Friday, May 6, 2011

सूर्य मेष संक्रान्ति के आधार पर वर्ष फल

जैसा आप सभी जानते हैं, कि हिन्दी पंचांग के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को नए संवत अर्थात्‌ नये वर्ष की शुरूआत होती है । साथ ही जब पृथ्वी सूर्य का एक चक्‍कर पूर्ण करती है, तब सूर्य पुनः मेष संक्रान्ति में शून्य अंश का होता है । उस समय जो लग्न उदित होता है, वह पूरे वर्ष की वर्ष कुण्डली होती है । इसके आधार पर उस वर्ष सारे संसार में अप्राकृतिक व प्राकृतिक घटनाओं के पूर्वानुमान ज्योतिष विज्ञान द्वारा किया जाता है । १४ अप्रैल २०११ को दोपहर १ बजकर २५ सेकेण्ड में सूर्य मेष संक्रान्ति में प्रवेश कर रहा है, उस समय कर्क राशि का लग्न उदित हो रहा है । जिसके अंतर्गत नवम्‌ भाव में गुरू, बुध व मंगल की युति है, वृहस्पति आग्नेय प्रवृत्ति के होते हैं ।

यह पूर्व दिशा एवं दक्षिण दिशा तथा एशियाई देशों का प्रतिनिधित्व करते हैं । वहीं दूसरी तरफ शनि, शुक्र, बुध क्षारीय प्रवृत्ति के होने के कारण बेसिकली पश्‍चिमोत्तर क्षेत्र, विशेषकर यूरोपीय देशों का प्रतिनिधित्व करते हैं । देखा जाए तो इस वर्ष चक्र में तृतीयस्थ शनि व अष्टमस्थ शुक्र की प्रबलता यूरोपीय देशों के लिए बड़ा ही अच्छा संकेतक नहीं है ।

इस चक्र के नवमांश में भी गौर करें तो वृश्‍चिक लग्न के नवमांश के आठवें घर में शुक्र, शनि की युति यूरोपीय देशों में कुछ प्राकृतिक आपदाओं का सूचक बन रहा है, साथ ही साथ लग्नस्थ मंगल का बुध के नक्षत्र में पाया जाना और तृतीय भाव में मंगल का होना मुस्लिम देशों में हिंसक घटनाओं का सूचक है । लेकिन एशियाई देशों में धार्मिक एवं शांतिप्रिय देशों में प्रगति देखने को मिलेगी । जिसमें विशेषकर भारत, चीन आदि देखा जाय तो शुरू के दिनों मुख्यतः 3 मई से 15 मई, 13 जून से 2 जुलाई, 26 दिसम्बर से 25 जनवरी 2012, 22 फरवरी 2012 से 12 मार्च 2012, आदि इस वर्ष के खराब समय होंगे, जिसमें अप्राकृतिक घटनाओं की आशंका है, लेकिन इस वर्ष में 5 जुलाई 2011 से 23 जुलाई, 23 अगस्त 2011 से 13 सितंबर सामान्यतः ठीक कहा जायेगा ।

व्यावसायिक दृष्टिकोण से यूरोपीय देशों की आर्थिक स्थिति बिगड़ती दिखाई दे रही है, जिसमें अमेरिका का आर्थिक नुकसान कहीं ज्यादा होने की संभावना है, लेकिन एशियाई देशों में विशेषकर भारत व चाइना की आर्थिक प्रगति काफी तेजी से होती दिखाई दे रही है । आर्थिक व विश्‍वस्तर पर सरल व उदार नीति के साथ भारत मजबूत भूमिका में साबित होगा । उपरोक्‍त खराब समय में पूरब दक्षिण कुछ समुद्रतटीय देशों को तथा पश्‍चिमोत्तर बर्फीली क्षेत्रों के कुछ देशों को प्राकृतिक घटनाओं से संभलना चाहिए । इसी प्रकार ३ अप्रैल २०११ को रात्रि ८ बजकर ४ मिनट में चैत्र शुक्ल पक्ष प्रारम्भ हो रहा है । इस स्थिति में हिंदी पंचांग के अनुसार नया वर्ष प्रारम्भ हो रहा है, इसके अनुसार यह तुला लग्न था, और इसे नये वर्ष प्रवेश के चक्र के अनुसार छठें भाव में शुक्र, मंगल, वृहस्पति तथा चन्द्रमा की युति कुछ अप्रत्याशित परिवर्तन के सूचक हैं ।

कट्‍टरपंथी देशों में जहां उन्माद, सत्ता परिवर्तन कराये गये वहीं विश्‍व में कुछ नये देश भी उभरकर अपनी कीर्ति स्थापित करेंगे । वह देश मुख्यतः एशिया से होगा और मुख्य रूप से शांति व सौहार्द्र पूर्ण एवं धर्म निरपेक्ष देश होगा । भारत में काफी परिवर्तन की आशंका है, तथा भारत की आर्थिक समृद्धि भी बढ़ेगी विशेषकर व्यावसायिक दृष्टिकोण से आईटी, शिक्षा, शेयर-बाजार के क्षेत्रों में काफी ज्यादा आर्थिक प्रगति बढ़ेगी और इस क्षेत्र में रोजगार की अपार संभावना है । इस प्रकार यह नया वर्ष भारत एवं एशियाई क्षेत्र के देशों के लिए ठीक तो है, लेकिन इस वर्ष में धार्मिक कट्‍टरपंथी वालों देशों को अपने अंदर बदलाव लाना चाहिये अन्यथा उन्हें अत्यधिक हानि उठानी पड़ सकती हैं, साथ ही साथ विश्‍व में भी अशांति के कारण बन सकते हैं ।

पश्‍चिमी देश भी अपनी शक्‍ति का नाज़ायज फायदा ना उठायें, इससे उन्हें आर्थिक नुकसान के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में उनकी छवि भी खराब होगी । अतः उन्हें अप्राकृतिक आपदाओं से भी संभलकर रहना होगा । इस वर्ष में प्रॉपटी, ऊर्जा संयंत्रों में पेट्रोल एवं कमोडिटी मार्किट में खासकर सोना आदि के भाव आसमान चढ़ेंगे । भ्रष्टाचार भी बढ़ेगा, लेकिन बड़े-बड़े भ्रष्टाचार भी उजागर होंगे । कुछ नये आइडियल एवं अनुशासित राजनेताओं की छवि उभरेगी ।

1 comment:

  1. बहुत अच्छी जानकारी मिली।

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