Saturday, May 7, 2011

कम बोलो, मीठा बोलो, अच्छे के लि‌ए बोलो


बच्चों को अनुशासन में रहने और रखने के लि‌ए हिंसा का सहारा लिया जाता है । ये हिंसा कहीं और नहीं अपने ही घरों और स्कूलों में होती है । बच्चों पर की गई हिंसा किसी भी रूप में हो सकती है, चाहे वह शारीरिक हो, मानसिक हो या फिर भावनात्मक ।

धर्म के दस लक्षणों में एक ‘सत्यता’ (सच्चा‌ई) भी है । सामान्य तौर पर यह लक्षण वाणी से जुड़ा है, अर्थात जो जैसा देखा, सुना या समझा गया है । यह हु‌ई सत्य की सरल परिभाषा । परंतु ‘सत्यता’ का अर्थ केवल यह नहीं है । सत्यता का अर्थ है धर्म की आत्मा को प्रज्वलित करना । उदाहरण के तौर पर, यदि को‌ई व्यक्‍ति किसी असाध्य रोग से पीडि़त है तो उसे ऐसा डाक्टरी तथ्य बताना ’सत्य’ का पालन नहीं है, जिसकी हतक से वह कल के बजाय आज ही मर जा‌ए । ऐसी सचा‌ई तो झूठ बोलने से भी बुरी है ।

इसी प्रकार यदि दो व्यक्‍तियों या दो पक्षों के संबंधों में बिगाड़ है और दोनों ही अडियल हैं, तो दोनों की कही हु‌ई बातें सच-सच एक-दूसरे को बताकर उनके बीच कड़वाहट बढ़ाने से कहीं अच्छा है दोनों के बीच ईमानदारी से समझौता कराने का प्रयास करना । एक समय था जब अपनी कमियों या खामियों को स्वीकार कर लेने वालों को लोग आदर की दृष्टि से देखते थे । लेकिन अब सब कुछ बदल सा गया है । अपनी कमजोरियां बताने का मतलब है अपनी खिल्ली उड़वाना । लोग अक्सर दूसरों के नकारात्मक व उदासीन पक्ष को प्रसारित कर उनके नाम और पद को बदनाम करते हैं और खुश होते हैं ।

ऐसे क‌ई उदाहरण हैं । एक नवविवाहिता को विश्‍वास में लेकर कहा गया कि वह अपने बीते हु‌ए कल की सारी घटना‌एं अपने पति को निर्भय होकर बता दे । उसे प्रेम और क्षमादान दिया जा‌एगा । परंतु ऐसा न कर एक बदले की भावना पाल ली ग‌ई और उसका जीवन नारकीय बना दिया गया । उचित तो यही था कि अपने पिछले जीवन की बातों के बारे में वह पूरी तरह मौन रहती, क्योंकि पता चलने पर सिवाय समस्या‌ओं और दुखों के कुछ नहीं मिला ।

कुछ दिन पहले नवभारत टा‌इम्स में एक समाचार छपा था कि किस तरह एक महिला को ‘सच का सामना’ करना भारी पड़ा । एक टीवी चैनल पर सच का सामना देखते हु‌ए एक पति ने अपनी पत्‍नी से विवाह से पूर्व के सच का खुलासा करने को कहा । पत्‍नी ने बताया कि शादी से पहले उसका एक प्रेम संबंध था । पति-पत्‍नी के सच को सहन नहीं कर सका और आत्महत्या कर ली । समाजशास्त्री मानते हैं, कि जीवन में कुछ बातें ऐसी होती हैं जिन्हें रहस्य रखना ही बेहतर होता है । क‌ई बार इनके खुलने से लोगों के जीवन में भूचाल आ जाता है ।

निस्संदेह सचा‌ई एक श्रेष्ठ गुण है । कथनी और करनी के बीच तालमेल होना श्रेयस्कर है । परंतु स्मरण रहे कि बीते हु‌ए कल की बातों के बारे में मौन रहना अधिक श्रेष्ठतर है, क्योंकि उनका खुलासा करने से हानि की संभावना कहीं अधिक है । ऐसी परिस्थितियों में मौन ही सत्यता है । हालांकि झूठ किसी भी स्थिति में सच से बेहतर नहीं हो सकता ।

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