Thursday, October 29, 2009

शिक्षा का अधिकार कानूनी बनी चुनौती

शिक्षा के अधिकार कानून को अमलीजामा पहनाने के लिए भारी-भरकम राशि का इंतजाम केंद्र सरकार के लिए बड़ी चुनौती साबित होने जा रहा है । मानवसंसाधन मंत्री कपिल सिब्बल स्वीकार कर चुके हैं कि केंद्र के पास कानून को लागू करने के लिए तकरीबन एक लाख ६४ हजार करोड़ रूपए का इंतजाम बड़ी चुनौती है ।
लेकिन केंद्र की चिंता को दरकिनार करते हुए राज्य सरकारों ने केंद्र से इस एक्ट को लागू करने के लिए ज्यादा पैसे की मांग शुरू कर दी है । वित्तीय साझेदारी के सवाल पर केंद्र को पहली चिठ्ठी भाजपा शासित मध्यप्रदेश से मिली है । मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मानवसंसाधन मंत्री कपिल सिब्बल को पत्र लिखकर कहा है कि शिक्षा के अधिकार कानून के लिए जरूरी कवायद शुरू करने के लिए जो पैसा खर्च होगा, उसका ९० प्रतिशत हिस्सा केंद्र वहन करे ।
चौहान ने लिखा है कि वित्तीय आवश्यकता पूरी होने पर ही कानून पर प्रभावी अमल संभव हो पाएगा । उन्होंने कानून का समर्थन करते हुए कहा है कि इसके प्रावधानों से निश्‍चित रूप से शिक्षा के मामले में बुनियादी फर्क दिखने लगेगा, लेकिन पैसे की उपलब्धता को उन्होंने बड़ी समस्या बताया है । गौरतलब है कि मानवसंसाधन मंत्री कपिल सिब्बल ने बीते दिनों सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र भेजकर शिक्षा के अधिकार कानून को लागू करने की दिशा में ठोस पहल शुरू करने का अनुरोध किया था ।
मानवसंसाधन मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि मंत्रालय ने वित्तीय जरूरतों के संबंध में वित्तमंत्रालय को लिखा है । वित्तमंत्रालय से अनुरोध किया गया है कि वह इस संबंध में जरूरी दिशा-निर्देश वित्त आयोग को दें । केंद्र की मंशा यह है कि सर्वशिक्षा अभियान सहित बुनियादी तालीम के लिए चल रही अलग-अलग योजनाओं को शिक्षा के अधिकार का हिस्सा बना दिया जाए । मानवसंसाधन मंत्रालय के आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि कानून लागू करने के लिए नियम बनाए जा रहे हैं । जल्द ही वित्तीय साझेदारी का फार्मूला ढूंढ़ लिया जाएगा । लेकिन केंद्र की मंशा यह है कि जिस तरह से एसएसए सहित अन्य केंद्रीय योजनाओं में केंद्र और राज्य की हिस्सेदारी तय है उसी तर्ज पर शिक्षा के अधिकार के लिए पैसा खर्च हो ।
उच्च शिक्षा के विस्तार के लिए बनेगा वित्त निगम :
गरीब छात्रों की पढ़ाई के लिए मुक्‍त लोन की योजना पेश करने के बाद अब केंद्र सरकार उच्च शिक्षा के विस्तार के लिए एक वित्त निगम गठित करना चाहती है । यह निगम शिक्षण संस्थानों व सामाजिक संगठनों को सस्ते कर्ज मुहैया कराएगा ताकि वे उच्च शिक्षा के ढांचे को मजबूत करने में मदद कर सकें । मानव संसाधन मंत्रालय की योजना के अनुसार, प्रस्तावित नेशनल हायर एजुकेशन फाइनेंस कॉपोर्रेशन (एनएचएफसी) उच्च शिक्षा के क्षेत्र में निवेश बढ़ाएगा । उसकी पूंजीगत जरूरतों को पूरा करेगा । शिक्षा के क्षेत्र में यह परोपकारी संगठनों को बढ़ावा देगा । पिछड़े इलाकों में व्यावसायिक व उच्च शिक्षा संस्थान स्थापित करने के लिए उन्हें कम दरों में कर्ज उपलब्ध कराएगा । एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, यह उच्च शिक्षा के क्षेत्र में नाबार्ड जैसे संस्थान की तरह काम करेगा । यह बांड जारी कर या बेचकर बाजार से धन जुटाएगा । विश्‍वविद्यालयों की स्थापना के लिए कर्ज मुहैया कराएगा ।

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