Thursday, September 3, 2009

स्वाइन फ्लू पर भारी दिमागी बुखार की सनसनी


देश का स्वास्थ्य ढाँचा ःबेशक अमीरी के मामले में हमें संसार के सभी विकासशील देशों में सबसे आगे बताती हो परंतु शक्‍ति के सारे मानकों पर इतनी ऊँची जगह के बाद भी भारत की जनता हर साल बहुत बड़ी संख्या में निमोनिया, खसरा, पेचिश, प्रसूति ज्वर, शिशु संक्रमण, डेंगू , मलेरिया, टीवी, टिटनेस और सर्पदंश जैसी छोटी-छोटी बीमारियों और दुर्घटनाओं से मर जाते हैं, जिन्हें दुनिया भर में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से आगे की समस्या नहीं समझा जाता है । जब सरकार सार्वजनिक स्वास्थ्य को अपनी जिम्मेदारी मानती थी, ‘तब भी हालत कुछ खास अच्छी नहीं थी, परन्तु नई आर्थिक नीति के गति पकड़ने के साथ ही जैसे-जैसे स्वास्थ्य का जिम्मा नर्सिंग होमों, निजी अस्पतालों और हेल्थकेयर कंपनियों पर छोड़ा जाने लगा वैसे-वैसे चीजें एक अजीब घपले की शक्ल लेती गईं । सरकार की तरफ से प्रतिवर्ष पेश किए जाने वाले राष्ट्रीय बजट में स्वास्थ्य पर होने वाला खर्च बढ़ता हुआ दिखाई देता है परंतु वास्तविकता के धरातल पर हर नए बजट के साथ देश में कहीं ज्यादा लोगों को इलाज के बगैर तड़प-तड़प कर मरने के लिए छोड़ दिया जाता है । देश का सार्वजनिक स्वास्थ्य ढाँचा पूरी तरह तबाह हो जाने के बावजूद देश में स्वास्थ्य पर किए जाने वाले खर्च का ग्राफ लगातार चढ़ता ही नजर आता है । क्या यह ढाँचा अभी “स्वाइन फ्लू” का झटका सहने को तैयार है ?साथ आए अंबिका और आजादस्वाइन फ्लू को देश में और न फैलने देने के लिए केंद्र सरकार ने कमर कस ली है । अब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद और सूचना एवं प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी इस मोर्चे पर एक साथ आ गए हैं । जहां स्वास्थ्य मंत्रालय इस संक्रामक बीमारी के परीक्षण, इलाज और टीकाकरण के लिए युद्धस्तर पर जुट गया है, वहीं सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने इस बीमारी के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करने का जिम्मा ले लिया है । बच्चों को स्वाइन फ्लू के संक्रमण से बचाने के लिए स्वास्थ्य मंत्री ने स्कूलों को सलाह दी है कि फिलहाल कुछ दिनों तक स्कूलों में होने वाली सुबह की सभाएं न आयोजित की जाएं और स्कूलों में शिक्षकों की ड्‌यूटी लगाई जाए कि वह हर कक्षा में हर सीट पर प्रतिदिन हर बच्चे की जांच करें और जिस बच्चे में सर्दी जुकाम के जरा भी लक्षण हों, उसे इलाज के लिए फौरन घरवालों के पास भेंजे । आज के मुताबिक जल्दी ही मंत्रालय द्वारा स्वाइन फ्लू का संक्रमण रोकने के लिए जारी किए जाने वाले निर्देशों में भी इसे शामिल किया जाएगा । कई दिनों तक स्वाइन फ्लू को लैकर फैली दहशत और अफरातफरी के लिए मीडिया को दोषी ठहराने वाले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद, टीवी न्यूज चैनलों और समाचार पत्रों के वरिष्ठ संपादकों से रूबरू हुए । आजाद और मीडिया के बीच यह संवाद केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने आयोजित कराया । मौके पर आजाद के साथ अंबिका भी मौजूद थीं । वरिष्ठ संपादकों के साथ इस अनौपचारिक बातचीत में आजाद ने सरकार द्वारा अब तक इस