Monday, September 20, 2010

मनरेगा नहीं, धनरेगा कहिए जनाब !


केन्द्र सरकार की एक अति महत्वाकांक्षी योजना जो कि गाँवों के उन गरीबों व असहायों के लिए चलायी जा रही है जिन्हें घर व गाँव छोड़कर रोजी-रोटी के लिए सुदूर किसी शहर में जाना पड़ता है । गाँव के इन जरूरतमन्दों को शहर न जाना पड़े और गाँव में ही काम मिल जाये, यही सोचकर यह योजना नरेगा जिसे अब मनरेगा के नाम से जाना जाता है, केन्द्र सरकार ने महात्मा गाँधी राष्ट्रीय रोजगार को बड़े ही कुशलता के साथ चलाने का संकल्प लिया, लेकिन मनरेगा राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र सुल्तानपुर जनपद में धनरेगा बन गयी है । बात अगर सिर्फ जमओं ब्लाक की करें तो कोई ऐसा आदर्श तालाब किसी भी ग्राम सभा में नहीं बना जिसे हम आदर्श कह सकें, आदर्श की मिसाल कायम करने के लिए जो भी मानक दिये गये हैं, उनकी परवाह न करते हुए पहले से ही बड़े गड्‌ढे का रूप पाये उन जगहों को आदर्श तालाब बनाने का प्रयास किया गया है, जो कि पचास प्रतिशत पहले ही तालाब को कुछ परिश्रम करवाकर मनरेगा का धनरेगा करके कागजों पर पूरे मानक के साथ आदर्श तालाब बनवाये जा रहे हैं या बन गये हैं । जिम्मेदार पदों पर बैठे कुछ चन्द लोग जिसे प्रदेश व गाँवों के विकास का जिम्मा दिया गया । जिन्हें हम विकास की रीढ़ भी कह सकते हैं ये चन्द लोग अपने-अपने कमीशन के चक्‍कर में मनरेगा का धनरेगा करवाने में कोई भी कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं । प्रधानों का कार्यकाल समाप्त होने में मात्र कुछ माह ही शेष है । उसके बावजूद अभी बहुत सारे तालाबों का कार्य शुरू ही हुआ है । बारिश का आगाज भी हो गया है । बारिश आ जाने पर कैसे पूरा होगा ये आदर्श तालाब इन अधूरे नव निर्मित तालाबों के बारे में जानकारी करने पर जानकार सूत्र कहते हैं कि लोग बरसात का इंतजार कर रहे हैं । जिससे बरसात का पानी तालाबों में भर जायेगा और मानक पूरा मनरेगा का धनरेगा करने में आसानी होगी ।
ज्यादातर तालाब अपनी जुबानी ही अपनी दास्ताँ बयां कर देंगे और यह साबित हो जायेगा कि मनरेगा का धन कैसे उड़ाया जा रहा है । तालाबों की बैरीकेटिंग भी इस हिसाब से की गयी है कि रेडीमेड पोल जो कि खड़े होने की जगह पड़े हैं देखने लायक है । कहीं-कहीं ईंटों की बेन्च भी टूटी पड़ी है और तालाबों में पानी की जगह अगर दिखायी पड़ सकती है तो उन मजदूरों के पसीनों की बूँदें जिसे सिर्फ अनुभव करके देखा जा सकता है ।
केन्द्रीय जांच टीम ने कई ग्रामों के दौरे का निरीक्षण कर इस योजना के तहत हुए कार्यों का खुलासा किया । मजदूरों की मजदूरी में भी घोटाला किया जा रहा हैं यह आरोप किसान संग्राम समिति के नेतृत्व में ग्राम पंचायत भादर विकास खण्ड दूबेपुर के नरेगा मजदूरों की मजदूरी का उचित भुगतान न किये जाने के विरोध में तिकोनिया पार्क में चलाया गया है । समिति के महामंत्री विजय कुमार भारती ने मुख्य विकास अधिकारी को मांग पत्र देकर अवगत कराया है कि ग्राम प्रधान व ग्राम पंचायत अधिकारी भादा ने द्वेष भावना से मजदूरों