इंडिया के डायरेक्टर, प्रोग्रामिंग, कृष्णा देसाई ने बीबीसी को बताया, ” पौराणिक कथाएं और उनके किरदार, उनके हाव भाव, उनकी शक्तियां, बहुत ही दिलचस्प हैं. एनिमेशन और स्पेशल इफेक्ट्स के माध्यम से ये सब अनोखे तरीके से प्रस्तुत किए जा सकते हैं. हम जब भी पौराणिक कथाओं पर आधारित एनिमेशन फ़िल्म या सीरियल दिखाते हैं तो उस स्लॉट की रेटिंग्स सबसे ज़्यादा होती है.”
एनिमेशन फ़िल्में—बाल गणेश और बाल गणेश टू के निर्देशक पंकज शर्मा की माने तो इन फ़िल्मों की व्यवसायिक सफलता या असफलता भी एक वजह है कि प्रोड्यूसर फ़िलहाल पौराणिक किरदारों पर ही आधारित फ़िल्में ज़्यादा बना रहे हैं.
पंकज शर्मा ने बीबीसी को बताया, ” भारत में ऐसी फ़िल्मों के लिए बजट भी कम होता है इसलिए बहुत ज़्यादा ख़र्चा करके रिकवरी नहीं हो पाती है. ऐसे में नये किरदारों पर आधारित एनिमेशन फ़िल्म बनाने में पाश्चात्य एनिमेशन फ़िल्म्स के साथ तुलना हो जाती है."
पौराणिक किरदारों पर बनी कार्टून फ़िल्में और सीरfयल भले ही बच्चों को पसंद आ रहे हैं और सफल भी हो रहे हैं लेकिन आशीष कुलकर्णी कहते हैं कि इन किरदारों को प्रस्तुत करना इतना आसान नहीं है.
आशीष कुलकर्णी कहते हैं, ” लोगों को इनके बारे में पहले से पता होता है इसलिए ग़लती की गुंजाइश नहीं होती. कहानी और किरदार के बारे में पूरी जानकारी के बाद ही स्क्रिप्ट बनाई जा सकती है जो सबसे बड़ी चुनौती है. साथ ही मुक़ाबला भी बहुत है क्योंकि और लोग भी इन कथाओं पर एनिमेशन फ़िल्म बनाएंगे. तो आपका ट्रीटमेंट इतना अलग होना चाहिए कि वो बाकी से बेहतर हो.”
वैसे ‘जम्बो’ और ‘रोडसाइड रोमियो’ जैसे काल्पनिक किरदारों पर आधारित एनिमेशन फ़िल्में पिछले कुछ समय में बनी हैं लेकिन वो बॉक्स ऑफ़िस पर बहुत सफल नहीं रहीं. लेकिन कृष्णा देसाई कहते हैं कि अब पौराणिक कथाओं के बाहर भी कहानियां बन रही हैं.
कृष्णा देसाई ने बीबीसी को बताया, ” टर्नर का एनिमेशन सीरियल ‘छोटा भीम’ पूरी तरह पौराणिक कथा नहीं है. केवल किरदार का नाम और उसकी शक्तियां पौराणिक किरदार के नाम से प्रेरित है लेकिन सारी कहानियां पूर्णत: मौलिक हैं. इसके बावजूद वो काफ़ी लोकप्रिय है. अब धीरे-धीरे एनिमेशन फ़िल्मों में पौराणिक कहानियां तो कम होंगी लेकिन उनमें इन कहानियों का कुछ न कुछ पुट तो फिर भी रहेगा.”
Monday, December 7, 2009
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