बीमारी की रोकथाम के लिए उठाए गए कदमों का ब्यौरा दिया । आजाद ने बताया कि विश्‍व स्वास्थ्य संगठन के अटलांटा स्थित रोग रोकथाम केंद्र से स्वाइन फ्लू के वाइरस का मूल मिलने के बाद भारत ने इसका टीका विकसित करने का काम शुरू कर दिया है और अगले पांच से सात महीनों के भीतर इसका टीका आ जाएगा । फिर टीकाकरण के जरिए इस घातक बीमारी को फैलने से रोका जा सकेगा । उन्होंने बताया कि संक्रमण रोगों की रोकथाम के लिए मौजूदा पुराने कानून की जगह जल्दी ही नया कानून भी बनेगा । स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य एवं चिकित्सा राज्य सूची का विषय है, इसलिए इस बीमारी की रोकथाम में राज्य सरकारों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है । केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सचिव और संयुक्‍त सचिव स्तर के अधिकारियों के नेतृत्व में करीब ४५ टीमें गठित की हैं जो अलग अलग राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों में जाकर वहां स्वाइन फ्लू की रोकथाम के लिए जरूरी जानकारी देंगी और जरूरी कदम उठाने में मदद करेंगी । आजाद ने बताया कि इस बीमारी से अभी तक कुल ८० लोगों की जान गई है । जांच में कुल १७०० से ज्यादा लोगों में स्वाइन फ्लू पाया गया, जिसमें पांच सौ से ज्यादा ठीक होकर घर जा चुके हैं । स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि जिन लोगों की मौत हुई है, उनमें ज्यादातर मामले ऐसे हैं जिनमें इस बीमारी का पता या तो देर से चला या रोगी को हृदय रोग, टीबी, कैंसर, ब्लड प्रेशर, किडनी की खराबी जैसी कोई दूसरी पुरानी बीमारी भी थी, जिससे उसकी प्रतिरोधक क्षमता घट चुकी थी । आजाद ने बताया कि इस बीमारी की जांच की सुविधा पहले सिर्फ दो सरकारी प्रयोगशालाओं में थी । अब १६ अन्य प्रयोगशालाओं में भी यह सुविधा बहाल हो गई है, इस तरह कुल १८ सरकारी प्रयोगशालाओं में जांच सुविधा है । दिल्ली में अन्य छह निजी प्रयोगशालाओं में भी जांच की सुविधा बहाल हो गई है । जबकि तीन निजी प्रयोगशलाओं में पहले से यह सुविधा है । रक्षा मंत्रालय ने भी अपनी कुछ प्रयोगशालाओं को इस बीमारी की जांच के लिए तैयार किया है । इस बीमारी की रोकथाम के लिए गठित टास्क फोर्स भी अपनी रिपोर्ट सौंपेगी । इस बीमारी की शुरूआत अमेरिका, मैक्सिको जैसे देशों में हुई । वहां से यह विदेशी पर्यटकों के जरिए भारत पहुंची । आजाद ने बताया कि देश के सभी हवाई अड्‌डों, बंदरगाहों पर विदेशों से आने वाले लोगों की गहन जांच की जा रही है । देश के प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों पर २४ थर्मल स्कैनर लगाए जाएंगे, जिनसे यह पता चल सकेगा कि किस यात्री को बुखार है । साथ ही बाहर से आने वाले जिन यात्रियों में स्वाइन फ्लू के लक्षण पाए गए, उनके सहयात्रियों का पता लगाकर उनका परीक्षण किया जा रहा है । फ्लू पर सितारों की राय शबाना आजमी ने कहा - “ स्वाइन फ्लू से हमारी जिंदगी प्रभावित नहीं हुई है । फ्लू के खौफ से पैदा हुआ हिस्टीरिया इसके इलाज में अड़चन पैदा कर सकता है । एक-दूसरे पर दोष मढ़ने से बेहतर है, हम जिम्मेदार नागरिक की तरह बर्ताव करें और सुनिश्‍चित करें कि लोग अलर्ट रहें, सचेत रहें । ”हेमा मालिनी ने कहा - “मैं इस