Tuesday, June 28, 2011

“कॉमेडी के मसीहा - चार्ली चैप्लिन”

वीरू के बेटे ने स्कूल से आते ही अपने पापा को बताया कि आज स्कूल में बहुत मजा आया । वीरू ने पूछा कि क्यूं आज पढ़ाई की जगह तुम्हें कोई कॉमेडी फिल्म दिखा दी जो इतना खुश हो रहे हो? वीरू के बेटे ने कहा कि कॉमेडी फिल्म तो नहीं दिखाई लेकिन हमारे टीचर ने आज कॉमेडी फिल्म के जन्मदाता चार्ली चैप्लिन के बारे में बहुत कुछ नई जानकारियां दी हैं । पापा क्या आप जानते हो कि चार्ली चैप्लिन दुनिया के सबसे बड़े आदमियों में से एक थे । वीरू ने मज़ाक करते हुए कहा क्यूं वो क्या १२ नंबर के जूते पहनते थे? बेटे ने नाराज़ होते हुए कहा अगर आपको ठीक से सुनना हो तो मैं उनके बारे में बहुत कुछ बता सकता हूँ । जैसे ही वीरू ने हामी भरी तो उसके बेटे ने कहना शुरू किया कि हमारे टीचर ने बताया है कि चार्ली चैप्लिन का नाम आज भी दुनिया के उन प्रसिद्ध हास्य कलाकारों की सूची में सबसे अव्वल नंबर पर आता है जिन्होंने अपनी जुबान से बिना एक अक्षर भी बोले सारा जीवन दुनिया को वो हंसी-खुशी और आनंद दिया है जिसके बारे में आसानी से सोचा भी नहीं जा सकता । इस महान कलाकार ने जहां अपनी कॉमेडी कला की बदौलत चुप रहकर अपने जीते जी तो हर किसी को हंसाया वहीं आज उनके इस दुनिया से जाने के बरसों बाद भी हर पीढ़ी के लोग उनकी हास्य की इस जादूगरी को सलाम करते हैं । 16 अप्रैल 1889 को इंग्लैंड में जन्मे इस महान कलाकार की सबसे बड़ी विशेषता यही थी कि लोग न सिर्फ उनके हंसने पर उनके साथ हंसते थे बल्कि उनके चलने पर, उनके रोने पर, उनके गिरने पर, उनके पहनावे को देखकर दिल खोलकर खिलखिलाते थे । अगर इस बात को यूं भी कहा जाये कि उनकी हर अदा में कॉमेडी थी और जमाना उनकी हर अदा का दीवाना था, तो गलत न होगा ।

पांच-छह साल की छोटी उम्र में जब बच्चे सिर्फ खेलने कूदने में मस्त होते हैं इस महान कलाकार ने उस समय कॉमेडी करके अपनी अनोखी अदाओं से दर्शकों को लोटपोट करना शुरू कर दिया था । चार्ली-चैप्लिन ने अपने घर को ही अपनी कॉमेडी की पाठशाला और अपने माता-पिता को ही अपना गुरू बनाया । इनके माता-पिता दोनों ही अपने जमाने के अच्छे गायक और स्टेज के प्रसिद्ध कलाकार थे । एक दिन अचानक एक कार्यक्रम में इनकी मां की तबियत खराब होने की वजह से उनकी आवाज चली गई । थियेटर में बैठे दर्शकों द्वारा फेंकी गई कुछ वस्तुओं से वो बुरी तरह घायल हो गईं । उस समय बिना एक पल की देरी किये इन नन्हें बालक ने थोड़ा घबराते हुए लेकिन मन में दृढ़ विश्‍वास लिये अकेले ही मंच पर जाकर अपनी कॉमेडी के दम पर सारे शो को संभाल लिया । उसके बाद चार्ली चैप्लिन ने जीवन में कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा ।

सर चार्ली चैप्लिन एक सफल हास्य अभिनेता होने के साथ-साथ फिल्म निर्देशक और अमेरिकी सिनेमा के निर्माता और संगीतज्ञ भी थे । चार्ली चैप्लिन ने बचपन से लेकर 77 वर्ष की आयु तक अभिनय, निर्देशक, पटकथा, निर्माण और संगीत की सभी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया । बिना शब्दों और कहानियों की हॉलीवुड में बनी फिल्मों में चार्ली चैप्लिन ने हास्य की अपनी खास शैली से यह साबित कर दिया कि केवल पढ़-लिख लेने से ही कोई विद्वान नहीं होता । महानता तो कलाकार की कला से पहचानी जाती है और बिना बोले भी आप गुणवान बन सकते हैं । यह अपने युग के सबसे रचनात्मक और प्रभावशाली व्यक्‍तियों में से एक थे । इन्होंने सारी उम्र सादगी को अपनाने हुए कॉमेडी को ऐसी बुलदियों तक पहुंचा दिया जिसे आज तक कोई दूसरा कलाकार छू भी नहीं पाया । इनके सारे जीवन को यदि करीब से देखा जाये तो एक बात खुलकर सामने आती है कि इस कलाकार ने कॉमेडी करते समय कभी फूहड़ता का सहारा नहीं लिया । इसलिये शायद दुनिया के हर द्वेष में स्टेज और फिल्मी कलाकारों ने कभी इनकी चाल-ढाल से लेकर कपड़ों तक और कभी इनकी खास स्टाइल वाली मूछों की नकल करके दर्शकों को खुश करने की कोशिश की है ।

हर किसी को मुस्कुराहट और खिलखिलाहट देने वाले मूक सिनेमा के आइकन माने जाने वाले इन कलाकार के मन में सदैव यही सोच रहती थी कि अपनी तारीफ खुद ही की तो क्या किया, मजा तो तभी है कि दूसरे लोग आपके काम की तारीफ करें । चार्ली चैप्लिन की कामयाबी का सबसे बड़ा रहस्य यही था कि इन्होंने जीवन को ही एक नाटक समझ कर उसकी पूजा की जिस की वजह यह खुद भी प्रसन्‍न रहते थे और दूसरों को भी सदा प्रसन्‍न रखते थे । इनके बारे में आज तक यही कहा जाता है कि इनके अलावा कोई भी ऐसा कलाकार नहीं हुआ जिस किसी एक व्यक्‍ति ने अकेले सारी दुनिया के लोगों को इतना मनोरंजन, सुख और खुशी दी हो । सारी बात सुनने के बाद वीरू ने कहा कि तुम्हारे टीचर ने चार्ली चैप्लिन के बारे में बहुत कुछ बता दिया लेकिन यह नहीं बताया कि उन्होंने यह भी कहा था कि हंसी बिना बीता हमारा हर दिन व्यर्थ होता है । सर चार्ली चैप्लिन के महान और उत्साही जीवन से प्रेरणा लेते हुए जौली अंकल का यह विश्‍वास और भी दृढ़ हो गया है कि जो कोई सच्ची लगन से किसी कार्य को करते हैं उनके विचारों, वाणी एवं कर्मों पर पूर्ण आत्मविश्‍वास की छाप लग जाती है । कॉमेडी के मसीहा चार्ली चैप्लिन ने इस बात को सच साबित कर दिखाया कि कोई किसी भी पेशे से जुड़ा हो वो चुप रहकर भी अपने पेशे की सही सेवा करने के साथ हर किसी को खुशियाँ दे सकता है ।

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