अधर्म पर धर्म की विजय के रूप में प्रत्येक वर्ष विजयादशमी का त्यौहार मनाया जाता है । दुर्गा पूजा के अंतिम दिन अर्थात विजयादशमी को रावण का पुतला जलाया जाता है । संपूर्ण भारत में विजयादशमी का यह त्यौहार संपन्न हो गया परन्तु जाते-जाते कुछ संदेश भी छोड़ गया जिस पर गहन चिंतन की आवश्यकता है । १९८९ में केन्द्र सरकार के खिलाफ शुरू हुए विद्रोह के बाद पलायन के २० वर्षों तक कश्मीरी पंडितों को दशहरा मनाने का सिलसिला रूक सा गया था, परन्तु इस बार उन्हें कश्मीर में दशहरा मनाने को मंजूरी मिली । आतंकवाद के बावजूद कश्मीर न छोड़नेवाले ३२६५ कश्मीरी पंडितो के हितों के लिए संघर्षरत कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति (केपीएसएस) ने इस साल विजयादशमी पर कश्मीर में रावण, मेघनाथ, कुंभकर्ण जलाने का फैसला किया था ।
राजौरी में रूखसाना नामक लड़की ने शक्तिरूपा दुर्गा का रूप धारण कर आतंकवादियों का बहादुरी से मुकाबला किया । साधारण गाँव की इस लड़की के घर में नवमी के रात्रि में तीन आतंकवादी घुस आए थे । इन आतंकवादियों ने रूखसाना के अपहरण करने की कोशिश की थी । रूखसाना दो साल पहले १० वीं में फेल होने के बाद से पढ़ाई छोड़ चुकी थी और साधारण स्थित अपने घर में रहती थी । पुलिस सूत्रों के अनुसार घर में घुसने के बाद आतंकवादियों ने रूखसाना को सौंपने की माँग की । रूखसाना के पिता नूर हुसैन, माँ राशिदा और भाई इजाज ने इसका विरोध करने पर आतंकवादी उन्हें राइफल की बट से मारने लगे । इससे गुस्साई रूखसाना ने कुल्हाड़ी उठाई और एक आतंकवादी को ढेर कर दिया, जो लश्कर-ए-तैबा का अबू ओसामा था । रूखसाना के वार से दूसरा आतंकवादी घायल हो गया । डीजीपी ने रूखसाना को इनाम देने का ऐलान किया है । इस घटना ने साबित कर दिया कि वास्तव में रावण को खत्म करने के लिए साहस और पराक्रम होना चाहिए । सभी नागरिकों में यह भावना जागृत होनी चाहिए । यहाँ एक रावण क्या करोड़ों रावण हैं । क्या सब रावण जल गया ? इंदौर में रावण का पारंपरिक पुतला न बनाकर इसे मुंबई हमलों में पकड़े गए आतंकवादी अजमल कसाब का रूप दिया । दशहरा उत्सव आयोजकों के अनुसार आज आतंकवाद हमारा सबसे बड़ा दुश्मन है । इसलिए हमने फैसला किया कि रावण की जगह पाकिस्तानी आतंकवादी कसाब का पुतला जलाया जाय । सरकार तो कसाब को सजा नहीं दे पाई लेकिन इस तरह हम अपनी भावनाएँ जता रहे हैं । ”
कसाब रूपी रावण का पुतला जलाया जाना इस बात का प्रतीक है कि आक्रोशित जनता की अभिव्यक्ति क्या रूप ले सकती है । दशहरा के मौके पर हरियाणा के बराड़ा कस्बे में दुनियाँ के सबसे लंबे रावण के १७५ फुट के पुतले को आग लगाई गई जिसे खड़ा करने में ही १२० फुट लंबी क्रेन की मदद लेनी पड़ी । स्थानीय रामलीला क्लब के अध्यक्ष तेजिन्द्र राणा के अनुसार जैसे-जैसे समाज में बुराईयाँ बढ़ रही हैं, वैसे-वैसे रावण का पुतला भी बड़ा किया जा रहा है ।
इधर कानुपर में दलितों ने रावण का पुतला जलाने के विरोध में रावण मेले का आयोजन किया और रावण की पूजा की । प्रश्न यह उठता है कि दलितों ने रावण को जलाने के बजाय रावण की पूजा क्यों की? यह शोध का विषय है कि अत्याचार, शोषण, भ्रष्टाचार और आतंकवाद के प्रतीक रावण को यहाँ महिमामंडित क्यों किया गया ? देश के रहनुमाओं, चिंतकों, समाजशास्त्रियों एवं इतिहासकारों को रावण के इर्द-गिर्द के तमाम प्रश्नों के हल तलाशने होंगे क्योंकि इन प्रश्नों के उत्तर एवं समाधान का सीधा संबंध हमारे राष्ट्र की एकता, अखंडता एवं संप्रभुता से है । रावण के पुतले को जलाने का सही और सापेक्ष संदेश समाज में अगर नहीं जा रहा है तो यह गंभीर चिंता का विषय है । पद, प्रतिष्ठा और पावर वाले व्यक्ति खुद को देश, कानून और उपर समझने लगता है । पावर का दुरूपयोग खबर तब बनती है जब आम जनता या तो बहुत अधिक सताई जाए या फिर पावर बनाम पावर का गेम खुलकर सामने आए । समय दर्पण परिवार की ओर से सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ ।
-GOPAL PRASAD : 09211309569
Friday, October 2, 2009
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आपका प्रश्न उचित और सोचनीय है आज देश की हालत देख कर यही सवाल उठता है की क्या रावण जल गया?..
ReplyDeleteप्रश्न यह उठता है कि दलितों ने रावण को जलाने के बजाय रावण की पूजा क्यों की?
ReplyDeleteसही है !!
हम प्रतीक के रूप में रावण के पुतले जलाते है, कि बुराई को समाप्त कर दिया। हर वर्ष की परंमपरा समाज के असली रावण को अंत नही कर पाई है। हमारे नेता इतने भ्रष्ट हो चुके है कि समाज पतन की ओर जा रहा है। भ्रष्टाचार आज का असली रावण है। क्या हम उसका अंत कर पाएगें?
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