बीमारी की भयावहता समझ नहीं पा रही हूँ । जन्माष्टमी पर मेरे कई शो होने थे लेकिन कैंसल कर दिए गए, तब मुझे हालात की गंभीरता का अंदाजा हुआ । हमें इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए । हमें बहुत सावधान रहने की जरूरत है । ” बिपाशा बसु ने कहा - “मैं अभी विदेश में हूं । लेकिन मैंने भारत में फैले स्वाइन फ्लू के बारे में सुना है, इससे मैं बहुत दुखी हूं और डर भी लग रहा है । उम्मीद है, हालात बहुत जल्द सामान्य हो जाएंगे । ”अमृता अरोड़ा ने कहा - “सचमुच फ्लू ने मुझे हिलाकर रख दिया है । लेकिन डरने के बजाय मैं निर्देशों कापालन कर रही हूं । मास्क पहनती हूं । बिस्तर के पास सौनिटाइजर रखती हूं । मैंने अपने स्टाफ जो भी प्रिकॉशन लेने को कहा है । रिया सेन के अनुसार - “ जितना संभव है, मैं सावधानी बरत रही हूं । ऑफिस, घर यहां तक की बिल्डिंग के वॉचमैन भी मास्क पहनकर रहे, इसका मैं ध्यान रख रही हूं । ” आईटी इंडस्ट्री सतर्क ःस्वाइन फ्लू केचलते ६० अरब डॉलर के आईटी जगत में यात्राएं और दूसरे कार्यक्रम स्थगित हो रहे हैं । नैसकॉम के अध्यक्ष सोम मित्तल ने बताया, ऐहतियाती कदम उठाते हुए हमने कुछ कार्यक्रमों को स्थगित कर दिया है । इंफोसिस के प्रमुख वित्तीय अधिकारी वी। बालाकृष्णन ने कहा, हम अपने कर्मचारियों को केवल बहुत जरूरी होने पर शहर में निकलने को कह रहे हैं । विप्रो के मुख्य वित्त अधिकारी ने सुरेश सेनापति ने कहा कि कंपनी स्थिति का निरीक्षण कर रही है । केवल स्वस्थ कर्मचारी ही काम कर रहे हैं । फ्लू की चपेट में ऐश्‍वर्या ऐश्‍वर्या राय में फ्लू जैसे लक्षण दिखाई दिए हैं । इससे उनके ससुर अमिताभ बच्चन खासे परेशान है । ऐश्‍वर्या हाल में अपने पति अभिषेक बच्चन के साथ ऊटी में फिल्म रावण की शूटिंग कर रही थीं । अमिताभ ने अपने ब्लॉग में चिंता जताते हुए लिखा है, ऐश्‍वर्या को तेज बुखार था पर अब हालत सुधर रही है। बच्चों से दूर रहने पर चिंता बढ़ जाती है । हां, वे मच्योर हैं शादीशुदा हैं पर बच्चे तो आखिर बच्चे ही रहेंगे । खुद अमिताभ पीठ दर्द से परेशान हैं और इस समय सिंगापुर में रहकर अपने बीमार राजनेता दोस्त अमर की देखभाल कर रहे हैं । स्वाइन फ्लू या एच१ एच१ वायरस अब अंतर्राष्ट्रीय आपदा के रूप में फैल चुका है । विश्‍व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का अनुमान है कि इस समय दुनिया भर में कम से कम १.६ लाख मामले सामने आ चुके हैं और इससे कम से कम ११०० लोगों की मौत हो चुकी है । भारत में स्वाइन फ्लू से प्रभावित लोगों की संख्या बहुत कम है । अब तक देश भर में लगभग ५००० लोगों में इस वायरस की जाँच की जा चुकी है और सिर्फ ११९३ इससे प्रभावित पाए गए हैं । जिसमें ५८९ को अस्पताल से छुट्‌टी दे दी गई है । इस वजह से हुई मौत चिंता की बड़ी वजह है । यह न सिर्फ केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा मामले की गंभीरता से निपटने और रोक के लिए समयबद्ध कदम उठाने में लापरवाही दिखाता है बल्कि आम लोगों द्वारा बचाव के उपाय अपनाने की जानकारी भी उजागर करता है सरकार को लोगों को भरोसे में लेकर जाँच केन्द्र और आइसोलेशन वार्ड तैयार करने थे तथा दवाओं के अंधाधुंध वितरण पर प्रतिबंध लगाना था और सरकारी वितरण