के मजदूरी का भुगतान में भारी अनियमितता बरती है । मॉडल तालाब का निर्माण में लगभग 80-100 मजदूरों ने रोजाना दिहाड़ी पर आठ घंटा प्रतिदिन कार्य किया जिसमें 14 दिन का भुगतान 71.95 प्रतिदिन की दर से 21 दिन का भुगतान 47.00 प्रतिदिन की दर व 17 दिन का भुगतान 29 रू० प्रतिदिन की दर से किया गया और 3 दिन का कोई भुगतान नहीं दिया गया । कानपुर देहात में आदर्श तालाब योजना में भी भारी गड़बड़ी पकड़ में आयी है । मानकों को दरकिनार कर निर्माण में लाखों का गोलमाल किया गया है । ताल के किनारे लोहे की बेंच बनवाई गयी ।
लोहा कानपुर की एक फर्म से बिना कोटेशन के ऊंचे दामों पर खरीदा गया ! उसका वजन क्या था? किसके आदेश से ऐसा किया गया? और लोहे की बेंच की आवश्यकता क्यों महसूस हुई? यही नहीं, एक ही तालाब का इस्टीमेट बार-बार बढ़ाया गया । वर्ष 2007-08 में जिसकी लागत 1.95 लाख थी उसे 2009-10 में 6.75 लाख में पूरा किया गया । यह तथ्य मनरेगा को राज्य स्तरीय रोजगार गारंटी परिषद के सदस्य संजय दीक्षित की शिकायत पर राज्य सरकार के आदेश से हुई हैं रिपोर्ट शासन को सौंपी जा चुकी है लेकिन अभी तक कार्रवाई नहीं हुई है । रिपोर्ट में कहा गया है कि सीडीओ जसवंत सिंह ने दबाव डालकर कई बीडीओ तथा अधीनस्थ अधिकारियों को अधिक कीमत पर लोहे की बेंच तथा अन्य सामाग्री खरीदने को मजबूर किया । विरोध करने पर करियर बर्बाद करने तक की धमकी दी गयी । जांच रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि सरवन खेड़ा के मोहाना एवं जसौरा गांवों में आज भी मनरेगा के पैसे की बर्बादी देखी जा सकती है । रसूलाबाद में भी तमाम उदाहरण मिल जायेंगे जहां घपले ही घपले हैं ।
मनरेगा के तहत हो रहे कार्यों में धांधली बदस्तूत जारी है, जबकि केन्द्र सरकार से लेकर राज्य सरकार द्वारा योजना निगरानी में रखे हुये है । इस योजना के लिये विशेषकर प्रदेश में राज्य स्तरीय मनरेगा निगरानी कमेटी की नियुक्‍ति की गयी । लेकिन हाल ही में केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय मनरेगा मानीटरिंग टीम के तहत हुयी जांच से चन्दौली और मिर्जापुर जिले से मनरेगा से जुड़े जो तथ्य सामने निकल कर आया है उसने प्रदेश मनरेगा निगरानी कमेटी पर ही प्रश्न चिन्ह लगा दिया हैं प्रदेश के मुख्यमंत्री मायावती के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद प्रधानों के घर में जॉब कार्डों की थोक में उपलब्धता ये बताती है कि मुख्यमंत्री के आदेश का कोई असर नहीं है । ग्राम पंचायत बनौली जनपद मिर्जापुर । बनौली की ग्राम प्रधान इन्द्रावती देवी जिनके पति गणेश आचार्य जिनका बसपा से नाता है । उन्हीं के द्वारा ग्राम प्रधान के सारे कार्य संचालित होते हैं । मानीटरिंग टीम के सदस्यों ने जांच के दौरान ग्राम प्रधान के घर से सैकड़ों जॉबकार्ड जब्त किये । कुछ कार्ड ऐसे भी थे जो एक ही व्यक्‍ति के नाम पर दो दो कार्ड बनाये गये थे । मजे की बात यह है कि इस ग्राम पंचायत की अनियमितता की शिकायत मिर्जापुर के सभी अधिकारियों के संज्ञान में होते हुये भी कोई कार्यवाही संबंधित लोगों के खिलाफ नहीं हुई । संभवतः सत्‍तासीन पार्टी नेता होने के वजह से ग्राम प्रधान जिलाधिकारी से लेकर ग्राम सचिव तक के ऊपर दबाव किये है जिससे लाखों शिकायतों के बावजूद किसी अधिकारी ने अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की है ।
