Monday, October 26, 2009
दरभंगा महाराज की तिजोरी खुली
मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग की टीम के सामने चार घंटे की कड़ी मशक्अकत से गुरूवार को महाराजाधिराज रामेश्वर सिंह अभिलेखागार में रखी तिजोरी खोली गई ।
तिजोरी से १८वीं सदी में लिखा १२ खंड में अकबरनामा, राज घराने की २१ पीढ़ियों की वंशावली की मूल कापी, १९वीं सदी के कांग्रेसी नेताओं को लिखे पत्र, अंग्रेजों व राज घराने के बीच हुए इकरारनामे के कागजात समेत कई महत्वपूर्ण दस्तावेज मिले हैं । ये दस्तावेज काफी महत्वपूर्ण बताए जा रहे हैं, जिसकी छानबीन की जा रही है । ब्रिटेन में १८वीं सदी की चब कंपनी द्वारा निर्मित तिजोरी खोलने की कोशिश दिन के १०.४५ बजे शुरू हुई, २.४५ बजे इसे खोलने में सफलता मिली । इस समय बिहार राज्य अभिलेखागार निदेशालय के अभिलेख निदेशक डा. विजय कुमार सहायक निदेशक रवीन्द्र नाथ बैठा, स्थापना पदाधिकारी डा. बादशाह चौबे, पटना के खुदा बख्श लाइब्रेरी के पाण्डुलिपि विशेषज्ञ शकील अहमद शम्शी एवं स्थानीय क्षेत्रीय अभिलेखागार के पूरा अभिलेखापाल संजय खान के अलावा दंडाधिकारी सदर एसडीओ संजय कुमार सिंह मौजूद थे । इस मौके पर राज घराने के प्रबंधक अरूण कुमार, उनके प्रतिनिधि व पूर्व विधायक नीतीश्वर प्रसाद सिंह ने बताया कि १७३३ ईसवी में आलाउद्दीन नामक कातिब द्वारा लिखे गए १२ अंकों में अकबरनामा की मूल प्रति भी तिजोरी से मिली है । इसके अलावा सन १२०० ई. से दरभंगा राजघराने की २१ पीढियों की वंशावली के अलावा क्वीन विक्टोरिया ने महाराजाधिकाराज लक्ष्मेश्वर सिंह को जो ग्रेंड कमांडर आफ द आर्डर आफ ब्रिटिश एम्पायर की उपाधि दी थी, उस प्रशस्ति पत्र की मूल कापी भी टीम के हाथ लगी है । महाराजा महेश्वर सिंह की मृत्यु के बाद १८६२ में कोर्ट आफ वार्ड व राजघराने के बीच हुए महत्वपूर्ण इकरारनामे का दस्तावेज भी बरामद हुआ है । इस इकरारनामे में कहा गया था कि फिलहाल महाराजा लक्ष्मेश्वर सिंह नाबालिग हैं, इस कारण सारी संपत्ति की देखभाल कोर्ट आफ वार्ड करेगा । सिंह के बालिग होते ही पुनः सारी जायदाद घराने को सौंप दी जाएगी । १८७९ में यानी १७ वर्षों बाद कोर्ट ने इकरारनामा के मुताबिक ही काम किया । इसके अलावा मुगल बादशाह आलमगीर द्वितीय का फारसी में लिखा शाही फरमान का कागजात भी मिला है । महत्वपूर्ण दस्तावेजों में राजघराने द्वारा १९वीं शताब्दी की अगली पंक्ति के कांग्रेसी नेताओं को लिखे पत्रों की मूल कापी भी शामिल है । कांग्रेस पार्टी को घराने द्वारा दिए जा रहे आर्थिक सहयोग की चर्चा भी कई दस्तावेजों में मिली है ।
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