केंन्द्रों से इसकी उपलब्धता सुनिश्‍चित करनी चाहिए थी । भारत में मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत पहचान और स्वाइन फ्लू का इलाज बहुत जरूरी है । इसके लिए आवश्यक है कि कई ऐसे केन्द्र हों, जहाँ इससे संबंधित परीक्षण किए जा सकें, दवाइयों का वितरण हो और इसका इलाज हो सके । अब तक सरकार इसकी जाँच पर आने वाले खर्च (लगभग दस हजार रूपए) को खुद उठा रही थी, परन्तु अगर हमारी जनसंख्या का एक वर्ग इसको वहन कर सकता है तो सरकार को कोई जरूरत नहीं है कि वह सबके लिए इसका खर्च उठाए । देशभर की प्रतिष्ठित खुदरा दवा दुकानों से इसकी बिक्री की इजाजत भी लोगों में भरोसा कायम करेगी । लोगों द्वारा खुद जाँच और इलाज के खतरे से बचाने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जा सकता है । स्कूल-कॉलेज और सिनेमा हॉल बंद करने जैसे कदम जरूरी नहीं । सरकार को अनता से सीधे संवाद स्थापित करने की आवश्यकता है । इसकी जाँच के लिए सरकार को हरसंभव व्यवस्था करनी चाहिए और लोगों को इससे बचाव के लिए जागरूक करना चाहिए । आम जनों में भरोसा की बहाली करके ही इस पर काबू पाया जा सकता है । इन फ्लू का बुखार सरकार पर भी चढ़ गया है और केंद्र तथा सभी राज्य इस पर हरकत में आ गए हैं । इसे देखकर केंद्र ने राज्यों से बीमारी पर काबू के लिए फौरन कदम उठाने को कहा है । प्रभावक्षेत्र, खर्च, सावधानी ःसबसे ज्यादा प्रभावित पुणे में ६२ मामलों में १ स्कूली लड़की की मौत हो गई । मुंबई और बडोदरा में भी एक-एक जान इस बीमारी से चली गई । इसे देखकर महाराष्ट्र सरकार ने ८ निजी अस्पतालों में भी स्वाईन फ्लू के जाँच उपचार केन्द्र खोलने की फैसला किया है । समय दर्पण के दिल्ली ब्यूरो के अनुसार दिल्ली में फ्लू की आशंका में ५ स्कूलों को बंद किया जा चुका है । यहाँ १४ अस्पतालों में इसकी जाँच की जा रही है और २२८ लोगों में स्वाइन फ्लू के लक्षण मिले हैं । समय दर्पण के कोलकाता प्रतिनिधि के अनुसार कोलकाता में इस बीमारी की चपेट में १० लोग आ चुके हैं । हरियाणा सरकार ने राज्य में महामारी नियमन लागू किया है, जिसमें निजी डॉक्टरों को भी संदिग्ध रोगियों की जानकारी सिविल सर्जन को देनी होगी । समय दर्पण के लखनऊ प्रतिनिधि के अनुसार उत्तरप्रदेश के १२ जिलों में प्रदेश सरकार द्वारा स्थापित स्पेशल आइसोलेशन वार्ड सुविधाओं के अभाव में जनता के लिए अनुपयोगी बने हुए हैं । इन वार्डों में न तो डॉक्टर हैं न कर्मचारी और न ही तकनीशियन । स्वाइन फ्लू की आशंका की शिकायत लेकर अस्पताल आने वाले मरीजों को बिना पुख्ता जाँच के साधारण बुखार बताकर टरकाया जा रहा है । लखनऊ में स्वाइन फ्लू के दो रोगी मिले हैं और ५ संदिग्धों की जाँच चल रही है । वहाँ अभिभावकों से कहा गया कि सर्दी जुकाम होने पर बच्चों को स्कूल न भेजें । स्वाइन फ्लू की एक जाँच में सरकार का खर्च दस हजार रूपए होता है जबकि निजी अस्पतालों में जाँच का संभावित खर्च हजार रूपए है । देश में अब तक ४१,३०० मरीजों की जाँच हो चुकी है । स्वाइन फ्लू आशंकित लोगों के नमूने एकत्र करने में उपयोग की गई किट का सही ढंग से निस्तारण जरूरी है । ऐसा नहीं होने पर स्वाइन फ्लू फैलने का खतरा रहेगा । अस्पताल प्रशासन के अधिकारियों में स्वाइन फ्लू