बसही ग्राम पंचायत में भी मानीटरिंग टीम को तमाम गड़बड़ियां मिलीं जिनके बारे में ग्राम प्रधान आरती पाण्डेय कोई सही जवाब नही दे सकीं । जमालपुर विकास खण्ड के ग्राम पंचायती में मनरेगा के धन का मन मुताबिक दुरूपयोग हुआ । ग्राम बतीला व संघती गांव में जिला चन्दौली भी अपने मनमाफिक नियमों की धज्जियां उड़ाते अपनी मनमानी कर रहे हैं । कार्य बी०डीसी० इरफान करते हैं । बसिला में तालाब पर लाखों रूपये खर्च करने के बावजूद आमजन के लिये उपयोगी सिद्ध नहीं हो सका । इस गांव में तकरीबन डेढ़ वर्ष से जच्चा-बच्चा केन्द्र बनकर तैयार है और अब फर्श और दीवारें टूटने भी लगी हैं । लेकिन अभी तक उक्‍त केन्द्र को स्वास्थ्य विभाग को हस्तानांतरित नहीं किया गया है । इस बिल्डिंग का उपयोग गोबर के उपले रखने में हो रहा है । जॉबकार्ड को लेकर बसिला में जांच टीम को जमकर धांधली मिली इस गाँव में सारे जॉबकार्ड प्रधान व बी०डी०सी० के घर पर ही रहता है । मजदूरों को 100 दिन का काम नहीं मिलता । जॉब कार्ड धारकों में कुछ ऐसे हैं जिनको बगैर मजदूरी किये पैसा मिलता है । संधति गांव में भी निर्मला देवी महिला प्रधान हैं उनके पति सतीश चन्द्र केसरी चूँकि पूर्व ग्राम प्रधान रहे हैं, वही ग्राम प्रधान का सारा कार्यभार देखते हैं उनके कार्यकाल में मनरेगा के तहत विकास कार्यों में गड़बड़ियां पायी गयीं । जांच टीम ने बताया कि एक दिन पूर्व बिछाये गये खड़ंजे के अवलोकन में पाया गया कि खड़ंजे में घटिया ईंटों का प्रयोग किया गया है पदनामपुर का ग्राम प्रधान जो कि दंबग किस्म्‌, का है, ग्राम प्रधान ने अपनी गड़बड़ी छिपाने के लिये सी०डी०ओ०, बी०डी०ओ० के दबाव में उलटा जांच टीम पर पैसा मांगने का आरोप लगाते हुये थाने में तहरीर तक दे डाली । इस प्रकार के जांचों में पाये गये इन तथ्यों से मनरेगा की हकीकत का खुलासा स्पष्ट रूप से सामने आया । इस योजना के तहत किस तरह जिलों के ग्राम प्रधान सचिव से लेकर आला अधिकारियों तक मिलीभगत की कमीशनखोरी चल रही है, जिसकी निगरानी करने वाली निगरानी कमेटी व उसके अधिकारी कोई भी कार्यवाही नहीं कर पा रहे हैं । यही हाल सबके सभी जिलों में चल रहा है । शायद इसी धांधली की भनक निगरानी कमेटी व ग्राम विकास विभाग को लग नहीं पा रही है और भनक लग भी रही है तो कार्यवाही में कोताही हो रही है जिससे निचले स्तर पर पदाधिकारी बिना डर के मनमुताबिक मनरेगा संबंध में जांच टीम ने मनरेगा राज्य स्तरीय मानीटरिंग टीम को अपना आरोप पत्र सौंप दिया है ।
मनरेगा के नाम पर घपले का अंत नजर नहीं आ रहा है । कनवर्जन के नाम पर हेराफेरी । नियम है कि जिस विभाग में अपना बजट न हो वहां पर काम मनरेगा से कराया जाए, किन्तु यहां ऐसा नहीं है । विभाग में बजट होने के बावजूद मनरेगा से पैसा लेकर उसे निबटाने का मामला प्रकाश में आया । राज्य गुणवत्ता मानीटर कमेटी के अध्यक्ष विनोद भांकर चौबे ने जांच रिपार्ट में चौंकाने वाले तथ्य प्रकाश में लाये हैं ।
