Tuesday, September 21, 2010

उद्‍घाटन से पहले टूटा पुल


उद्‍घाटन से पहले टूटा पुल
लाखों का निकला टेंडर और जेबें हो गयीं फुल
उद्‍घाटन से पहले देखो टूट गया था पुल
जनता के मेहनत की कमा‌ई इस पुल में हु‌ई बर्बाद
पर किसी के घर बन गये को‌ई हु‌आ आबाद


पुल से नदी पार करने का सपना मन में थे संजो‌ए
सोच रहे थे उनकी ख़ुशियों को किनकी लग ग‌ई हा‌ए
नहीं पता इन्हें की क्या टूटे पुल की कहानी
घटिया सा सामान लगाया खूब करी मनमानी


पुल से ज़्यादा इनको चिंता कमीशन की सता‌ई
सोच रहे थे ज़्यादा से ज़्यादा इससे करो कमा‌ई
बना के तैयार कर दी इन्होंने जिंदा लाश
पैसे देकर आका‌ओं से पुल कराया पास


सजी खूब महफ़िल थी उस दिन हा‌उस हु‌आ था फुल
नेता जी फीता काटें उससे पहले टूटा पुल
सभी के सपने ऐसे टूटे जैसे टूटे काँच
नेता जी कह के चल दि‌ए की कराओ इसकी जाँच
जनता को दे जाँच का लॉलीपाप मामला किया था गुल
देशद्रोही फिर मिल बैठे बनाने को नया पुल
सोच रहा राजीव की ऊपर वाले ने किया एहसान
जो पुल टूटता बाद में तो जाती कितनी जान

3 comments:

  1. अच्छी रचना है ........

    यहाँ भी आये एवं कुछ कहे :-
    समझे गायत्री मन्त्र का सही अर्थ

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  2. Kya mar gaye sab insaan?
    Bach gaye sirf Hindu ya musalmaan?

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  3. rajiv ji
    in logon par kavita likh kar ,nahi chalega kam
    in par f.i.r.darj karvaiye yahi hai inka anjam

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