Saturday, October 31, 2009
खटिक समाज के अंबेडकर डॉ. गंगाराम निर्वाण
अनसूचित जाति (खटिक) के कर्मठ समाजसेवी डॉ. गंगाराम निर्वाण का निधन ३० अगस्त २००९ को ९० वर्ष की आयु में हो गया । जीवट व्यक्तित्व के धनी और खटीकों को राजनीति में आने का आग्रह करते हुए अपना पूरा जीवन लगाने वाले इस महापुरूष का जन्म ६ अप्रैल १९१९ को हुआ था ।
छात्र राजनीति :तिब्बिया कॉलेज में जाने के बाद छात्र राजनीति के माध्यम से इन्होंने अपने संघर्ष की शुरूआत की । वहाँ दलितों पर होनेवाले अत्याचारों को लेकर विरोध करते हुए अनेक माँगपत्र व ज्ञापन दिए । छात्रों को संगठित करने के कारण बी.ए.एम. एस. की डिग्री पूरी न करने के इरादे से इनको तिब्बिया कॉलेज से निकाल दिया गया परन्तु निष्कासन इनका मनोबल न तोड़ पाया । इनके आंदोलन को साथी छात्रों से मिल रहे समर्थन को देखते हुए दिल्ली के प्रथम मुख्यमंत्री ब्रह्म प्रकाश जी से मिल रहे समर्थन के कारण इनको कॉलेज में दोबारा दाखिला मिल गया । इस आंदोलन से एक फायदा यह हुआ कि दिल्ली के प्रथम मुख्यमंत्री ब्रह्मप्रकाशजी के सीधे सम्पर्क में आ गए ।
अंबेडकर के अनुयायी :
१९६१ में कौमी मुसाफिर बाबा प्रभाती ने इनका परिचय डॉ. भीमराव अंबेडकर से कराया । उसके बाद नियमति रूप से बाबा साहेब की शिक्षा का अवलोकन एवं अनुसरण करना उनका धर्म ही बन गया । इनकी कर्मठता, निष्ठा एवं जुझारूपन को देखते इन्हें दिल्ली प्रदेश रिपब्लिकन पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया । डॉ. गंगाराम निर्वाण ने इस पार्टी की पहचान को दिल्ली में एक मुकाम तक पहुँचाया ।
संसद में सभी महानुभावों की मूर्ति थी, मगर जिसने भारत को संसदीय लोकतंत्र दिया उसकी मूर्ति लोकतंत्र के मंदिर अर्थात संसद में न होने से भारत के करोड़ों दलितों को अच्छा नहीं लगा । इसलिए १९६२ में दादा साहेब गायकवाड़ के नेतृत्व में संसद में बाबा साहेब की मूर्ति लगाने का आंदोलन किया । उस आंदोलन में उत्तर भारत से कमान बी.पी. मौर्य ने तथा दिल्ली में बाबा प्रभाती, डॉ. गंगाराम निर्वाण और उनके सहयोगियों ने संभाल रखी थी । इस आंदोलन में लाखों लोग जेल भरो अभियान में शामिल हुए । इसके परिणामस्वरूप जेल में जगह न होने के कारण अनेक स्कूलों को भी जेल का रूप देना पड़ा । इस आंदोलन में इनकी माता मनवरी देवी ने भी अपनी गिरफ्तारी दी । अंत में तिब्बिया कॉलेज यहाँ भी इनकी व इनके साथियों की विजय हुई । संसद भवन में बाबा साहेब की विशाल मूर्ति लगी है, वहाँ हर वर्ष लाखों लोग १४ अप्रैल व ६ दिसम्ब्बर को अपने प्रिय नेता बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर को श्रद्धांजलि देने जाते हैं ।
आजीविकाः
१९५५ से १९६९ तक करोलबाग में अपनी मोडिकल प्रैक्टिसनर की प्रैक्टिस शुरू की, जो अच्छी चल रही थी, परन्तु राजनीति में आने के कारण कई बार इस पर भी असर पड़ा । प्रसाद नगर, करोलबाग उठने के बाद १९६९ से मादीपुर में चिकित्सालय खोला । वे गरीब लोगों की हालत देखकर मुफ्त में ही इलाज करते थे ।
राजनीति ः