होने की आशंका बढ़ सकती है । उपचार ःदवा बनाने वाली कंपनी पेनेसिया बायोटिक लिमिटेड समेत देश की तीन दवा कंपनियां स्वाईन फ्लू की वैक्सीन बना रही हैं । “सेरम इंस्टीच्यूट ऑफ इंडिया” ने स्वाइन फ्लू के वैक्सीन को क्वालिटी कंट्रोल परीक्षण के लिए भेजा है । अगले वर्ष की पहली तिमाही की अवधि में इसे घरेलू बाजार में आने की उम्मीद है । अब तक देश भर में १००० लोगों में स्वाइन फ्लू के लक्षण पाए गए हैं, जिसमें से १७ लोगों की मौत भी हो गई है । इस वर्ष अप्रैल में इस बीमारी को सामने आने के बाद विश्‍व स्वास्थ्य संगठन इसे महामारी घोषित कर चुका है । दुनिया भर में अब तक करीब १००० लोगों की मौत स्वाइन फ्लू से हो चुकी है । इसके वैक्सीन को इंटरनेशनल रेग्यूलेटरी अप्रूवल की जरूरत होती है, जिसके कारण इसके विकास में देरी हो रही है । सेरम इंस्टीच्यूट के सूत्रों के मुताबिक गुणवत्ता परीक्षण के बाद सितंबर में इसका विषधर्मिता परीक्षण किया जाएगा । इसके बाद इसे ट्रायल पर आने की उम्मीद है । दवा कंपनीस्ट्राइडेस अर्कोलैब ने भी टामीफ्लू के जेनेरिक वर्जन पर काम करने का संकेत दिया है । रैनबैक्सी लेबोरेट्रीज और सिप्ला लिमिटेड ने कहा है कि वे स्वाइन फ्लू वैक्सीन की माँग की पूर्ति करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं । दुनिया में महामारी के रूप में फैली स्वाइन फ्लू पर काबू पाने के लिए वैज्ञानिक भी लगातार प्रयासरत हैं । स्वाइन फ्लू पर काबू पाने के लिए अमेरिका मे हुए एक शोध में पाया गया है कि अस्पतालों में कीटाणुनाशक के रूप में इस्तेमाल किया जानेवाला रसायन “वेंटोसिल” स्वाइन फ्लू के वायरस एच-१ एच-१ को भी नियंत्रित करने में सक्षम है । यह शोध एटीएस लैब, ईगन, और मिनेसोटा द्वारा किया गया है । शोध के नतीजों को १० मिनट के भीतर नियंत्रित कर लिया । सर्वविदित है कि वेंटोसिल एफएचसी का उपयोग अस्पतालों में साफ-सफाई के लिए किया जाता है इसका इस्तेमाल घरेलू कामकाज और खाद्य प्रसंस्करण में भी किया जा सकता है । बीमा जगत और स्वाइन फ्लू ःआई डीबीआई फोर्टिस लाइफ इंश्योरेंस के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी वी नागेश्‍वर राव के अनुसार “एच १ एच१” विषाणु से होनेवाली मुत्यु के मामले में बीमा की राशि का भुगतान किया जाएगा भले ही पॉलिसी लेते समय इस बीमारी का उल्लेख किया गया हो या नहीं । कंपनी ने १७ बीमारियों की सूची बनाई हुई है जिसके लिए ग्राहक दावा कर सकते हैं और स्वाइन फ्लू इस सूची में शामिल नहीं है । मास्क का उपयोग कैसे करें?देश के कुछ शहरों में तेजी से फैल रहे स्वाइन फ्लू से बचने के लिए मास्क का अंधाधुंध इस्तेमाल परेशानी को और बढ़ा सकता है । मास्क के इस्तेमाल से जुड़ी यह राय चिकित्सा क्षेत्र के शीर्ष विशेषज्ञों की है । देश में स्वाइन फ्लू के बढ़ते मामलों से घबराकर एच१ एन१ के वायरस से बचने के लिए कई लोग इन दिनों भीड़-भाड वाले जगहों में धड़ल्ले से मास्क का इस्तेमाल कर रहे हैं । जानेमाने चिकित्सकों का दावा है कि मास्क के बिना सोचे समझे इस्तेमाल से स्वाइन फ्लू के वायरस का फैलाव और तेजी से होने की आशंका है । डॉक्टरों का कहना है कि मास्क को एक बार में चार घंटे से ज्यादा नहीं पहना जा सकता है । मास्क के गीला