कानपुर देहात में 14 ऐसे विभागों को 15 मार्च 2010 तक के लिए 2.236 लाख की धनराशि मनरेगा से स्वीकृत की गयी जिनके पास अपना लाखों का बजट था । इसमें 796 लाख रूपये पहली किस्त में तथा बाकी अन्य तीन किस्तों में अवमुक्‍त किये गये । कई विकास खंडों में इस धनराशि का उपयोग मिट्‍टी की खोदाई आदर्श तालाबों के निर्माण, सड़क की भराई आदि में दिखाया गया जबकि स्थलीय निरीक्षण करने पर पता चला कि जहां पर मिट्‌टी का काम दिखाया गया है वहां किसी अन्य योजना में पहले से ही मिट्‌टी का काम हो चुका था । फर्जी मास्टर रोल दिखाकर 4 लाख 13 हजार की धनराशि हड़पने की रिपोर्ट में जिक्र किया गया है । कपराहट ब्लाक में जांच अधिकारी जब वहां पहुंचे तो विभिन्‍न तारीखों में मास्टर रोल पर पचास से अधिक मजदूर ऐसे दिखाये गये जिनका नाम पता फर्जी पाया गया किन्तु उनके नाम पर एक-एक महीने का पैसा निकला हुआ दिखाया गया । जांच अधिकारी ने इसमें 30 लाख से अधिक का घपला है ।
प्रदेश के ग्रामीण विकास मंत्री दद्‌दू प्रसाद के गृह जनपद चित्रकूट, कर्वी में मनरेगा के तहत घपले बाजी का आलम यह है कि कोई कुछ करे लेकिन उसके विरूद्ध कार्यवाही नहीं होती है यदि कभी कार्यवाही हुई तो बाद में लीपा पोती करके बचा दिया गया । जिसका परिणाम यह है कि घपलों पर घपले होते चले जा रहे हैं । मनरेगा चैकडेम में लग रही घटिया सामाग्री मामले में चित्रकूट के जिलाधिकारी ने गंभीरता से भले ही लेते हुये इसकी जांच हेतु अधिशासी अभियंता सिंचाई विभाग प्रखण्ड कर्वीभूमि संरक्षण अधिकारी रामगंगा कामण्ड व अपर अभियंता डी.आर.डी.ए. की टीम गठित की गयी । टीम द्वारा गत 30 अप्रैल को स्थानीय जांच की गयी जिसमें पाया गया कि विकास खण्ड मानिकपुर के अन्तर्गत मारकुण्डी रेन्ज किहुनियां वीट में एक पक्‍का चैकडेम का निर्माण हो रहा था । यह कार्य वित्तीय वर्ष 2009-10 का लागत धनराशि 2 लाख थी । क्षेत्राधिकारी मारकुण्डी वन्य जीव रेन्ज मारकुण्डी चित्रकूट मोनो पर प्राक्‍कलन के कार्य साथ उपस्थित रहे, संबंधित वन क्षेत्राधिकारी द्वारा उक्‍त कार्य से संबंधित ग्राम पुस्तिका, मास्टर रोल व व्यय बाउचर के संबंध में बताया कि प्राक्‍कलन आदि कैमूर रनेज मिर्जापुर कार्यालय में है ।
जांच में केस्ट की लम्बाई 10.15 मी०, केस्ट टाप की चौड़ाई 1.50 मी० विगवाल की लम्बाई 8.25 मी० विगवाल की चौड़ाई 0.70 मी० है । वन क्षेत्राधिकारी रानीपुर वन्य जीव विहार (सेंचुरी) ने कार्य का प्राक्‍कलन, व्यय बाउचर मौके पर नहीं दिखाये और न ही कार्य प्राक्‍कलन के अनुसार पाया गया । यह कार्य मनरेगा के द्वारा कराया गया कि जानकारी हुयी । विभाग के पास 36 लाख पड़ा है और डेढ़ करोड़ की मांग की गयी है । जब कि विभाग द्वारा पूर्व में कराये गये कार्यों का अभी तक सत्यापन नहीं कराया गया ।

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