कॉमनवैल्थ गेम्स जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, दिल्ली को सुरक्षित और सुंदर बनाने के लिए जरूरी कामों को पूरा करने के प्रयासों में भी तेजी आ रही है । इन्हीं प्रयासों में से एक है दिल्ली की सड़कों पर रहने वाली बेघर महिलाओं के लिए अस्थायी तौर पर आवास की व्यवस्था करना ।
लंबे समय से माना जाता रहा है कि असामाजिक तत्वों के लिए बेघर महिलाएं सबसे आसान निशाना होती हैं । अस्थायी तौर पर ही सही, ऐसी किसी योजना का मूर्त रूप लेना महिलाओं के खिलाफ होने वाली आपराधिक गतिविधियों को कम करने में सहायक होगा । अगर योजना जल्द ही अमल में आ सकी तो बेघर महिलाओं में से कुछ को भीषण सर्दी की मार से बचाने में भी मदद मिल सकेगी ।
दिल्ली महिला आयोग की इस योजना के अनुसार, अस्थायी निवास में आधारभूत सुविधाओं की व्यवस्था होगी, जिसमें एक आवास में ५० से ६० महिलाएं ७ से १० दिनों के लिए ठहर सकेंगी । गैर अधिकारिक आंकड़ों की मानें तो दिल्ली में लगभग डेढ़ लाख लोग बेघर हैं, जिनमें महिलाओं की संख्या दस हजार है । इनमें भी बड़ी संख्या युवा महिलाओं और सिंगल मदर की है । ‘आश्रय अधिकार अभियान’ नामक एनजीओ और इंस्टिट्यूट ऑफ ह्यूमन बिहेवियर एंड एलाइड साइंसेज द्वारा किए गए एक सर्वे के अनुसार बेघर महिलाओ में से ७७.६ प्रतिशत १६ से ४५ वर्ष की उम्र की हैं । सर्वे में यह भी सामने आया है कि सड़कों पर जीने को मजबूर ९८ प्रतिशत महिलाएं किसी न किसी शोषण का शिकार होती हैं ।
हालांकि बेघर महिलाओं की संख्या को देखते हुए एक अस्थायी शेल्टर प्रयास नाकाफी है, पर आयोग के अनुसार समय के अनुसार आवास घरों की संख्या और क्षमता को बढ़ाने की दिशा में भी प्रयास किया जाएगा ।
दिल्ली महिला आयोग का मानना है कि इस योजना से कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान शहर की महिलाओं की सुरक्षा के संबंध में सकारात्मक छवि पेश करने में भी मदद मिलेगी । योजना को मूर्त रूप देने के लिए विभिन्न एनजीओ से भी बातचीत की प्रक्रिया शुरू हो गई है । जानकारी के अनुसार आयोग द्वारा २२ स्वयंसेवी संगठनों से इस संबंध में बातचीत की जा रही है । संभावना है कि यह आवास साल के आखिर तक पूरा हो जाएगा । इससे आगामी सर्दियों में भी कुछ महिलाओं को राहत मिल सकती है । वर्तमान में राजधानी में तीन शेल्टर निर्मल छाया, यंग वुमन क्रिश्चियन एसोसिएशन और बापनो घर, बेघर महिलाओं के लिए कार्य कर रहे हैं । झंडेवालान, निजामुद्दीन, कालकाजी, जामा मस्जिद, फाउंटेन चौक और जमुना बाजार कुछ ऐसे क्षेत्र हैं, जहां बेघर लोगों की संख्या सबसे अधिक देखने को मिलती है ।
- पूनम जैन
Monday, December 7, 2009
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