Saturday, November 28, 2009

जिनका उद्देश्य है ग्राहकों को आकर्षित करना

मेले में किसी भी उत्पाद के प्रचार के लिए कंपनी विभिन्‍न हथकंडे अपनाती है ।ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए कंपनियाँ दर्शकों के भीड़ जुटाकर अपने उत्पाद हेतु प्रचार-प्रसार करना ज्यादा फायदेमंद मानती है । इसके तहत रोड शो, नुक्‍कड़ नाटक, ऑस्केस्ट्रा, लकी ड्रा, लॉटरी, पजल गेम, क्विज आदि तरीके आते हैं । ग्राहकों के मन में उत्पाद के प्रति संभावना, माँग, नकारात्मक एवं सकारात्मक पहलुओं को जानना समझना अति आवश्यक होता है । इसके लिए हर बड़ी कंपनी सर्वेक्षण एजेंसी का सहारा लेती है । देश के विभिन्‍न क्षेत्रों से ग्राहकों की मानसिकता का अध्ययन कुछ पन्‍नों में विभिन्‍न प्रश्नों को पूछकर किया जाता है । सी-४, नेल्सन, मार्ग, क्रेड आदि सर्वेक्षण कंपनियाँ उत्पाद निर्माताओं, राजनैतिक दलों, गैर सरकारी/ सरकारी संस्थाओं व व्यक्‍ति विशेष के संदर्भ में व्यापक रूप से आँकड़ा इकट्‌ठा कर पूरी योजनाओं को मूर्त्त रूप देते हैं ।
इसी के अगली कड़ी के रूप में उत्पाद निर्माता अपने उत्पादों के लांचिंग हेतु ज्यादा से ज्यादा भी जुटाने हेतु विभिन्‍न कलाकारों को भी हायर करती है । इस असायनमेंट के तहत उन कलाकारों की जिम्मेवारी भीड़ का भरपूर मनोरंजन करते हुए अपने उत्पादों का प्रचार करना तथा बिक्री बढ़ाना होता है । इवेंट से जुड़े कलाकरों में कई पहलुओं का होना आवश्यक है । पॉप गायकों, सफल गजल गायकों और कवियों का इस्तेमाल आज धड़ल्ले से दर्शकों के भरपूर मनोरंजन एवं भीड़ जुटाने में किया जा रहा है ।
दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित आईआईटीएफ में विभिन्‍न उत्पाद निर्माता ऐसे बहुमुखी कलाकारों का सहारा अपने संभावित ग्राहकों हेतु ले रही है । एक ऐसे ही प्रतिभावान एवं ओजस्वी कलाकार का नाम है- अतुल जिसका इस्तेमाल लोहिया ग्रुप ने अपने ईबाईक के प्रमोशन के लिए किया है । बहुआयामी प्रतिभा के घनी अतुल में बहुत सारी खूबियाँ हैं । ये बेस्ट एंकरिंग पॉप गायन, सवाल-जवाब और क्विज के मास्टर भी हैं । इनकी सबसे बड़ी खासियत युवाओं की धड़कनों को बखूबी परखना है । पूरे प्रगति मैदान में सबसे अधिक भीड़ जुटाने का कार्य इन्होंने किया है । दर्शकों से सवाल पूछना उन्हें अंदर तक झकझोरना, उनसे हँसी-मजाक करना उनका ज्ञानवर्द्धन करना और इस सबसे महत्वपूर्ण भीड़ के दिमाग में अपने कंपनी के ब्रांड को फिक्स कर देना इनके दाहिने हाथ का खेल है । उपर से तो यह काफी आसान लगता है परन्तु यह इतना आसान भी नहीं है । दर्शकों की मानसिकता का अध्ययन करना, कंपनी की माँग एवं संतृष्टि में संतुलन स्थापित करना ही मूल उदेश्य है इनका ।
पन्द्रह दिन के मेले में भीड़ जुटाने के लिए ऐसे कलाकारों को कंपनी से ५० हजार से १० लाख रू. तक के ऑफर मिलते हैं । खासकर मोबाइल, हर्बल उत्पाद, बाईक/ऑटो, कार, टेक्सटाईल्स, कंपनियाँ फैशन शो एवं अपने स्टॉल पर उत्तेजक वस्त्र में खूबसूरत कन्याओं को हायर करती है । जिसके जितने कम कपड़े हैं उसकी उतनी ही ज्यादा कीमत हैं । दूरी का एकमात्र उद्देश्य है आकर्षण पैदा करना, दर्शकों का मनोरंजन प्रोडक्‍ट का दिल में छा जाना और इसके माध्यम से बिक्री बढ़ाना ।
अच्छे कलाकारों, मॉडलों ने तो अपने पी.आर.ओ भी नियुक्‍त कर रखे हैं । फिल्म जगत की हस्तियाँ अब मात्र फिल्म/टीवी में शूटिंग तक ही नहीं बल्कि ऐसे उत्पादों के शोरूम एवं कार्यक्रम में उद्‌घाटन कर्त्ता के रूप में धड़ल्ले से प्रयोग किए जा रहे हैं ।
कई व्यवसायी नामी कलाकारों/हस्तियों के साथ डिनर/लंच तथा सेमिनार/गोष्ठी, प्रदर्शनी/एक्जीविशन के माध्यम से दर्शकों/ग्राहकों को जुटाने के सशक्‍त अभियान में अपनी अहम भूमिका निभा रहे है । वैश्‍वीकरण के इस युग में उद्योग जगत के इस नए ट्रेंड को समझना काफी महत्वपूर्ण है । आज उत्पाद के निर्माण में कम,उत्पाद के प्रचार-प्रसार पर अधिक बजट खर्च की जा रही है । जो सफल व्यवसायी इस तथ्य को समझता है वह बाजार को दोहन करने में सफलता प्राप्त कर रहा है । अतः यदि आप भी अपने व्यवसाय को सफल बनाना चाहते हैं तो अबिलंब इस ट्रिक को अपनाइए एवं अपने उत्पादों को बिक्री बढाइये ।
- गोपाल प्रसाद

1 comment:

  1. अब तो बाज़ार का यही नियम हो गया है ..और संस्थाओं का भी बैंक बीमा और न जाने क्या क्या ।

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