होने पर उसे हर चार घंटे पर बदलते रहना चाहिए । मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल के शिशु एवं संचारी रोग विशेषज्ञ तनु सिंघल के अनुसार “लोगों को हम मास्क पहनने की सलाह तभी देते हैं जब उनके घर पर कोई बीमार आदमी हो अथवा वह किसी काम से अस्पताल में आता जाता हो । मास्क का सीमित इस्तेमाल होना चाहिए । लोगों को सड़क पर चलते समय और यात्रा के दौरान ट्रेन में इसे पहनने के दौरान सावधानी बरतनी चाहिए । इसके बार-बार इस्तेमाल से संक्रमण की ज्यादा आशंका रहती है । एक बार पहने जा चुके मास्क को उचित तरीके से नष्ट नहीं करने और इसे एक से अधिक बार पहनने से यह आशंका और बढ़ जाती है । सार्वजनिक स्थानों में मास्क पहनने वाले लोग जब अपने घरों और कार्यालयों में प्रवेश करते हैं तो वहाँ पर संक्रमण की आशंका और ज्यादा बढ़ जाती है । लोगों को मास्क का इस्तेमाल तभी करना चाहिए जब व्यक्‍ति को खाँसी या सर्दी हो । मास्क उतारने के बाद उसका सही तरीके से निपटान करना सबसे महत्वपूर्ण बात है । जसलोक अस्पताल एवं ब्रीच कैंडी अस्पताल के कंसल्टिंग फिजिशियन हेमंत ठक्‍कर ने बताया कि “ज्यादा कसे हुए मास्क पहनने के कारण थूक आने से मास्क भीगता जाता है । इसलिए ऐसे समय में इसके इस्तेमाल से परहेज करना चाहिए । यदि व्यक्‍ति यात्रा के समय इसे पहनना चाहे तो यह पक्‍का कर लेना चाहिए कि वह सूखा हो । यात्रा के दौरान चार घंटे से ज्यादा होने पर इसे बदल देना चाहिए ।” देश में स्वाइन फ्लू के बढ़ते मामलों के डर से लोगों के बीच मास्क की माँग बढ़ गई है । माँग में बढ़ोत्तरी के मद्‌देनजर सरकार ने इसके आयात करने की योजना बनाई है । डॉक्टरों को इस बात की चिंता सता रही है कि फ्लू के बारे में लोगों को कम जानकारी रहने से स्थिति और बिगड़ सकती है । व्यापार एवं त्यौहार भी प्रभावित ःरिटेल कंपनियाँ भी स्वाइन फ्लू से काँपती दिख रही हैं । पुणे में इस इस बीमारी की वजह की वजह से शॉपिंग मॉल और मल्टीप्लेक्स के साथ इन कंपनियों के कारोबार में ७० फीसदी तक कमी आई है । स्वाइन फ्लू से मरनेवालों की संख्या १७ के पार पहुँच रही है । चूँकि सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र के पुणे से आ रहे हैं, इसलिए महाराष्ट्र सरकार इसे लेकर बेहद सीरीयस हो गई है । मुंबई के तमाम स्कूल और कॉलेज हफ्ते भर के लिए बंद करने का ऐलान कर दिया गया है । सिनेमा हॉल, थियेटर और मल्टीप्लेक्स भी बंद रहेंगे । जन्माष्टमी के मौके पर मनाए जाने वाले ‘दही हांडी के उत्सव को भी कई इलाकों में नहीं मनाने का फैसला किया गया । कंस रूपी स्वाइन फ्लू को मारने के थीम पर कृष्णाष्टमी ःइस बार जन्माष्टमी के मौके पर दिल्ली के कुछ मंदिर अपनी झाँकियों में स्वाइन फ्लू को कंस के तौर पर दिखाया गया जिसका वध कान्हा ने किया । वैसे जन्माष्टमी के दिन भीड़ उमड़ने के मद्‌देनजर कुछ मंदिर आयोजक अलर्ट हो गए थे । उन्होंने श्रद्धालुओं को मास्क देने की व्यवस्था भी की । मंदिर मार्ग स्थित बिड़ला मंदिर के प्रशासक विनोद कुमार मिश्रा के अनुसार स्वाइन फ्लू का खतरा बढ़ता जा रहा है । लोगों को इस बीमारी के बारे में जागरूक करने के लिए हम भगवान श्रीकृष्ण को गीता उपदेश, गोवर्धन लीला, माखन चोरी और द्रोपदी चीरहरण