बच्चों को अनुशासन में रहने और रखने के लिए हिंसा का सहारा लिया जाता है । ये हिंसा कहीं और नहीं अपने ही घरों और स्कूलों में होती है । बच्चों पर की गई हिंसा किसी भी रूप में हो सकती है, चाहे वह शारीरिक हो, मानसिक हो या फिर भावनात्मक ।
यूनिसेफ की एक रिपोर्ट में कहा गया हैं, कि दो से 14 साल की आयु के बच्चों को अनुशासन में रखने के लिए तीन चौथाई बच्चों के साथ हिंसा का सहारा लिया जाता है । इसमें आधे बच्चों को शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है । जेनेवा में आयोजित यूएन की मानवाधिकार समिति के बैठक में यूनिसेफ ने एक रिपोर्ट प्रस्तुत किया । यह रिपोर्ट दुनिया के ३३ निचले और मध्यम आय वाले देशों के 1-14 आयुवर्ग के बच्चों पर आधारित थी, जिसमें बच्चों के अभिभावक भी शामिल थे । बैठक में यूएन विशेषज्ञों ने तय किया कि बच्चों के प्रति हिंसात्मक रवैया न अपनाने के लिए जागरूकता फैलाई जाये। इसको रोकने लिए दुनियाभर की सरकारें कानूनी कदम उठायें ।
रिपोर्ट में कहा गया है, कि बच्चों को अनुशासन में रखने के लिए घरों में आठ तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है । इसमें कुछ शारीरिक हैं, तो कुछ मानसिक । शारीरिक हिंसा में बच्चों को पीटना या जोर से झकझोरना आदि है, जबकि मानसिक हिंसा में बच्चों पर चीखना या नाम लेकर डांटना आदि है ।
थोड़े देर के लिए यह बात ठीक भी है, लेकिन इसका दूसरा पहलू भी है जो काफी खतरनाक है । बचपन में बोया गया हिंसा का ये बीज युवा होते-होते विषधर वटवृक्ष का रूप ले लेता है, जो किसी भी रूप में अच्छा नहीं है । यह सच है कि शिक्षा और शिष्टाचार सिखाने के लिए अनुशासन जरूरी है । हो सकता है, अनुशासन के लिए दंड भी आवश्यक हो, लेकिन दंड इतना कभी नहीं होना चाहिए कि बच्चों के कोमल मन और उसके स्वाभिमान पर चोट करे, उसकी कोमल भावनाएं आहत हो ।
बच्चों पर किये या हुए हिंसक और हृदय विदारक अत्याचार न केवल उनके बाल सुलभ मन को कुंठित करते हैं, बल्कि उनके मन में एक बात घर कर जाती है, कि बड़ों (सबलों) को छोटों (निर्बल) पर हिंसा करने का अधिकार है । बाल सुलभ मन पर घर कर जाने वाली यही बात, कुंठा आगे चलकर निजी जिंदगी और सामाजिक जीवन में विषवेल के रूप में दिखाई देता है । गलती करना इंसान कि फितरत है, और गलती को सुधार लेना इंसान कि बुद्धिमता का परिचायक । गलती कोई भी करे, एहसास होने पर उसे भी दुख होता है । गलती पर दंड देने या प्रताड़ित करने से हो चुकी गलती को सुधारा नहीं जा सकता है । प्रताड़ित करने और मन को आहत करने के बजाये उसे बताया जाना चाहिए कि गलती हुई तो क्यों और कैसे हुई? उसके नुकसान का आंकलन बच्चों से ही कराएँ।
गलती का एहसास कराने के लिए हिंसक होने की जरूरत नहीं है, प्यार से बताएं । प्यार हर काम को आसन करता है । यह मुश्किल तो है, लेकिन दुश्कर नहीं और परिणाम सौ प्रतिशत ।
Saturday, April 16, 2011
Saturday, April 2, 2011
आज इंडिया वर्ल्ड कप जीतेगा - कृष्णगोपाल मिश्र
आज हर हिंदुस्तानी के दिल में वर्ल्ड कप जीत लेने की इच्छा है । वैसे ज्योतिषी गणना के आधार पर आज का वर्ल्ड कप फाईनल इंडिया ही जीतेगी, क्योंकि इंडिया की आजादी की तारीख १५ अगस्त है, जिसका मूलांक ६ है आज की तारीख का मूल्यांक २ है । ६ और २ का आपसी मेल काफी अच्छा होता है । साथ ही इंडिया का वर्ष चक्र तो मजबूत चल ही रहा है, और आपका दैनिक चक्र धनु लग्न का है, जिसके चतुर्थ भाव में सूर्य, मंगल एवं गुरू की अच्छी युति है । जो जीत के लिए अच्छा सूचक है । आज सचिन का प्रदर्शन भी अच्छा रहेगा आज वे संभल कर और प्रारम्भ में धीमी गति से खेलेंगे यदि भारत की बैंटिग पारी पहले रही तो प्रारम्भ से १६:१५ बजे तक सचिन पिच पर टिके रह सकते है । सहवाग की भी शुरूआती पारी काफी धुंआ-धार होगी, लेकिन सहवाग प्रारम्भ के १५ मिनट संभल कर खेलें तो कम से कम ४५ मिनट तक पिज पर रहेंगे ।
युवराज सिंह के लिए भी आज का दिन अच्छा रहेगा, लेकिन वह थोड़ा एकाग्रता एवं धैर्य के साथ खेंले तो ज्यादा अच्छा रहेगा, फिर युवराज सिंह काफी अच्छी पारी खेलेंगे । धोनी के भी खेल में आज काफी सुधार देखने को मिलेगा, क्योंकि उनके आज के दैनिक चक्र के नौमांशा में शनि, चन्द्र दशम् भाव में काफी मजबूत है । आज धोनी अच्छा प्रदर्शन करेंगे, अतः आज टीम इंडिया वर्ल्ड कप अवश्य जीतेगी ।
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