राष्ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटील ने कहा है कि समावेशी समाज के निर्माण में साहित्यकार की भूमिका महत्वपूर्ण होती है । साहित्य व्यक्ति को गरिमा और सम्मान के साथ जीना सिखाता है, वह उसे बेहतर मनुष्य बनाता है । कोई भी राष्ट्र तभी समृद्ध माना जा सकता है जब उसका साहित्य विकसित हो । वह संसद भवन पुस्तकालय के बालयोगी सभागार में आयोजित ४१वें ज्ञानपीठ समारोह में बोल रही थीं । इस अवसर पर उन्होंने हिंदी के प्रख्यात कवि कुंवर नारायण को वर्ष २००५ का ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया ।
राष्ट्रपति ने कहा कि मानवतावादी साहू शांति प्रसाद जैन द्वारा स्थापित भारतीय ज्ञानपीठ ने भारतीय साहित्य को समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण दायित्व निभाया है । कुंवर नारायण ने इस बात पर खुशी जताई कि काफी दिनों के बाद यह पुरस्कार हिंदी को मिला है । कार्यक्रम की शुरूआत में अतिथियों का स्वागत करते हुए भारतीय ज्ञानपीठ की अध्यक्ष इंदु जैन ने कहा कि मीडिया से भाषाओं को विस्तार मिलता है, साहित्य से उन्हें जीवनी शक्ति और गहराई मिलती है । भारत के पास अपनी भाषाओं और साहित्यों का एक बहुत बड़ा भंडार है । उसके और मीडिया के बीच निकट संपर्क से दोनों समृद्ध होंगे ।
कविता मेरे मन की दुनिया है ः कुंवर
राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने हिंदी के प्रख्यात कवि कुंवर नारायण को २००५ का ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया । इस मौके पर राष्ट्रपति ने कुंवर नारायण की रचनायात्रा की भी चर्चा की । राष्ट्रपति ने कहा कि नारायण ने विविध मानवीय भावों को अत्यंत प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया है ।
इस मौके पर कुंवर नारायण ने कहा कि कविता मेरे मन की दुनिया है । मैं उसे व्यापक बनाए रखना चाहता हूं, ताकि उसमें सबके दुःख-सुख के लिए पर्याप्त जगह हो । साहित्य का अर्थ मेरे लिए बुद्धि विलास नहीं, जीवन का एक बहुत बड़ा यथार्थ और आश्चर्य भी है । इस विचार से मुझे साहस और आत्मविश्वास मिला है । मैं अपनी इस दुनिया को विकसित करते रहना चाहता हूं । फौजी ढंग से नहीं ढाई आखर प्रेम के बल पर ।
भारतीय ज्ञानपीठ की अध्यक्ष इंदु जैन ने कहा कि कुंवर जी की भाषा में अद्भुत क्षमता है । उनकी ‘आत्मजयी’ और ‘वाजश्रवा के बहाने’ जैसी काव्य कृतियां भारतीय साहित्य की शोभा हैं । इंदु जैन ने कुंवर नारायण से जुड़े अपने कई आत्मीय संस्मरण सुनाए । निर्णायक मंडल के अध्यक्ष सीताकांत महापात्र ने कुंवर नारायण की कविताओं की विशिष्टताओं पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि कुंवर नारायण ने जीवन के कुछ मूलभूत प्रश्नों पर गंभीरता से विचार किया है और उन्हें सहजता से प्रस्तुत किया है । भारतीय ज्ञानपीठ के निदेशक रवीन्द्र कालिया ने धन्यवाद ज्ञापन किया । कार्यक्रम में बड़ी संख्या में रचनाकार, बुद्धिजीवी और साहित्यप्रेमी उपस्थित थे ।
- संजय कुंदन
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