की झाँकियों के अलावा स्वाइन फ्लू की झाँकी में स्वाइन फ्लू को कंस का रूप दिया गया जिसमें भगवान श्रीकृष्ण उसका अंत करते दिखे । उन्होंने बताया कि जन्माष्टमी पर मंदिर में आनेवाले भक्‍तों की भीड़ को देखते हुए हमने यह भी फैसला किया था कि किसी भी एक जगह पर श्रद्धालुओं को इकट्ठा न होने दिया जाय । इसके लिए लोगों को जागरूक करने वाले पोस्टर भी मंदिर के अंदर चिपकाए गए ताकि लोग स्वाइन फ्लू से डरें नहीं बल्कि यह समझने की कोशिश करें कि वे इस बीमारी से कैसे बचे रह सकते हैं । पंजाबी बाग रिंग रोड, जन्माष्टमी पार्क में आयोजित श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव में भी स्वाईन फ्लू की झाँकी दिखाई गई । ट्रस्ट के अध्यक्ष रोशनलाल गोरखपुरिया कहते हैं कि “आयोजन में लाखों की भीड़ एक साथ उमड़ती है । ऐसे में सभी को मास्क तो नहीं दिए जा सकते पर इतना जरूर है कि स्वाइन फ्लू की झाँकी के जरिए लोगों को जागरूक किया गया । झाँकी के माध्यम से भक्‍तों को बताया गया कि जिस तरह कंस का वध भगवान श्रीकृष्ण ने किया था उसी तरह स्वाइन फ्लू का अंत भी होगा । यमुनापार पुश्ता रोड, शास्त्री नगर स्थित श्री राधाकुंज बिहारी मंदिर में भी आनेवाले श्रद्धालुओं को मास्क देने की व्यवस्था की गई ताकि मंदिर में स्वाइन फ्लू से प्रभावित कोई श्रद्धालु आए तो उससे किसी अन्य व्यक्‍ति में इन्फेक्शन न फैल पाए । आयोजकों के अनुसार उन्होंने इस अवसर पर कान्हा को भी मास्क लगा दिया । स्वाइन फ्लू ः इतिहास, कारण एवं निदान ग्लोबल हाइजीन काउंसिल के भारत में प्रतिनिधि डॉक्टर नरेन्द्र सैनी ने कहा कि एच१ एच१ वायरस नब्बे साल बाद दुनिया में फिर लौट आया है । वर्ष १९१८ में स्पेनिश स्वाइन फ्लू के चलते दुनिया भर में करोड़ों लोंगो की मौत हो गई थी । अकेले भारत में इस बीमारी से ७० लाख लोगों को जान गँवानी पड़ी थी । यह विश्‍व के इतिहास में अब तक हुई सबसे बड़ी महामारी है । एक सदी बाद लौटकर आए स्वाइन फ्लू में एक नया वायरस शामिल हो गया है । जिसके चलते इसका नया नाम एच १ एन १ (नॉवेल) रखा गया है । इस बीमारी की सटीक दवाई नहीं खोजी जा सकती है । उन्होंने बताया कि स्वाइन फ्लू से ग्रसित सूअरों के लार और साँसों के जरिए यह वायरस अन्य जानवरों में फैलता जाता है । जानवरों के प्रति अत्यधिक लगाव रखनेवाले कई लोग बीमार जानवर के प्रति सहानुभूति जताते हुए अनजाने में उन्हें किस कर लेते हैं । ऐसा करने से वायरस लार या साँस के जरिए इंसान के शरीर में घुस जाता है । डॉक्टर सैनी के अनुसार फ्लू का शिकार बनने के बाद रोगी की आँखों और नाक से पानी बहने लगता है । शरीर में दर्द, खाँसी-जुकाम और बुखार की शिकायत होने लगती है । बिना देरी किए नजदीकी जिला अस्पताल में बीमारी की टेस्टिंग जरूर करवानी चाहिए । स्वाइन फ्लू खतरनाक जरूर है, लाइलाज नहीं ।
( गोपाल प्रसाद)

1 comment:

  1. Its Really Nice To see your Sincere devotion to Hindi language as well as Social Issues

    Great Work : Keep it Up

    For More Details about swine flu Visit
    www.aim4.co.cc

    Shubham Jain

    ReplyDelete

I EXPECT YOUR COMMENT. IF YOU FEEL THIS BLOG IS GOOD THEN YOU MUST FORWARD IN YOUR CIRCLE.