Saturday, October 31, 2009

एटमी युद्ध छिड़ा तो जीतेगा भारत, पाक होगा नेस्तनाबूद

भारत-पाकिस्तान के बीच अगर परमाणु युद्ध छिड़ा तो आखिरकार जीत भारत की ही होगी और पाकिस्तान का सफाया हो जाएगा । लेकिन इसकी उसे भारी कीमत चुकानी पड़ जाएगी । पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के कार्यकाल पर आधारित एक पुस्तक में दावा किया गया है कि भारत को इसके लिए अपने ५० करोड़ लोगों की जान गंवानी पड़ जाएगी । पुलित्जर पुरस्कार विजेता लेखक और इतिहासकार टेलर ब्रांच ने दावा किया है कि वर्ष १९९९ में करगिल युद्ध के दौरान भारतीय नेताओं ने तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन को दोनों के बीच परमाणु युद्ध के हालात के बाद के परिदृश्य बताए थे ।
इस पुस्तक में ‘ऐट मिसाइल्स इन बगदाद’ अध्याय नाम से परमाणु युद्ध के बारे में बताया गया है जिसमें लेखक ने दावा किया है कि क्लिंटन ने उन्हें बताया था कि पाकिस्तान में यदि भारत पर परमाणु बम दागे गए तो भारत पूरे देश को तबाह कर देगा । व्हाइट हाउस में क्लिंटन से हुई बातचीत और उसके रिकॉर्ड किए अंशों का हवाला देते हुए ब्रांच ने ७०० पन्‍ने की पुस्तक ‘द क्लिंटन टेप्स : रेसलिंग हिस्ट्री विद द प्रेसिडेंट’ लिखी है । पुस्तक में उन्होंने लिखा है ‘राष्ट्रपति ने एक संक्षिप्त नोट में सबसे पहले लिखा था कि स्ट्रॉब टालबॉट ने उनकी हाल की दक्षिण एशिया यात्रा पर एक रिपोर्ट सौंपी है । वर्ष १९९१-२००१ के दौरान क्लिंटन प्रशासन में कार्यरत टालबॉट फिलहाल बुकिंग्स इंस्टीट्‌यूट के अध्यक्ष हैं । इन दिनों बाजार में धूम मचा रही इस पुस्तक में क्लिंटन के आठ साल के कार्यकाल की ऐसी गहन अंतदृष्टि पेश करने का दावा किया गया है, जिसे पहले कभी नहीं सुना गया ।
ब्रांच लिखते हैं, ‘उन्होंने विश्‍व को दो देशों भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध के गंभीर खतरे का सामना करने को लेकर बातचीत भी की थी । उनकी आपसी दुश्मनी ऐतिहासिक रूप से स्थायी है और इसे कम करने की जरूरत है । व्यक्‍तिगत तौर पर क्लिंटन ने खुलासा किया कि भारतीय अधिकारियों ने उन्हें पाकिस्तान के पास परमाणु बमों की संख्या के बारे में मोटे तौर पर जानकारी दी थी जिससे अनुमान लगाया गया था कि दोनों के बीच परमाणु बमों की बौछार से ३० से ५० करोड़ भारतीयों की मौत हो सकती है जबकि पाकिस्तान के सभी १२ करोड़ लोग मौत के घाट उतारे जा सकते हैं । भारत इसके बाद अपने कुछ लाख लोगों के बचने के बाद जीत का दावा कर सकता है । दूसरी तरफ पाकिस्तान के पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले उनके लोग भारत के मैदानी इलाकों में रहने वालों की अपेक्षा ज्यादा बचेंगे । ’ क्लिंटन ने खेद जताते हुए कहा कि वे सचमुच इसी तरीके से बात करते हैं और हमारे दोनों देशों के साथ अच्छे संबंध नहीं रहे ।
राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान क्लिंटन के साथ अपनी बातचीत की श्रृंखला पर आधारित लेख में ब्रांच कहते हैं, ‘उनके बीच हथियारों की होड़ में भारत इस बात से क्षुब्ध था कि अमेरिका पाकिस्तान को एफ-१६ लड़ाकू विमान बेचने पर सहमत हो गया है और पाकिस्तान भी कम नाराज नहीं हुआ जब अमेरिका ने राशि पाने के बाद विमानों की आपूर्त्ति करने से इंकार कर दिया । ’ प्रेसलर विधेयक में संशोधन के तहत वर्ष १९९० के बाद इस तरह का हस्तांतरण रोक दिया गया था । इस विधेयक के मुताबिक किसी भी देश को परमाणु अप्रसार संधि के उल्लंघन के कारण परमाणु हथियार विकसित करने के लिए सैन्य सामग्री की बिक्री पर रोक लगा दी गई थी । ब्रांच ने कहा, ‘क्लिंटन ने बताया कि पाकिस्तान के लिए और ज्यादा नाराजगी इस बात से रही कि अमेरिकी कानून ने अपने एफ-१६ के भंडारण के लिए प्रशासन को तो पाकिस्तान से भुगतान पाने की अनुमति दे दी लेकिन ये विमान अमेरिकी कब्जे में सड़ते रहे । ’

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