Wednesday, September 9, 2009

आज का आजाद भारत


सच में हम सभी मानते हैं कि हम आजाद हैं । आखिर ये आजादी ही तो है कि हम सब अपने विचारों को सर्वोपरि रखते हैं । अपनी व्यवस्थाओं के अनुकूल चलते हैं । हम भूल जाते हैं कि हम आजाद देश के नागरिक हैं पर हम अपनी जिम्मेदारियों से कैसे आजाद हैं । जबकि कोई बच्चा किशोरावस्था से युवावस्था में प्रवेश करता है तो जीवन की नई जिम्मेदारियों की तरफ उसके कदम बढ़ते हैं । देखा जाय तो वह बचपन से ही कल्पना करता है कि उसके परिजन अभिभावक व आचार्यगण सभी उसे सलाह देते हैं कि यह करो, वह न करो, ऐसे उठो, वैसे बैठो, आगे बैठना है । बच्चे कल्पनाएँ करते हैं कि हम बड़े होंगे तो कितने आजाद होंगे । हम भी अपने अभिभावक की तरह अपनी मर्जी से आ-जा सकेंगे लेकिन वही बच्चे अभिभावक बनते ही उनके बच्चों की जिम्मेदारियाँ, उनके परिवार की जिम्मेदारियाँ उनको गुलाम बनाना शुरू कर देती हैं । फिर हमें इतने बड़े देश की जिम्मेदारियाँ रूपी गुलामी का अहसास क्यूँ नही है? क्यूँ हम सभी इतने कर्तव्यविमुख होते जा रहे हैं? गुलाम भारत के समय आजादी का संघर्ष कर रहे सेनानियों ने यह नारा जरूर लगाया था कि हम आजाद होंगे । हमारा भारत आजाद होगा, पर उनके नारों का भाव हमने, यही समझा था कि हम अपने मन के मालिक हो गए? हम इतने कर्तव्यविमुख और विवेकहीन हो गए हैं कि चंचल मन के आगे बेकाबू होकर कहीं अपराध, कहीं बलात्कार. कहीं डकैती, कहीं भ्रष्टाचार इन सबसे कभी निकलने के बारे में हम सोचते ही नहीं ।
इसका मुख्य कारण यही है कि हम वाकई बहुत आजाद हो गए हैं । हमारा मन इतना आजाद हो चुका है कि भावना शून्य हो चुका है । जिससे हम अपने आगे न तो अपना देश देख पाते हैं और न ही समाज देख पाते हैं । आजादी का कदाचित्‌ यह मतलब नहीं था । आजादी का सिर्फ मतलब तो यही था कि अपनी मातृभूमि को दूसरों के हाथों से छुड़ाकर उसकी सेवा रूपी जिम्मेदारी की गुलामी अपनावें हम, पर ऐसा नहीं हो सका । आज इस मातृभूमि को इस बात की विशेष जरूरत है कि आनेवाली पीढ़ी और नौनिहाल आजादी का वास्तविक मतलब समझे क्यूँकि जब हम किसी चीज के संचालन की जिम्मेदारी लेते हैं तो हम पहले से ज्यादा जिम्मेदारी की गुलामी में जकड़ जाते हैं । इसमें जिम्मेदार व्यक्‍ति का प्यार और समर्पण जुड़ा होता है । आशा करते हैं कि देश के इस ६३ वें वर्ष में प्रवेश के उपरान्त हमारे नौजवान इस आजादी के वास्तविक अर्थ को समझेंगे और अपने देश को विश्‍वपटल पर लाने हेतु कर्तव्यपूर्ति की मिशाल कायम करेंगे ।
- कृष्णगोपाल मिश्रा

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