मेले में किसी भी उत्पाद के प्रचार के लिए कंपनी विभिन्न हथकंडे अपनाती है ।ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए कंपनियाँ दर्शकों के भीड़ जुटाकर अपने उत्पाद हेतु प्रचार-प्रसार करना ज्यादा फायदेमंद मानती है । इसके तहत रोड शो, नुक्कड़ नाटक, ऑस्केस्ट्रा, लकी ड्रा, लॉटरी, पजल गेम, क्विज आदि तरीके आते हैं । ग्राहकों के मन में उत्पाद के प्रति संभावना, माँग, नकारात्मक एवं सकारात्मक पहलुओं को जानना समझना अति आवश्यक होता है । इसके लिए हर बड़ी कंपनी सर्वेक्षण एजेंसी का सहारा लेती है । देश के विभिन्न क्षेत्रों से ग्राहकों की मानसिकता का अध्ययन कुछ पन्नों में विभिन्न प्रश्नों को पूछकर किया जाता है । सी-४, नेल्सन, मार्ग, क्रेड आदि सर्वेक्षण कंपनियाँ उत्पाद निर्माताओं, राजनैतिक दलों, गैर सरकारी/ सरकारी संस्थाओं व व्यक्ति विशेष के संदर्भ में व्यापक रूप से आँकड़ा इकट्ठा कर पूरी योजनाओं को मूर्त्त रूप देते हैं ।
इसी के अगली कड़ी के रूप में उत्पाद निर्माता अपने उत्पादों के लांचिंग हेतु ज्यादा से ज्यादा भी जुटाने हेतु विभिन्न कलाकारों को भी हायर करती है । इस असायनमेंट के तहत उन कलाकारों की जिम्मेवारी भीड़ का भरपूर मनोरंजन करते हुए अपने उत्पादों का प्रचार करना तथा बिक्री बढ़ाना होता है । इवेंट से जुड़े कलाकरों में कई पहलुओं का होना आवश्यक है । पॉप गायकों, सफल गजल गायकों और कवियों का इस्तेमाल आज धड़ल्ले से दर्शकों के भरपूर मनोरंजन एवं भीड़ जुटाने में किया जा रहा है ।
दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित आईआईटीएफ में विभिन्न उत्पाद निर्माता ऐसे बहुमुखी कलाकारों का सहारा अपने संभावित ग्राहकों हेतु ले रही है । एक ऐसे ही प्रतिभावान एवं ओजस्वी कलाकार का नाम है- अतुल जिसका इस्तेमाल लोहिया ग्रुप ने अपने ईबाईक के प्रमोशन के लिए किया है । बहुआयामी प्रतिभा के घनी अतुल में बहुत सारी खूबियाँ हैं । ये बेस्ट एंकरिंग पॉप गायन, सवाल-जवाब और क्विज के मास्टर भी हैं । इनकी सबसे बड़ी खासियत युवाओं की धड़कनों को बखूबी परखना है । पूरे प्रगति मैदान में सबसे अधिक भीड़ जुटाने का कार्य इन्होंने किया है । दर्शकों से सवाल पूछना उन्हें अंदर तक झकझोरना, उनसे हँसी-मजाक करना उनका ज्ञानवर्द्धन करना और इस सबसे महत्वपूर्ण भीड़ के दिमाग में अपने कंपनी के ब्रांड को फिक्स कर देना इनके दाहिने हाथ का खेल है । उपर से तो यह काफी आसान लगता है परन्तु यह इतना आसान भी नहीं है । दर्शकों की मानसिकता का अध्ययन करना, कंपनी की माँग एवं संतृष्टि में संतुलन स्थापित करना ही मूल उदेश्य है इनका ।
पन्द्रह दिन के मेले में भीड़ जुटाने के लिए ऐसे कलाकारों को कंपनी से ५० हजार से १० लाख रू. तक के ऑफर मिलते हैं । खासकर मोबाइल, हर्बल उत्पाद, बाईक/ऑटो, कार, टेक्सटाईल्स, कंपनियाँ फैशन शो एवं अपने स्टॉल पर उत्तेजक वस्त्र में खूबसूरत कन्याओं को हायर करती है । जिसके जितने कम कपड़े हैं उसकी उतनी ही ज्यादा कीमत हैं । दूरी का एकमात्र उद्देश्य है आकर्षण पैदा करना, दर्शकों का मनोरंजन प्रोडक्ट का दिल में छा जाना और इसके माध्यम से बिक्री बढ़ाना ।
अच्छे कलाकारों, मॉडलों ने तो अपने पी.आर.ओ भी नियुक्त कर रखे हैं । फिल्म जगत की हस्तियाँ अब मात्र फिल्म/टीवी में शूटिंग तक ही नहीं बल्कि ऐसे उत्पादों के शोरूम एवं कार्यक्रम में उद्घाटन कर्त्ता के रूप में धड़ल्ले से प्रयोग किए जा रहे हैं ।
कई व्यवसायी नामी कलाकारों/हस्तियों के साथ डिनर/लंच तथा सेमिनार/गोष्ठी, प्रदर्शनी/एक्जीविशन के माध्यम से दर्शकों/ग्राहकों को जुटाने के सशक्त अभियान में अपनी अहम भूमिका निभा रहे है । वैश्वीकरण के इस युग में उद्योग जगत के इस नए ट्रेंड को समझना काफी महत्वपूर्ण है । आज उत्पाद के निर्माण में कम,उत्पाद के प्रचार-प्रसार पर अधिक बजट खर्च की जा रही है । जो सफल व्यवसायी इस तथ्य को समझता है वह बाजार को दोहन करने में सफलता प्राप्त कर रहा है । अतः यदि आप भी अपने व्यवसाय को सफल बनाना चाहते हैं तो अबिलंब इस ट्रिक को अपनाइए एवं अपने उत्पादों को बिक्री बढाइये ।
- गोपाल प्रसाद
Saturday, November 28, 2009
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अब तो बाज़ार का यही नियम हो गया है ..और संस्थाओं का भी बैंक बीमा और न जाने क्या क्या ।
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