जहाँ हजारों मजदूर बिहार उत्तर प्रदेश, तथा भारत के विभिन्न भागों से दिल्ली अपनी रोजी रोटी कमाने के लिए आते हैं वहीं दिल्ली में महगाई ने उसका जीना दुर्लभ कर दिया है । पिछले साल से तुलना करें तो दाल, चीनी, चावल, दूध, आटा, नमक, सब्जी में भारी वृद्धि दर्ज की गई है । वहीं शीला दीक्षित सरकार ने डी.टी.सी बसों का किराया बढ़ा कर निम्नवर्गीय और मध्यवर्गीय लोगों को नर्क की जिंदगी जीने के लिए मजबूर कर दिया है ।
भारतीय कृषि मंत्री का कहना है कि “अगले तीन महीनों तक वस्तुओं के दाम में कोई कमी नहीं होगी” जिस कारण कालाबाजारी को बढ़ावा मिल रहा है । शीला दीक्षित सरकार का तर्क है कि डी.टी.सी बसों का किराया घाटे से उबारने के लिए किराया बढ़ाया गया है । दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित बयान दे चुकी हैं कि “दिल्ली को बिहार और उत्तर प्रदेश के लोग गन्दा करते हैं । उसके बाद बयान आया था कि “२०१० तक दिल्ली में कोई गरीब नहीं रहेगा । ”
गौरतलब है कि दिल्ली में अधिकांश गरीब बिहारी और उत्तर प्रदेश के लोग ही हैं । महंगाई के कारण ये दिल्ली में अपना जीवन गुजर-बसर नहीं कर सके ।
इसका कारण सरकारी कर्मचारी को मिलने वाले छठे वेतन है । इस छठे वेतन के आने से सरकारी खजानों पर काफी बड़ा असर पड़ा है जिसकी पूर्ति के लिए महंगाई बढ़ाई गई है । सरकार को यह समझना चाहिए कि जहाँ छठे वेतन से सरकारी कर्मचारी मालामाल हुए हैं वहीं प्राइवेट कर्मचारियों को आर्थिक मंदी ने नौकरी से भी छुटकारा दिला दिया है । हमारे यहाँ अभी भी लोगों को नमक रोटी तक नसीब नहीं हो रही है ।
Monday, December 7, 2009
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