दिल्ली में रिपब्लिकन पार्टी की जड़ें मजबूत करने के बाद स्वयं भी चुनाव लड़े व अन्य को भी चुनाव लड़ाया । इन्होंने १९६२ का संसदीय चुनाव लड़ा । १९६७ में जब ये संसदीय चुनाव लड़े तो बच्चे-बच्चे की जुबान पर एक ही स्वर था- “बटन खोलो छाती के, मोहर लगेगी हाथी पर” । इनके साथ संघर्ष करनेवालों में से अनेक आज दिल्ली की राजनीति के शीर्ष स्थान पर हैं । अशिक्षा एवं छोटी सीट, बड़ी सीट के चक्कर में इनके स्थान पर इनके सहयोगी को विजय मिल गई और ये मात्र कुछ वोटों से चुनाव हारे ।
हालांकि इनके मार्गदर्शन प्राप्त अनेक कार्यकर्ता बाद में सांसद व विधायक बने । १९६९ में प्रसाद नगर टूटने पर मादीपुर, नांगलोई आदि पर २५ गज के प्लॉट दिए गए तो उसके खिलाफ ३० गज के प्लॉट देने हेतु सघन आंदोलन चलाया । १९७१ में लोगों ने इनको अपने बलबूते पर चुनाव में खड़ा करवाया । वोटों की कथित धांधली के कारण एक बार फिर ये कुछ वोटों से चुनाव हार गए । जिसके खिलाफ हर तरफ आंदोलन प्रारंभ हो गए और इन्होंने दो माह तक अन्न ग्रहण नहीं किया तथा मौन व्रत धारण किए रहे । अत्याचार के खिलाफ इस आंदोलन को देखकर वर्तमान दलित आंदोलन के एक प्रहरी नेतराम ठगेला पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ा । खटिक महिलाएँ काफी समय से रद्दी से लिफाफे बनाने का काम करती थीं परन्तु एक हजार लिफाफे बनाने पर उन्हें मात्र कुछ आने ही मिलते थे । इसके खिलाफ डॉ. गंगाराम निर्वाण ने बहुत बड़ा आंदोलन शुरू किया । पहली बार खटिक महिलाओं हजारों की संख्या में घर से बाहर निकलकर एक-दो दिन नहीं बल्कि लंबे समय तक आंदोलन में हिस्सा लिया । इस आंदोलन की बदौलत लिफाफे की मजदूरी में काफी बढ़ोत्तरी हुई ।
सामाजिक आंदोलन ः
रिपब्लिकन पार्टी के लगातार कमजोर होने से इनको गहरा धक्का लगा और मनीराम बडगूजर, बद्री प्रसाद सांखला के साथ मिलकर इन्होंने मजदूर एकता यूनियन बनाई । उनके बैनर तले मजदूरों की काफी समस्याओं को सुलझाने में सफलता मिली । राजनीति में बढ़ रहे अत्याचारों को रोकने के लिए १९७६ में इन्होंने भ्रष्टाचार विरोधी समिति बनाई और काले धन को निकालने का प्रयास किया ।
बहुजन समाज पार्टी में प्रवेश ः
बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर की विचार धारा को आगे लेकर चलनेवालों में डॉ. गंगाराम निर्वाण के एक विशिष्ट लेकर चलनेवालों में देखते मान्यवर कांशीराम ने उनसे १९८९ में बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने का आग्रह किया जिसे वह टाल नहीं सके । उसके उपरान्त वे दिन-रात एक करके बहुजन समाज पार्टी के लिए काम किए । आज बहुजन समाज पार्टी इतनी बड़ी पार्टी बनी है तो उसमें कहीं न कहीं डॉ. गंगाराम निर्वाण का भी योगदान है ।
डॉ. निर्वाण अंबेडकर भवन के संस्थापकों में से एक रहे । इन्होंने जीवन भर प्रयास किया कि खटीक समाज के लोग राजनीति में आकर बाबा साहब के संदेश को अपनाएँ, संसद में पहुँचें । तभी उनका भला होगा और समतामूलक समाज बनने की दिशा में काम होगा । जब दिल्ली प्रदेश खटिक समाज का गठन नेतराम ठगेला एवं सामचंद रिवाड़िया ने किया तो डॉ. गंगाराम निर्वाण ने उन्हें सांगठनिक समस्याओं के प्रति सचेत किया । दिल्ली प्रदेश खटिक समाज को आंदोलनरत करने में तथा समाज के जनजागरण में डॉ. गंगाराम निर्वाण के सलाह का प्रमुख योगदान है ।
शोक संदेश ः
