Monday, November 2, 2009

जीवन की सांझ में जरूरी है ऊष्मा

आमतौर पर लोग रिटायरमेंट के बाद खुद को भी रिटायर मान लेते हैं, जबकि वास्तविक सच्चाई यह है कि कोई भी सिर्फ नौकरी से ही रिटायर होता है, समाज से नहीं । रिटायरमेंट के बाद भी काम की कोई कमी नहीं होती । जरूरत है तो सिर्फ सोच को बदलने और संयम रखने की । सेनानिवृत्ति के बाद भी हर आदमी को अपने आपको व्यस्त रखना चाहिए । इससे उनका शरीर तो स्वस्थ रहेगा ही, साथ ही अपने घर के अन्य सदस्यों की जरूरतों को पूरा कर सकेंगे ।
रिटायरमेंट का मतलब जिम्मेदारियों से मुक्‍त होना बिल्कुल भी नहीं होता है । रिटायर होने के बाद जरूरतें खत्म नहीं होती इसलिए अपनी जरूरतों को जहां तक हो सके स्वयं ही पूरा करें । देखने में आया है कि सेनानिवृत्ति के बाद भी व्यस्त रहने वालों का शरीर और मन काम नहीं करने वालों की अपेक्षा ज्यादा चुस्त रहता है । अकसर यह भी देखने में आता है कि जो व्यक्‍ति रिटायर होने के बाद घर बैठ जाते हैं, वह तमाम प्रकार की बीमारियों की गिरफ्‍त में आ जाते हैं और कई बार तो उनको सघन अवसाद भी घेर लेता है । इसके अलावा काम न करने के कारण मोटापा भी उनके शरीर को जल्द ही घेर लेता है ।
चिकित्सकों का भी मानना है कि रिटायर होने के बाद जरूरी है कि कुछ न कुछ कामकाज अवश्य करते रहना चाहिए । इससे शरीर को स्वस्थ और निरोगी रखा जा सकता है । फरीदाबाद स्थित डॉ. सुदीप गुप्ता का कहना है कि यदि आप काम में व्यस्त रहेंगे तो फालतू बातों की ओर आपका ध्यान नहीं जाएगा और मस्तिष्क भी सही रहेगा । एनजीओ फोर्स की संचालिका ज्योति शर्मा का कहना है कि यदि आप नौकरी आदि में अपने आपको व्यस्त नहीं रखना चाहते हैं तो सामाजिक संस्थाओं के साथ जुड़ जाएं । इससे समाज में आपका रूतबा बढ़ेगा और मनोबल भी बढ़ेगा ।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. अलका लांबा का कहना है कि सुबह और शाम के वक्‍त सैर पर अवश्य जाएं । इसके अलावा शारीरिक प्रशिक्षक से सलाह लेकर थोड़ा बहुत व्यायाम भी अवश्य करें । उनका कहना है कि सैर पर जाने से कुछ हम उम्र दोस्तों का भी साथ मिल जाता है । जिनके साथ समय बिताने से मन को हल्का करने में मदद मिल सकती है । घर-परिवार के साथ भी दिन में कुछ समय अवश्य ही बिताना चाहिए जिससे घर का माहौल अच्छा बनेगा । बैंक से रिटायर हुए एल. पी, अग्रवाल का कहना है कि वह अपने बच्चों की फैक्ट्री में जाकर काम देखते हैं और अपने पोतों के साथ भी समय बिताते हैं । इससे उनका समय बहुत बढ़िया कट जाता है । आजकल वह अपने बड़े पोते को लेकर दुकान चलाने की सोच रहे हैं जिसमें वह पोते की दुकान को जमाने में मदद करेंगे ।
-देबलीना बनर्जी

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