मादीपुर (दिल्ली) के कांग्रेस विधायक मालाराम गंगवाल ने कहा कि डॉ. गंगाराम निर्वाण समाज के अग्रज बंधुओं में से एक थे, जिन्होंने अपने जीवन का सब कुछ लगाकर समाज को राजनीति में आने को प्रेरित किया ।उनके प्रेरणा के बलबूते पर विभिन्न राजनैतिक दलों में हमारे समाज की भागीदारी सुनिश्चित की । बाबासाहेब अंबेडकर के दिखाए रास्ते पर चलकर पूरी जिंदगी लोकसभा, महानगर परिषद के कई चुनाव लड़कर समाज के लोगों को जगाया । अपनी संघर्षमयी जिंदगी से दिल्ली ही नहीं वरन् उत्तरप्रदेश, पंजाब, हरियाणा, व राजस्थान के लोगों के बीच भी अलख जगाई । केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री कृष्णा तीरथ ने कहा कि डॉ. निर्वान से मेरे पिता व ससुर के साथ पारिवारिक रिश्ते थे । इनके साथ-साथ उस समय अनेक दलित नेताओं के बदौलत दिल्ली में करोलबाग को दलित आंदोलन की रीढ़ कहा जाता था । यदि हम डॉ. निर्वाण को सच्ची श्रद्वांजलि देना चाहते हैं तो दलित समाज की सभी उपजातियों को साथ मिलकर समाज का स्तर ऊँचा करने के प्रयास करने चाहिए ।
पूर्व सांसद सज्जन कुमार ने कहा कि डॉ. गंगाराम निर्वाण वास्तव में शेरे दिल्ली थे । वे न केवल दलित बल्कि पिछड़े वर्ग सहित सभी के विकास के लिए काम करते थे । समतामूलक समाज का निर्माण करना उसका सपना था । यदि वे चाहते तो सांसद आदि बन सकते थे मगर उनमें परिवार से ज्यादा त्याग व विचारधारा से प्यार था । उन्होंने कहा कि विधायक मालाराम गंगवाल से बात करके मादीपुर में एक रोड का नाम डॉ. गंगाराम निर्वाण के नाम पर रखा जाएगा ।
अनुसूचित जाति/जनजाति परिसंघ एवं इंडियन जस्टिस पार्टी के अध्यक्ष डॉ. उदितराज ने कहा कि डॉ. गंगाराम निर्वाण ने बाबा साहब के आंदोलन व बुद्ध के मार्ग का जिंदगी भर अनुसरण किया । वे अपनी जाति में पैदा होने के कारण ऊँचाइयों को नहीं पा सके । बाबा साहेब का आंदोलन चलाने वालों में एक ऐसा ग्रुप भी है जो दिखाने के लिए जातिवाद के खिलाफ आवाज बुलंद करता है, मगर स्वयं जातिवाद का घिनौना उदाहरण पेश करते हैं । वास्तव में डॉ. निर्वाण भी उसी जातिवादी सोच के शिकार हुए वर्ना इतने लंबे समय तक बाबा का मिशन पूरी ईमानदारी व पूरी ताकत और लगन से करने के बाद भी उन्हें राजनैतिक मंजिल नहीं मिली, जिसके वे हकदार थे । वे विशुद्ध रूप से मानवतावादी थे तथा जातिवाद के खिलाफ थे । यदि हमारा देश उनके दिखाए राह पर चले तो यह देश विश्व की महाशक्ति बन सकता है ।
अखिल भारतीय खटिक समाज के प्रधान महासचिव मामचंद रिवाड़िया ने कहा कि डॉ. निर्वाण ने “जागते रहो” का नारा लगाते हुए समाज को जगाने का काम किया । वे अपनी बात पूरी निडरता से कहते थे । उन्होंने कहा कि उनकी मुत्यु से १५ दिन पूर्व मैं उनसे मिला था । उन्होंने समाज के कार्य के लिए मुझे हमेशा की भाँति कुछ गुर बताए । हमें उनके बताए मार्ग पर चलकर उन्हें श्रद्वांजलि देनी चाहिए ।
दिल्ली प्रदेश बहुजन समाजपार्टी के सचिव ने कहा कि आज जब किसी की मुत्यु हो जाती है तो लोग शाम तक भूल जाते हैं लेकिन आज इतने दिन बाद शोकसभा होने पर इतनेलोग आए तो समझा जा सकता है कि उन्होंने समाज के प्रति कितना काम किया होगा । मुझे इतने महान व्यक्ति का शिष्य होने का मौका मिला है । कांशीरामजी कहते थे कि माँगना नहीं देना सीखो आओ अपना घर मजबूत बनाएँ । यही डॉ. निर्वाण की सच्ची श्रद्धांजलि होगी ।
- गोपाल प्रसाद
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